जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षक पद पर नियुक्ति के संबंध में दिए अदालती आदेश की 5 साल में भी पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि 21 मार्च तक आदेश की पालना रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए. ऐसा नहीं होने पर अदालत ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को हाजिर होने को कहा है. अदालत ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा निदेशक हाजिर होकर इस बात का स्पष्टीकरण पेश करें कि अब तक अदालती आदेश की पालना क्यों नहीं की गई. जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश कांता शर्मा व अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह बड़े दुख और आश्चर्य की बात है कि अदालती आदेश के 5 साल बीतने के बाद भी अब तक आदेश की पालना नहीं हुई. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने बताया कि याचिकाकर्ता का शिक्षक भर्ती-2008 में चयन करते हुए उसे 28 जनवरी, 2009 को नियुक्ति दी गई थी. जबकि कुछ अन्य अभ्यर्थियों को 30 सितंबर, 2008 में ही नियुक्त किया गया था. ऐसे में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पूर्व में नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के समान वरिष्ठता और परिलाभ दिलाने की गुहार की थी.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 3 अप्रैल, 2018 को आदेश दिए थे कि विभाग पूर्व में एक समान मामले में दिए आदेश के आधार पर याचिकाकर्ताओं को वरिष्ठता और परिलाभ अदा करे. इसके बावजूद भी विभाग की ओर से इस आदेश की पालना नहीं की गई. इस पर याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर अदालती आदेश की पालना कराने और अवमाननाकर्ता अफसरों को दंडित करने की गुहार की. जिस पर पूर्व में सुनवाई करते हुए अदालत ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था. वहीं अब अदालत ने आदेश की पालना रिपोर्ट पेश नहीं करने पर प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को हाजिर होने के आदेश दिए हैं.