जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को अदालती आदेश के बावजूद नियुक्ति देने में कोताही बरतने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने टोंक की माध्यमिक जिला शिक्षाधिकारी मीना लसारिया को अवमानना का दोषी माना है. अदालत ने डीईओ को कहा है कि वह 10 अप्रैल को सजा पर सुनवाई के लिए पेश हों.
इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त मुख्य शिक्षा सचिव को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि अदालती आदेश की 9 साल के बाद भी पालना क्यों नहीं की गई. अदालत ने एसीएस से पूछा है कि सरकारी वकील यह कैसे कह सकते हैं कि प्रशासनिक प्रक्रिया के चलते अब तक आदेश की पालना नहीं की गई और पालना के लिए अतिरिक्त समय और दिया जाए. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश मोहम्मद राशिद की अवमानना याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता वर्ष 1989 में शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लगा था. वर्ष 1995 में उसे हटा दिया गया. इस आदेश को लेबर कोर्ट ने वर्ष 2012 में रद्द करते हुए उसे इस अवधि का 50 फीसदी वेतन देने के आदेश देते हुए पुनः सेवा में लेने को कहा था. वहीं हाईकोर्ट में सरकार की ओर से पेश याचिका पर याचिकाकर्ता के बकाया वेतन छोड़ने की सहमति दी. इस पर हाईकोर्ट ने 22 नवंबर, 2013 को आदेश जारी कर उसे पुनः सेवा में लेने को कहा, लेकिन इस आदेश की पालना नहीं हुई.
इस पर वर्ष 2014 में याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर की. इस बीच विभाग ने उसे फरवरी 2016 से नए सिरे से नियुक्ति दी. अदालत ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि नवंबर 2013 के आदेश के तहत नियुक्ति क्यों नहीं दी गई. इसके साथ ही अदालत ने संबंधित डीईओ को अवमानना का दोषी मानते हुए सजा सुनने के लिए हाजिर होने के निर्देश देते हुए एसीएस से शपथ पत्र पेश करने को कहा है.