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बीएड और एलएलबी एक साथ की, शिक्षक से आरजेएस बनी महिला की बर्खास्तगी कोर्ट ने सही मानी - सरकारी शिक्षक होने का तथ्य छिपाया

बीएड और एलएलबी एक साथ करने, सरकारी शिक्षक की नौकरी के दौरान एलएलएम करने और आरजेएस परीक्षा के इंटरव्यू में हाईकोर्ट से ये तथ्य छिपाने को राजस्थान हाईकोर्ट ने गलत माना है.

HC on sacking of woman from RJS
बीएड और एलएलबी एक साथ की, शिक्षक से आरजेएस बनी महिला की बर्खास्तगी कोर्ट ने सही मानी
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 26, 2023, 5:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बीएड और एलएलबी पाठ्यक्रम एक साथ करने और सरकारी शिक्षक रहने के दौरान एलएलएम करने के साथ ही आरजेएस साक्षात्कार के दौरान हाईकोर्ट से इन तथ्यों को छिपाने को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि हाईकोर्ट की फुल कोर्ट के महिला न्यायिक अधिकारी की सेवा समाप्ति के निर्णय को गलत नहीं माना जा सकता. जस्टिस अशोक गौड़ और जस्टिस आशुतोष कुमार ने यह आदेश पिंकी मीणा की याचिका को खारिज करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर आरजेएस परीक्षा के हर स्तर पर यह तथ्य छिपाया कि वह शिक्षक रह चुकी है. इसके अलावा उसने आरजेएस परीक्षा में शामिल होने के पूर्व शिक्षा विभाग से एनओसी भी नहीं ली. राजस्थान विश्वविद्यालय की हैंडबुक के ऑर्डिनेंस 168-ए और 168-बी के तहत एक एलएलबी और बीएड एक साथ करना असंभव है. इसी तरह उसने सरकारी शिक्षक रहते हुए नियमित एलएलएम कोर्स कर लिया. भर्ती विज्ञापन की शर्त संख्या 14 के तहत एनओसी के अभाव में अभ्यर्थी की उम्मीदवारी किसी भी स्तर पर रद्द की जा सकती है.

पढ़ें: तृतीय श्रेणी शिक्षक लेवल 1 भर्ती के लिए बीएड योग्यताधारी पात्र नहीं-सुप्रीम कोर्ट

याचिका में कहा गया कि वह आरजेएस परीक्षा-2017 में चयनित होकर मार्च, 2019 में ट्रेनी आरजेएस लगी थी. उसे फरवरी, 2020 को नोटिस देकर मई, 2020 को फुल कोर्ट ने सेवा से हटा दिया. उस पर आरोप लगाया गया कि उसने एक साल में एलएलबी प्रथम वर्ष और बीएड कोर्स किया. इसके अलावा शिक्षक रहते हुए राजस्थान विवि से एलएलएम किया. इसके बाद आरजेएस साक्षात्कार के दौरान उसने सरकारी शिक्षक होने का तथ्य छिपाया.

पढ़ें: तय योग्यता होने के बाद भी बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश क्यों नहीं दिया - हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता पर यह भी आरोप लगाया गया कि उसने आरजेएस परीक्षा के लिए शिक्षा विभाग से एनओसी नहीं ली. वहीं आरजेएस में चयन के बाद उसने हाईकोर्ट व शिक्षा विभाग से तथ्य भी छिपाए. याचिका में कहा गया कि एलएलबी प्रथम वर्ष की परीक्षा यह डिग्री लेने की मुख्य परीक्षा नहीं है. वहीं एलएलएम की कक्षाएं नियमित नहीं होती हैं. आरजेएस के साक्षात्कार के समय चेक लिस्ट में पूर्व सेवा को लेकर कोई कॉलम नहीं था. वहीं आरजेएस नियमों में प्रावधान नहीं है कि परीक्षा से पहले विभाग से अनुमति ली जाए.

पढ़ें: विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ड्यूल डिग्री प्रोग्राम को यूजीसी की स्वीकृति

इसके अलावा वह आरजेएस में चयन की तिथि को शिक्षक सेवा में नहीं थी. उसे हटाने के दौरान प्राकृतिक न्याय की अनदेखी हुई है और संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत उसे मिले अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता. वहीं हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से कहा गया कि दो लोगों की ओर से की गई शिकायत के बाद जांच में याचिकाकर्ता दोषी मिली हैं. सवाई माधोपुर में द्वितीय श्रेणी शिक्षक रहते हुए वह राजस्थान विवि से एलएलएम कैसे कर सकती हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बीएड और एलएलबी पाठ्यक्रम एक साथ करने और सरकारी शिक्षक रहने के दौरान एलएलएम करने के साथ ही आरजेएस साक्षात्कार के दौरान हाईकोर्ट से इन तथ्यों को छिपाने को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि हाईकोर्ट की फुल कोर्ट के महिला न्यायिक अधिकारी की सेवा समाप्ति के निर्णय को गलत नहीं माना जा सकता. जस्टिस अशोक गौड़ और जस्टिस आशुतोष कुमार ने यह आदेश पिंकी मीणा की याचिका को खारिज करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर आरजेएस परीक्षा के हर स्तर पर यह तथ्य छिपाया कि वह शिक्षक रह चुकी है. इसके अलावा उसने आरजेएस परीक्षा में शामिल होने के पूर्व शिक्षा विभाग से एनओसी भी नहीं ली. राजस्थान विश्वविद्यालय की हैंडबुक के ऑर्डिनेंस 168-ए और 168-बी के तहत एक एलएलबी और बीएड एक साथ करना असंभव है. इसी तरह उसने सरकारी शिक्षक रहते हुए नियमित एलएलएम कोर्स कर लिया. भर्ती विज्ञापन की शर्त संख्या 14 के तहत एनओसी के अभाव में अभ्यर्थी की उम्मीदवारी किसी भी स्तर पर रद्द की जा सकती है.

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याचिका में कहा गया कि वह आरजेएस परीक्षा-2017 में चयनित होकर मार्च, 2019 में ट्रेनी आरजेएस लगी थी. उसे फरवरी, 2020 को नोटिस देकर मई, 2020 को फुल कोर्ट ने सेवा से हटा दिया. उस पर आरोप लगाया गया कि उसने एक साल में एलएलबी प्रथम वर्ष और बीएड कोर्स किया. इसके अलावा शिक्षक रहते हुए राजस्थान विवि से एलएलएम किया. इसके बाद आरजेएस साक्षात्कार के दौरान उसने सरकारी शिक्षक होने का तथ्य छिपाया.

पढ़ें: तय योग्यता होने के बाद भी बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश क्यों नहीं दिया - हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता पर यह भी आरोप लगाया गया कि उसने आरजेएस परीक्षा के लिए शिक्षा विभाग से एनओसी नहीं ली. वहीं आरजेएस में चयन के बाद उसने हाईकोर्ट व शिक्षा विभाग से तथ्य भी छिपाए. याचिका में कहा गया कि एलएलबी प्रथम वर्ष की परीक्षा यह डिग्री लेने की मुख्य परीक्षा नहीं है. वहीं एलएलएम की कक्षाएं नियमित नहीं होती हैं. आरजेएस के साक्षात्कार के समय चेक लिस्ट में पूर्व सेवा को लेकर कोई कॉलम नहीं था. वहीं आरजेएस नियमों में प्रावधान नहीं है कि परीक्षा से पहले विभाग से अनुमति ली जाए.

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इसके अलावा वह आरजेएस में चयन की तिथि को शिक्षक सेवा में नहीं थी. उसे हटाने के दौरान प्राकृतिक न्याय की अनदेखी हुई है और संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत उसे मिले अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता. वहीं हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से कहा गया कि दो लोगों की ओर से की गई शिकायत के बाद जांच में याचिकाकर्ता दोषी मिली हैं. सवाई माधोपुर में द्वितीय श्रेणी शिक्षक रहते हुए वह राजस्थान विवि से एलएलएम कैसे कर सकती हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया.

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