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Chairman bribe case: हाईकोर्ट का आदेश, जवाब पेश करो, नहीं तो निदेशक हाजिर होकर दें जवाब - सवाईमाधोपुर नगर परिषद चेयरमैन

सवाईमाधोपुर नगर परिषद चेयरमैन को निलंबित नहीं करने के खिलाफ दायर याचिका में सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं करने पर कोर्ट ने 6 अप्रैल तक जवाब पेश करने को कहा है. जवाब पेश नहीं करने पर स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक को कोर्ट में पेश होकर जवाब देने का कहा है.

HC asked to reply till April 6 in bribe case of Sawai Madhopur Chairman
Chairman bribe case: हाईकोर्ट का आदेश, जवाब पेश करो, नहीं तो निदेशक हाजिर होकर दें जवाब
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Published : Mar 22, 2023, 10:05 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिश्वत मामले में गिरफ्तार होने के बाद जेल जाने पर भी सवाईमाधोपुर नगर परिषद के चेयरमैन को निलंबित नहीं करने के खिलाफ दायर याचिका में राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा ​कि 6 अप्रैल तक जवाब पेश किया जाए. ऐसा नहीं करने पर हाईकोर्ट ने स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक को अदालत में पेश होकर जवाब देने को कहा है. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने तूफान सिंह व दूसरों की याचिका पर यह आदेश दिए हैं.

याचिका में एडवोकेट आर.के गौतम ने हाईकोर्ट को बताया कि नगर परिषद चेयरमैन विमल चंद महावर को रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया था. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में मामला दर्ज होने के बाद 21 अक्टूबर को विमलचंद महावर को जेल भेज दिया गया था. इस मामले में आरोप पत्र पेश होने के बाद 21 दिसंबर को विमलचंद महावर को जमानत मिल गई. आर.के गौतम ने हाईकोर्ट में बताया कि जमानत पर बाहर आने के बाद विमलचंद महावर ने फिर से चेयरमैन पद का कार्यभार संभाल लिया.

पढ़ें: Rajasthan High Court : रंगे हाथों गिरफ्तार और जेल जाने के बाद भी क्यों नहीं किया चेयरमैन को निलंबित ?

हाईकोर्ट को याचिका में बताया कि साल 2015 में इसी नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन कमलेश कुमार को भी गिरफ्तार किया गया था. सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था. लेकिन वर्तमान चेयरमैन विमलचंद को राजनीतिक कारणों के कारण निलंबित नहीं किया गया. याचिका में बताया गया कि 27 दिसंबर को नगर परिषद आयुक्त की ओर से महावर द्बारा बिना अनुमति दोबारा पदभार ग्रहण करने की जानकारी भी उच्चाधिकारियों को दी गई, फिर भी आयुक्त ने कार्रवाई नहीं की.

पढ़ें: प्रस्तावित विभागीय जांच की आड़ में लंबे समय तक किसी भी कार्मिक को निलंबित नहीं रखा जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

याचिका में बताया कि कार्मिक विभाग के साल 2001 और साल 2010 में प्रावधान है कि लोक सेवक के रंगे हाथों गिरफ्तार होने पर उसे पद से निलंबित किया जाए. इसके अलावा हाल ही में नगर परिषद को 3.50 करोड़ रुपए विकास कार्यों के लिए स्वीकृत हुए हैं, इनके दुरुपयोग की आशंका है. राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है. कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि जवाब पेश नहीं होने पर 6 अप्रैल को स्वायत्त शासन निदेशक हाजिर हों.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिश्वत मामले में गिरफ्तार होने के बाद जेल जाने पर भी सवाईमाधोपुर नगर परिषद के चेयरमैन को निलंबित नहीं करने के खिलाफ दायर याचिका में राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा ​कि 6 अप्रैल तक जवाब पेश किया जाए. ऐसा नहीं करने पर हाईकोर्ट ने स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक को अदालत में पेश होकर जवाब देने को कहा है. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने तूफान सिंह व दूसरों की याचिका पर यह आदेश दिए हैं.

याचिका में एडवोकेट आर.के गौतम ने हाईकोर्ट को बताया कि नगर परिषद चेयरमैन विमल चंद महावर को रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया था. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में मामला दर्ज होने के बाद 21 अक्टूबर को विमलचंद महावर को जेल भेज दिया गया था. इस मामले में आरोप पत्र पेश होने के बाद 21 दिसंबर को विमलचंद महावर को जमानत मिल गई. आर.के गौतम ने हाईकोर्ट में बताया कि जमानत पर बाहर आने के बाद विमलचंद महावर ने फिर से चेयरमैन पद का कार्यभार संभाल लिया.

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हाईकोर्ट को याचिका में बताया कि साल 2015 में इसी नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन कमलेश कुमार को भी गिरफ्तार किया गया था. सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था. लेकिन वर्तमान चेयरमैन विमलचंद को राजनीतिक कारणों के कारण निलंबित नहीं किया गया. याचिका में बताया गया कि 27 दिसंबर को नगर परिषद आयुक्त की ओर से महावर द्बारा बिना अनुमति दोबारा पदभार ग्रहण करने की जानकारी भी उच्चाधिकारियों को दी गई, फिर भी आयुक्त ने कार्रवाई नहीं की.

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याचिका में बताया कि कार्मिक विभाग के साल 2001 और साल 2010 में प्रावधान है कि लोक सेवक के रंगे हाथों गिरफ्तार होने पर उसे पद से निलंबित किया जाए. इसके अलावा हाल ही में नगर परिषद को 3.50 करोड़ रुपए विकास कार्यों के लिए स्वीकृत हुए हैं, इनके दुरुपयोग की आशंका है. राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है. कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि जवाब पेश नहीं होने पर 6 अप्रैल को स्वायत्त शासन निदेशक हाजिर हों.

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