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Jaipur Galtaji Temple: गुलाबी शहर का गुलाबी मंदिर, यहां संक्रांति पर लगता है आस्थावानों का मेला

जयपुर में ही मौजूद है गलताजी मंदिर (Jaipur Galtaji Temple ). जिसकी महिमा अपरम्पार है. मकर संक्रांति पर यहां आस्थावानों का मेला सा लगता है. लोग यहां कुंड में श्रद्धा की डुबकी लगाने आते हैं. आखिर ऐसा क्या है खास! आइए जानते हैं.

Jaipur Galtaji Temple
Jaipur Galtaji Temple
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Published : Jan 14, 2023, 7:38 AM IST

Updated : Jan 14, 2023, 8:15 AM IST

संक्रांति पर लगता है आस्थावानों का मेला

जयपुर. मकर संक्रांति पर दान पुण्य और पवित्र सरोवरों में स्नान का विशेष महत्व है. ऐस ही एक पवित्र स्थल है गलता तीर्थ. सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण में जाते हैं तो प्राकृतिक बदलाव होता है. चूंकि ये देवताओं का दिवस भी माना जाता है इसलिए यहां मौजूद कुंड में डुबकी लगाने और दान करने के लिए श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है. महिला पुरुष बुजुर्ग सुबह से ही यहां पहुंचकर स्नान कर दान-पुण्य करने में जुटते हैं. लोग मानते हैं कि मकर सक्रांति पर गलता कुंड में स्नान कर दान-पुण्य करने का लाभ कई गुना बढ़ जाता है.

Makar Sankranti 2023
अरावली की सर्पाकार पहाड़ियों के बीच बसा गलताजी मंदिर

ऋषि गालव ने की 60 हजार साल तक की तपस्या- गलता तीर्थ ब्रह्मा के पौत्र और महर्षी गलु के पुत्र ऋषि गालव की तपस्या स्थली है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि ऋषि गालव ने यहां 60 हजार वर्षों तक तपस्या की थी. कहा जाता है यहां गौमुख से निरंतर बहने वाली धारा गंगा की है. इससे जुड़ी एक किंवदंति भी है कि ऋषि गालव प्रतिदिन यहां से गंगा स्नान के लिए जाते थे. उनका तप और आस्था देखकर गंगा मां बहुत प्रसन्न हुई और गालव के आश्रम में स्वयं उपस्थित होकर बहने का आशीर्वाद दिया. कहते हैं तब से गंगा की धारा यहां अनवरत बहती है.

गौमुख कुंड भी खास- इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार जयपुर में माना जाता है कि कितने ही तीर्थ चले जाओ, लेकिन आखिर में यदि गलता कुंड में स्नान नहीं किया तो उन तीर्थों का फल नहीं मिलता. यही बात मकर सक्रांति पर भी लागू होती है आज भी जनमानस और शहर के पुराने रहवासी सक्रांति पर गलता कुंड पर जाकर स्नान करते हैं और उसके बाद दान पुण्य करते हैं. यहां 3 कुंड मौजूद हैं. इनमें एक जहां गालव ऋषि ने तपस्या की थी. इसके अलावा एक गौमुख कुंड जहां गाय के मुख से पानी आता है, और एक जनाना कुंड महिलाओं के स्नान के लिए बना हुआ है. उन्होंने बताया कि जयपुर में भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा आराधना का उद्भव भी यहीं से हुआ. यहां वर्तमान में जो श्रीपीठ बनी हुई है, वहां भगवान श्री राम की चरणपादुका मौजूद है. जनमानस में गलता तीर्थ के रूप में है.

Makar Sankranti 2023
गुलाबी पत्थरों से बना मंदिर

पढ़ें- Makar Sankranti 2023: इस बार 15 जनवरी को क्यों मनाई जाएगी मकर संक्रांति, हर साल 20 मिनट की देरी है वजह...

मकर संक्रांति पर स्नान क्यों?- गलता तीर्थ पर सबसे पहले 15वीं शताब्दी में मंदिर निर्माण पृथ्वीसिंह के समय शुरू हुआ. जिन्होंने सीताराम मंदिर सहित कई निर्माण करवाए. इसके बाद कई राजाओं ने यहां मंदिर बनवाए. जिसमें सबसे प्रमुख जयपुर के संस्थापक सवाई जय सिंह का नाम है. गलता पीठ के आचार्य अवधेशाचार्य ने बताया कि महाराज सवाई जयसिंह ने जयपुर को बसाते वक्त पूर्व दिशा में मौजूद गलता पीठ का जीर्णोद्धार कराया. जयपुर राज परिवार पारम्परिक गलता जी का शिष्य था. वहीं मकर सक्रांति पर यहां स्नान के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि मकर सक्रांति पर सूर्य की उपासना की जाती है. इस दिन सूर्य शनि की राशि (मकर) में प्रवेश करते हैं. उनका प्रभाव सकारात्मक रहे इसके लिए लोग गलता कुंड में स्नान के बाद ही सूर्य मंदिर पहुंच दर्शन करते हैं और यहीं से दान पुण्य का दौर भी शुरू होता है.

Jaipur Galtaji Temple pilgrimage
प्राकृतिक सौन्दर्य मुख्याकर्षण

ये भी पढ़ें- Rajasthan Blue City: ये है राजस्थान की ब्लू सिटी, घर से गलियां तक नीले रंग में रंगी

गलता जी मंदिर और गुलाबी पत्थर- पहाड़ियां और प्राकृतिक सौन्दर्य इस पावन स्थल का मुख्याकर्षण है. गलता जी मंदिर को गुलाबी पत्थरों से बनाया गया है. मंदिर की छतों पर खूबसूरत नक्काशी देखने को मिलती है. इस भव्य धार्मिक स्थान के अंदर भगवान शिव, राम, कृष्ण, हनुमान, चोटी पर त्रिदेव के साथ गालव ऋषि का मंदिर बना है. निर्माण के कई सदियों बाद भी यहां का सौंदर्य देखने लायक है. यही वजह है कि यहां के विहंगम नजारों को देखने के लिए हर साल हजारों- लाखों देशी- विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

संक्रांति पर लगता है आस्थावानों का मेला

जयपुर. मकर संक्रांति पर दान पुण्य और पवित्र सरोवरों में स्नान का विशेष महत्व है. ऐस ही एक पवित्र स्थल है गलता तीर्थ. सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण में जाते हैं तो प्राकृतिक बदलाव होता है. चूंकि ये देवताओं का दिवस भी माना जाता है इसलिए यहां मौजूद कुंड में डुबकी लगाने और दान करने के लिए श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है. महिला पुरुष बुजुर्ग सुबह से ही यहां पहुंचकर स्नान कर दान-पुण्य करने में जुटते हैं. लोग मानते हैं कि मकर सक्रांति पर गलता कुंड में स्नान कर दान-पुण्य करने का लाभ कई गुना बढ़ जाता है.

Makar Sankranti 2023
अरावली की सर्पाकार पहाड़ियों के बीच बसा गलताजी मंदिर

ऋषि गालव ने की 60 हजार साल तक की तपस्या- गलता तीर्थ ब्रह्मा के पौत्र और महर्षी गलु के पुत्र ऋषि गालव की तपस्या स्थली है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि ऋषि गालव ने यहां 60 हजार वर्षों तक तपस्या की थी. कहा जाता है यहां गौमुख से निरंतर बहने वाली धारा गंगा की है. इससे जुड़ी एक किंवदंति भी है कि ऋषि गालव प्रतिदिन यहां से गंगा स्नान के लिए जाते थे. उनका तप और आस्था देखकर गंगा मां बहुत प्रसन्न हुई और गालव के आश्रम में स्वयं उपस्थित होकर बहने का आशीर्वाद दिया. कहते हैं तब से गंगा की धारा यहां अनवरत बहती है.

गौमुख कुंड भी खास- इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार जयपुर में माना जाता है कि कितने ही तीर्थ चले जाओ, लेकिन आखिर में यदि गलता कुंड में स्नान नहीं किया तो उन तीर्थों का फल नहीं मिलता. यही बात मकर सक्रांति पर भी लागू होती है आज भी जनमानस और शहर के पुराने रहवासी सक्रांति पर गलता कुंड पर जाकर स्नान करते हैं और उसके बाद दान पुण्य करते हैं. यहां 3 कुंड मौजूद हैं. इनमें एक जहां गालव ऋषि ने तपस्या की थी. इसके अलावा एक गौमुख कुंड जहां गाय के मुख से पानी आता है, और एक जनाना कुंड महिलाओं के स्नान के लिए बना हुआ है. उन्होंने बताया कि जयपुर में भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा आराधना का उद्भव भी यहीं से हुआ. यहां वर्तमान में जो श्रीपीठ बनी हुई है, वहां भगवान श्री राम की चरणपादुका मौजूद है. जनमानस में गलता तीर्थ के रूप में है.

Makar Sankranti 2023
गुलाबी पत्थरों से बना मंदिर

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मकर संक्रांति पर स्नान क्यों?- गलता तीर्थ पर सबसे पहले 15वीं शताब्दी में मंदिर निर्माण पृथ्वीसिंह के समय शुरू हुआ. जिन्होंने सीताराम मंदिर सहित कई निर्माण करवाए. इसके बाद कई राजाओं ने यहां मंदिर बनवाए. जिसमें सबसे प्रमुख जयपुर के संस्थापक सवाई जय सिंह का नाम है. गलता पीठ के आचार्य अवधेशाचार्य ने बताया कि महाराज सवाई जयसिंह ने जयपुर को बसाते वक्त पूर्व दिशा में मौजूद गलता पीठ का जीर्णोद्धार कराया. जयपुर राज परिवार पारम्परिक गलता जी का शिष्य था. वहीं मकर सक्रांति पर यहां स्नान के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि मकर सक्रांति पर सूर्य की उपासना की जाती है. इस दिन सूर्य शनि की राशि (मकर) में प्रवेश करते हैं. उनका प्रभाव सकारात्मक रहे इसके लिए लोग गलता कुंड में स्नान के बाद ही सूर्य मंदिर पहुंच दर्शन करते हैं और यहीं से दान पुण्य का दौर भी शुरू होता है.

Jaipur Galtaji Temple pilgrimage
प्राकृतिक सौन्दर्य मुख्याकर्षण

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गलता जी मंदिर और गुलाबी पत्थर- पहाड़ियां और प्राकृतिक सौन्दर्य इस पावन स्थल का मुख्याकर्षण है. गलता जी मंदिर को गुलाबी पत्थरों से बनाया गया है. मंदिर की छतों पर खूबसूरत नक्काशी देखने को मिलती है. इस भव्य धार्मिक स्थान के अंदर भगवान शिव, राम, कृष्ण, हनुमान, चोटी पर त्रिदेव के साथ गालव ऋषि का मंदिर बना है. निर्माण के कई सदियों बाद भी यहां का सौंदर्य देखने लायक है. यही वजह है कि यहां के विहंगम नजारों को देखने के लिए हर साल हजारों- लाखों देशी- विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

Last Updated : Jan 14, 2023, 8:15 AM IST
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