चाकसू (जयपुर). राजस्थान में गुर्जर आरक्षण का मुद्दा गर्माया हुआ है. इस बीच भरतपुर जिले के बयाना के अड्डा गांव में गुर्जर महापंचायत को लेकर एफआईआर दर्ज होने पर गुर्जर नेताओं ने सरकार के इस रवैये पर न सिर्फ कड़ा एतराज जताया है, बल्कि कांग्रेस नेताओं पर मुकदमा दर्ज करने की मांग भी की है.
बुधवार को चाकसू उपखंड कार्यालय पर इस मांग को लेकर गुर्जर समाज के लोगों ने एसडीएम को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा. गुर्जर नेताओं ने सरकार को कोरोना काल में हुए कांग्रेस पार्टी के आयोजनों की याद दिलाई. कांग्रेस कार्यक्रमों की तस्वीरें साझा करते हुए गुर्जर समाज ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा तक पर एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की है.
स्थानीय गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व जिला पार्षद भूणाराम गुर्जर, युवा नेता प्रहलाद भक्त सहित समाज के वक्ताओं ने कहा कि गुर्जरों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी पावर का गलत इस्तेमाल कर रही है.
उन्होंने कहा है कि 'समान अपराध समान दंड' के नियम के तहत सरकार को कांग्रेस नेताओं पर भी कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर 33 लोगों पर नहीं बल्कि प्रदेश भर के एमबीसी समाज पर की है, क्योंकि यह महापंचायत समस्त राजस्थान के एमबीसी समाज की बुलाईं गई थी. इन तरीकों से समाज को जितना दबाने की कोशिश की जाएगी. उसमें उतना ही उबाल आएगा.
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उन्होंने कहा है कि गुर्जर नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर राज्य सरकार एमबीसी के न्याय और हक की आवाज को दबाना चाहती है. उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में सभी राजनीतिक दलों ने कई बार धरना-प्रदर्शन किए, लेकिन एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई. गुर्जर नेताओं की माने तो भरतपुर जिले के बयाना तहसील के अड्डा गांव में गत दिनों गुर्जर महापंचायत बुलाई गई थी. इसमें समाज ने आंदोलन को स्थगित करने का तो एलान कर दिया था पर अगले ही दिन पुलिस ने कोरोना काल में बिना अनुमति महापंचायत के आयोजन को लेकर गुर्जर नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर डाली.