जयपुर. राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा पहुंची तो लगा कि कांग्रेस में नई स्फूर्ति का संचार हो गया है. खबरें खूब उड़ीं. राहुल गांधी की पायलट और गहलोत संग हुई 1 घंटे की मिटिंग से मान लिया गया कि संघर्ष विराम हो गया है और शांति काल लौट आया है (Gehlot Vs Pilot). लगा कि अब दोनों साथ मिलकर चुनावों में पार्टी के लिए वोट मांगेंगे. लेकिन पिछले लगभग 3-4 दिनों से जिस तरह के हालात बन रहे हैं उससे All is Well पर संशय हो रहा है.
पायलट दिखा रहे ताकत!- किसान सम्मेलनों में पायलट अपनी ही सरकार से चुभते सवाल पूछ रहें हैं. पेपर लीक और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. इतना ही नहीं पायलट कैंप के विधायक मंच से हजारों लोगों के सामने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की लगातार मांग कर रहे हैं. साफ है कि राजस्थान में एक बार फिर पायलट और गहलोत के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है.
गहलोत Vs पायलट- हालात यह है कि सचिन पायलट ने जब पेपर लीक मामले में छोटे-मोटे दलालों की जगह सरगना पर कार्रवाई करने की बात कही ,तो खुद मुख्यमंत्री आगे आए और उन्होंने कहा कि पेपर लीक में कोई नेता या अधिकारी शामिल नहीं है. गहलोत के इस बयान के जवाब में सचिन पायलट ने भी झुंझुनू में हुई सभा में कह दिया कि अगर अधिकारी और नेता पेपर लीक में शामिल नहीं है तो फिर क्या कोई जादूगरी है जो पेपर स्ट्रांग रूम के तालों से निकलकर बच्चों के हाथ में पहुंच गए.
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गुटों की जंग- पायलट कैंप के मंत्री हेमाराम चौधरी हों, राजेंद्र गुढ़ा हों या विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा सभी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी कर रहे हैं. हेमाराम ने तो यहां तक कह दिया कि अगर युवाओं को हम 1980 से सत्ता और संगठन के केंद्र में रहे नेता मौका नहीं देंगे तो फिर युवा हमें धक्का देकर अपना मौका ले लेंगे. वहीं, राजेंद्र गुढ़ा ने पिछली बार 21 सीट लाने वाले गहलोत को 100 सीट जीतने वाले पायलट की जगह मुख्यमंत्री बनाए जाने को पायलट के साथ अन्याय बता दिया.
अब क्योंकि पायलट कैम्प गहलोत कैंप सीधे हमले कर रहा है तो गहलोत गुट भी एक्टिव हो गया है. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो सचिन पायलट को जवाब दे ही रहे हैं वहीं राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का बयान भी पायलट की मुखालफत की ओर इशारा करता है. उन्होंने सचिन पायलट के किसान सम्मेलनों को कांग्रेस का आधिकारिक कार्यक्रम मानने से ही इनकार कर दिया. निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार बाबूलाल नागर ने तो सचिन पायलट के किसान सम्मेलनों को लेकर यहां तक कह दिया कि सचिन पायलट जैसे युवाओं का काम यही है कि वह घूमें, प्रदर्शन करें, रैलियां करें और पार्टी को मजबूत करें लेकिन चुनाव गहलोत जैसे वरिष्ठ और तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके नेताओं के नाम पर ही होंगे.
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