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भरतपुर में मेगा फ्लावर शो: 40 साल तक के नन्हे वृक्ष देख रोमांचित हुए लोग - BONSAI PLANTS EXHIBITION

भरतपुर में आयोजित मेगा फ्लावर शो में बोनसाई पेड़ों को देख लोग रोमांचित हो गए. इनकी ऊंचाई अधिकतम ढाई फीट तक है.

Bonsai Plants exhibition
बोनसाई पेड़ों की प्रदर्शनी (ETV Bharat Bharatpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 10, 2025, 5:51 PM IST

भरतपुर: शहर में आयोजित द्वितीय मेगा फ्लावर शो में 40 साल के बोनसाई पेड़ भी प्रदर्शित किए गए. इनकी अधिकतम हाइट 2 फीट तक है. मोर और गणेश जैसी आकृतियों में ढले ये पेड़ न केवल देखने में अद्भुत हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्रीनरी को लेकर एक गहरा संदेश भी देते हैं. शास्त्री पार्क में आयोजित इस भव्य प्रदर्शनी में अलग-अलग प्रजाति और आकार के बोनसाई आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. हरित बृज सोसायटी के सचिव सतेंद्र यादव ने बताया कि पीपल, बरगद, जेड प्लांट, गुड़हल, बोगनवेलिया और फाइकस जैसी 15 से अधिक प्रजातियों के बोनसाई पौधे प्रदर्शित किए गए हैं, जो 40 साल तक की उम्र के हैं. इनकी हाइट 1 से 2.5 फीट तक है. ये मोर व गणेश जैसी कलात्मक आकृतियों में ढाले गए हैं.

40 साल के ढाई फीट के पेड़ देख हुआ अचंभा (ETV Bharat Bharatpur)

सतेंद्र यादव ने बताया कि बोनसाई जापान और चीन में प्रचलित एक अनोखी कला है, जिसमें किसी भी विशाल वृक्ष को छोटे आकार में सीमित रखते हुए उसका प्राकृतिक स्वरूप बनाए रखा जाता है. ये देखने में बड़े वृक्ष जैसे ही दिखते हैं, लेकिन आकार छोटा होता है. अपनी अनूठी आकृति और बारीकी से की गई छंटाई के कारण ये लोगों को आकर्षित करते हैं. उन्होंने बताया कि बोनसाई पेड़ तैयार करने और उनकी देखभाल में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. इन पौधों को छोटा बनाए रखने और उनकी प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए कुछ खास तकनीकों का पालन करना होता है.

पढ़ें: कोटा में तीन दिवसीय चंबल बायोडायवर्सिटी फेस्टिवल का आगाज - rajasthan news

  1. नमी का संतुलन: बोनसाई पौधों की मिट्टी में हमेशा हल्की नमी बनाए रखनी होती है. बहुत अधिक पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं, जबकि कम पानी देने से पौधा सूख सकता है.
  2. सालाना रिपॉटिंग: हर साल बोनसाई को गमले से निकालकर जड़ों की छंटाई की जाती है, ताकि वे जरूरत से ज्यादा न फैलें. इसके बाद उन्हें ताजी मिट्टी में फिर से लगाया जाता है ताकि पौधा स्वस्थ बना रहे.
  3. मिट्टी का विशेष मिश्रण: बोनसाई के लिए सामान्य मिट्टी की बजाय बजरी, जैविक खाद और सूक्ष्म पोषक तत्वों से तैयार किया गया विशेष मिश्रण उपयोग किया जाता है, जिससे जल निकासी अच्छी बनी रहे और पौधे को पर्याप्त पोषण मिले.
  4. नियमित छंटाई: बोनसाई का सही आकार बनाए रखने के लिए उसकी शाखाओं और पत्तियों की नियमित छंटाई जरूरी होती है. छंटाई से पौधा घना और आकर्षक दिखता है.
  5. उपयुक्त स्थान: बोनसाई पौधों को ऐसी जगह रखना चाहिए जहां उन्हें सुबह की हल्की धूप मिले और दोपहर की तेज धूप से बचाया जा सके.

पढ़ें: Bonsai Plant Garden : ये हैं बोनसाई मैन, इनकी बगिया में मिलेंगे रुद्राक्ष समेत 400 सौ से अधिक पौधे - Retired bank officer planted garden

बोनसाई के अलावा भी बहुत कुछ:

यादव ने बताया कि इस साल के मेगा फ्लावर शो में बोनसाई के अलावा और भी कई अद्भुत पौधे और बागवानी की तकनीकों की जानकारी दी गई.

  1. दुर्लभ कैक्टस और सक्यूलेंट्स: रेगिस्तानी पौधों की ऐसी प्रजातियां जिन्हें विशेष रूप से तैयार किया गया.
  2. औषधीय पौधे: तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, गिलोय और अन्य जड़ी-बूटियां जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं.
  3. एयर प्यूरीफाइंग प्लांट्स: घर में हवा को शुद्ध करने वाले पौधे जैसे स्नेक प्लांट, मनी प्लांट और एरेका पाम.
  4. सजावटी पौधे: विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों और लताओं से सजी गमलों की प्रदर्शनी.
  5. किचन गार्डनिंग: छोटे स्थान में सब्जियां और मसाले उगाने की कला.

कार्यशालाएं और प्रतियोगिताएं:

इस भव्य आयोजन में न केवल पौधों की प्रदर्शनी थी, बल्कि बागवानी और कला से जुड़ी कई विशेष कार्यशालाएं भी आयोजित की गई.

  1. बोनसाई और कैक्टस टोपियारी: बोनसाई और कैक्टस को सुंदर आकार देने की तकनीक पर लाइव डेमोस्ट्रेशन.
  2. बायोएंजाइम और ऑर्गेनिक गार्डनिंग: प्राकृतिक खाद और जैविक बागवानी के तरीकों पर जानकारी.
  3. टेरेरियम गार्डनिंग: छोटे कांच के कंटेनरों में गार्डन तैयार करने की कला.
  4. फूलों की रंगोली और पेंटिंग प्रतियोगिताएं: प्रकृति से प्रेरित कलात्मक रचनाओं के लिए प्रतियोगिताएं.
  5. बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट: बेकार चीजों से खूबसूरत गार्डन डेकोर तैयार करने की प्रतियोगिता.

पढ़ें: शाैक काे बनाया करियर, आज लाखाें में हाे रही कमाई - hobby bonsai tree startup into a career

सचिव सतेंद्र यादव ने बताया कि भरतपुर के इस मेगा फ्लावर शो का मुख्य उद्देश्य केवल सुंदर पौधों का प्रदर्शन करना ही नहीं था, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देना भी था. शो के दौरान स्थानीय नर्सरी द्वारा पौधों के स्टॉल भी लगाए गए, जहां लोगों को सस्ती दरों पर पौधे, चीनी मिट्टी के गमले और वर्मी कम्पोस्ट खाद उपलब्ध कराई गई, ताकि वे अपने घरों में हरियाली बढ़ा सकें.

भरतपुर: शहर में आयोजित द्वितीय मेगा फ्लावर शो में 40 साल के बोनसाई पेड़ भी प्रदर्शित किए गए. इनकी अधिकतम हाइट 2 फीट तक है. मोर और गणेश जैसी आकृतियों में ढले ये पेड़ न केवल देखने में अद्भुत हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्रीनरी को लेकर एक गहरा संदेश भी देते हैं. शास्त्री पार्क में आयोजित इस भव्य प्रदर्शनी में अलग-अलग प्रजाति और आकार के बोनसाई आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. हरित बृज सोसायटी के सचिव सतेंद्र यादव ने बताया कि पीपल, बरगद, जेड प्लांट, गुड़हल, बोगनवेलिया और फाइकस जैसी 15 से अधिक प्रजातियों के बोनसाई पौधे प्रदर्शित किए गए हैं, जो 40 साल तक की उम्र के हैं. इनकी हाइट 1 से 2.5 फीट तक है. ये मोर व गणेश जैसी कलात्मक आकृतियों में ढाले गए हैं.

40 साल के ढाई फीट के पेड़ देख हुआ अचंभा (ETV Bharat Bharatpur)

सतेंद्र यादव ने बताया कि बोनसाई जापान और चीन में प्रचलित एक अनोखी कला है, जिसमें किसी भी विशाल वृक्ष को छोटे आकार में सीमित रखते हुए उसका प्राकृतिक स्वरूप बनाए रखा जाता है. ये देखने में बड़े वृक्ष जैसे ही दिखते हैं, लेकिन आकार छोटा होता है. अपनी अनूठी आकृति और बारीकी से की गई छंटाई के कारण ये लोगों को आकर्षित करते हैं. उन्होंने बताया कि बोनसाई पेड़ तैयार करने और उनकी देखभाल में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. इन पौधों को छोटा बनाए रखने और उनकी प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए कुछ खास तकनीकों का पालन करना होता है.

पढ़ें: कोटा में तीन दिवसीय चंबल बायोडायवर्सिटी फेस्टिवल का आगाज - rajasthan news

  1. नमी का संतुलन: बोनसाई पौधों की मिट्टी में हमेशा हल्की नमी बनाए रखनी होती है. बहुत अधिक पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं, जबकि कम पानी देने से पौधा सूख सकता है.
  2. सालाना रिपॉटिंग: हर साल बोनसाई को गमले से निकालकर जड़ों की छंटाई की जाती है, ताकि वे जरूरत से ज्यादा न फैलें. इसके बाद उन्हें ताजी मिट्टी में फिर से लगाया जाता है ताकि पौधा स्वस्थ बना रहे.
  3. मिट्टी का विशेष मिश्रण: बोनसाई के लिए सामान्य मिट्टी की बजाय बजरी, जैविक खाद और सूक्ष्म पोषक तत्वों से तैयार किया गया विशेष मिश्रण उपयोग किया जाता है, जिससे जल निकासी अच्छी बनी रहे और पौधे को पर्याप्त पोषण मिले.
  4. नियमित छंटाई: बोनसाई का सही आकार बनाए रखने के लिए उसकी शाखाओं और पत्तियों की नियमित छंटाई जरूरी होती है. छंटाई से पौधा घना और आकर्षक दिखता है.
  5. उपयुक्त स्थान: बोनसाई पौधों को ऐसी जगह रखना चाहिए जहां उन्हें सुबह की हल्की धूप मिले और दोपहर की तेज धूप से बचाया जा सके.

पढ़ें: Bonsai Plant Garden : ये हैं बोनसाई मैन, इनकी बगिया में मिलेंगे रुद्राक्ष समेत 400 सौ से अधिक पौधे - Retired bank officer planted garden

बोनसाई के अलावा भी बहुत कुछ:

यादव ने बताया कि इस साल के मेगा फ्लावर शो में बोनसाई के अलावा और भी कई अद्भुत पौधे और बागवानी की तकनीकों की जानकारी दी गई.

  1. दुर्लभ कैक्टस और सक्यूलेंट्स: रेगिस्तानी पौधों की ऐसी प्रजातियां जिन्हें विशेष रूप से तैयार किया गया.
  2. औषधीय पौधे: तुलसी, एलोवेरा, अश्वगंधा, गिलोय और अन्य जड़ी-बूटियां जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं.
  3. एयर प्यूरीफाइंग प्लांट्स: घर में हवा को शुद्ध करने वाले पौधे जैसे स्नेक प्लांट, मनी प्लांट और एरेका पाम.
  4. सजावटी पौधे: विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों और लताओं से सजी गमलों की प्रदर्शनी.
  5. किचन गार्डनिंग: छोटे स्थान में सब्जियां और मसाले उगाने की कला.

कार्यशालाएं और प्रतियोगिताएं:

इस भव्य आयोजन में न केवल पौधों की प्रदर्शनी थी, बल्कि बागवानी और कला से जुड़ी कई विशेष कार्यशालाएं भी आयोजित की गई.

  1. बोनसाई और कैक्टस टोपियारी: बोनसाई और कैक्टस को सुंदर आकार देने की तकनीक पर लाइव डेमोस्ट्रेशन.
  2. बायोएंजाइम और ऑर्गेनिक गार्डनिंग: प्राकृतिक खाद और जैविक बागवानी के तरीकों पर जानकारी.
  3. टेरेरियम गार्डनिंग: छोटे कांच के कंटेनरों में गार्डन तैयार करने की कला.
  4. फूलों की रंगोली और पेंटिंग प्रतियोगिताएं: प्रकृति से प्रेरित कलात्मक रचनाओं के लिए प्रतियोगिताएं.
  5. बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट: बेकार चीजों से खूबसूरत गार्डन डेकोर तैयार करने की प्रतियोगिता.

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सचिव सतेंद्र यादव ने बताया कि भरतपुर के इस मेगा फ्लावर शो का मुख्य उद्देश्य केवल सुंदर पौधों का प्रदर्शन करना ही नहीं था, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देना भी था. शो के दौरान स्थानीय नर्सरी द्वारा पौधों के स्टॉल भी लगाए गए, जहां लोगों को सस्ती दरों पर पौधे, चीनी मिट्टी के गमले और वर्मी कम्पोस्ट खाद उपलब्ध कराई गई, ताकि वे अपने घरों में हरियाली बढ़ा सकें.

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