जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच 4 साल से जारी राजनीतिक अदावत को, राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महज 4 घंटे में दोनों नेताओं के साथ बातचीत कर समाप्त करा दिया है. हालांकि अभी यक्ष प्रश्न ये है कि किस फार्मूले के तहत दोनों नेता राजस्थान में "हम साथ साथ हैं" के तर्ज पर विधानसभा चुनाव-2023 में जाने के लिए तैयार हुए हैं. भले ही फार्मूला कुछ भी तय हुआ हो लेकिन एक बात साफ है कि सचिन पायलट को पार्टी ने कोई ना कोई पद और ताकत देने का आश्वासन जरूर दिया है.
गहलोत राजस्थान कांग्रेस में पहले से ही सर्वव्यापक, ऐसे में बैठक में सचिन पायलट को कुछ मिला होगा : गहलोत और पायलट के बीच किस फार्मूले पर सहमति बनी है ये तो अभी सामने आना बाकी है, लेकिन एक बात साफ है कि फार्मूला भले ही कुछ भी बना हो लेकिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस में फिर से पैर रखने का स्थान मिल गया. अब तक पायलट के पास राजस्थान में न तो कोई पद है, न नीति निर्धारण में उनसे कोई राय ही ली जाती है. ऐसे में एक बात तो साफ है कि इस बैठक से अगर किसी नेता को कुछ मिला है तो वो सचिन पायलट हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो वैसे भी राजस्थान में कांग्रेस राजनीति के सारे निर्णय ले रहे थे और ऐसी कोई ताकत नहीं थी जिसकी उन्हें अब जरूरत हो. ऐसे में इस बैठक का फायदा सचिन पायलट को ही हुआ है लेकिन सचिन पायलट राजस्थान में सत्ता और संगठन में कितनी पावर शेयरिंग करवाने में सफल हुए हैं ये तो आने वाला समय ही बताएगा.
अध्यक्ष या कैम्पेन कमेटी में से मिलेगा एक पद, पहले पायलट की मांगों का निकलेगा हल, आज अल्टीमेटम हो रहा समाप्त : 29 मई को शाम 6 बजे राहुल गांधी और मलिकार्जुन खड़गे अपने काम में जुटे. पहले उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ 2 घंटे चर्चा की, जिसमें संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी शामिल किया गया. कहा जा रहा है कि जब अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के साथ राजस्थान में मिलकर चुनाव लड़ने और पावर शेयरिंग की हामी भरी, उसके बाद ही रात 8 बजे सचिन पायलट को अंदर बुलाया गया. क्योंकि पावर शेयरिंग का फार्मूला राहुल गांधी और मलिकार्जुन खड़गे पहले से ही तैयार करके बैठे थे. ऐसे में सचिन पायलट के सामने केवल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हामी भरवाई गई. अब पायलट राजस्थान कांग्रेस के फिर से अध्यक्ष बनेंगे या फिर उन्हें चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन बनाया जाएगा यह आने वाला समय बताएगा.
लेकिन सचिन पायलट की पहली मांग है उन 3 मुद्दों पर सरकार की कार्रवाई जो उन्होंने जनता के सामने 15 दिन के अल्टीमेटम के साथ रखे थे. ऐसे में अब संभव है कि इन तीन मांगों में से आरपीएससी भंग करने की मांग को छोड़कर बाकी दोनों मांगों पर सरकार की ओर से कोई कार्रवाई होगी. आरपीएससी में अपॉइंटमेंट को लेकर भी सरकार की ओर से कोई नए फार्मूले की बात की जा सकती है. पायलट के 15 दिनों के अल्टीमेटम का अंतिम दिन आज यानी 30 मई को समाप्त हो रहा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आज ही शाम तक सरकार की ओर से उनकी तीनों मांगों पर कोई कार्रवाई की जा सकती है. चाहे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समय हुए भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में पूर्व न्यायाधीश की कमेटी बनाकर जांच की बात कही जाए या जिन छात्रों के पेपर लीक हुए उन्हें छात्रवृत्ति योजना के साथ जोड़कर राहत दी जाए. कोई बीच का रास्ता आज ही निकाले जाने की उम्मीद है. ताकि पायलट जब 31 मई को टोंक विधानसभा के दौरे में जाएं तो उनके पास जनता को देने के लिए जवाब हो.