जयपुर. 25 सितंबर 2022 से पहले राजस्थान में गांधी परिवार या कांग्रेस पार्टी की नजर में राजस्थान या पूरे देश में कोई नेता सबसे विश्वसनीय और महत्वपूर्ण माना जाता था तो वह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे. यही कारण था कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष तक बनाने का निर्णय कांग्रेस आलाकमान की ओर से गांधी परिवार ने किया था. 25 सितंबर को जिस तरह राजस्थान में विधायक दल की बैठक बुलाई गई और उस विधायक दल की बैठक से पहले गहलोत समर्थक विधायकों ने समानांतर विधायक दल की बैठक कर अपने इस्तीफे सौंप दिए, उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान के बीच दूरियां बढ़ गईं थीं. हालात ये बन गए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सोनिया गांधी से दिल्ली जाकर माफी मांगनी पड़ी और उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर चुनाव नहीं लड़ने का भी फैसला करना पड़ा.
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पूरे देश में लागू किया जाएगा राजस्थान का मॉडलः इसके बाद 2 महीने के लिए लगा कि अब गहलोत और गांधी परिवार के बीच रिश्तो में खटास आ गई है. बीते 4 महीनों में धीरे-धीरे ही सही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिर से गांधी परिवार और कांग्रेस आलाकमान की आंख के तारे बनते जा रहे हैं. चाहे भारत जोड़ो यात्रा की राजस्थान में सफलता हो, या गहलोत सरकार की योजनाएं हो. उन्हें कांग्रेस पार्टी पूरे देश के लिए कांग्रेस के मेनिफेस्टो में लागू करने का मानस बना रही है. चाहे राहुल गांधी का ओपीएस की तारीफ करते हुए उसे हिमाचल प्रदेश में भी लागू करवाने को लेकर कहीं बात हो या फिर राजस्थान में 500 रुपए में उज्जवला योजना वाले 76 लाख परिवारों को घरेलू गैस उपलब्ध करवाने की तारीफ हो या फिर अब राजस्थान के चिरंजीवी और स्वास्थ्य का अधिकार योजना हो. इन सभी गहलोत सरकार की योजनाओं को अहम मानते हुए इन योजनाओं के जरिए कांग्रेस पार्टी यह मैसेज दे रही है कि राजस्थान का मॉडल अब पूरे देश में लागू किया जाएगा.
गहलोत और गांधी परिवार की दूरियां समाप्तः साफ है की राजस्थान मॉडल जिसे गहलोत मॉडल कहा जा रहा है. अगर वह कांग्रेस पार्टी का मॉडल बनने जा रहा है, तो गहलोत और कांग्रेस पार्टी या फिर गहलोत और गांधी परिवार के बीच की दूरियां अब समाप्त हो चुकी है. इसी गहलोत मॉडल के जरिए कांग्रेस अब केंद्र की सत्ता में वापसी का प्रयास करती दिखाई दे रही है. खुद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह कहा कि अब देश में गुजरात मॉडल नहीं राजस्थान मॉडल की चर्चा हो रही है, तो फिर राजस्थान मॉडल की बेहतरीन योजनाओं को पार्टी देश के अन्य राज्यों में भी लागू करेगी.
ऐसे बढ़ी आलाकमान से नजदीकीः 25 सितंबर की घटना के बाद गहलोत और कांग्रेस आलाकमान में तल्खियां बढ़ी थीं. इसके बाद गहलोत ने अपनी योजनाओं के जरिए कांग्रेस आलाकमान का दिल जीतने का प्रयास शुरू किया और सबसे पहले उन्हें कामयाबी मिली ओपीएस के जरिए. जब विगत 12 नवंबर को राहुल गांधी ने राजस्थान की OPS योजना को हिमाचल में लागू करने की बात कही. वहीं 22 दिसंबर को राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उज्जवला के 76 लाख कनेक्शन धारियों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने की योजना के जरिए प्रधानमंत्री पर सवाल खड़े किए. अब राजस्थान की चिरंजीवी योजना के साथ ही राइट टू हेल्थ (RTH) को कांग्रेस पार्टी ने अपना लिया है. इसे लेकर बात रखने मंत्री परसादी लाल मीणा को भी दिल्ली बुलाया. जिन्होंने एआईसीसी में इस योजना को लेकर अपनी बात रखी.
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अपने बजट का 7 फीसद स्वास्थ पर खर्च कर रहा है राजस्थानः दिल्ली में राइट टू हेल्थ (RTH) बिल को लेकर अपनी बात रखते हुए मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जो अपने बजट का 7% हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्चा कर रहा है. उन्होंने कहा कि राजस्थान ने आम जनता को स्वास्थ्य का अधिकार दिया है. यह अधिकार राहुल गांधी की सोच का ही परिणाम है. उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री से पूछा था कि चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के बाद क्या? तो मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम राजस्थान की जनता को राइट टू हेल्थ देंगे और अब हमने यह काम करके दिखाया है. वहीं उन्होंने साफ कहा कि प्राइवेट अस्पताल अगर इन्हें लागू नहीं करना चाहे तो नहीं करें, लेकिन जो अस्पताल सरकार से फायदा ले रहे हैं. उन्हें राइट टू हेल्थ देना होगा.
एक माह में बिल कानून का रूप ले लेगाः उन्होंने आगे कहा कि 1 महीने में राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद राइट टू हेल्थ बिल कानून बन जाएगा और वह राजस्थान में लागू हो जाएगा. उसके बाद हम जो नियम बनाएंगे उसमें प्राइवेट डॉक्टर्स का भी ध्यान रखेंगे और अगर हमारे नियम उन्हें अच्छे लगे तो वह भी उसमें शामिल हो सकते हैं. मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि हम चाहते हैं कि मानवता के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूरे देश के लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार दें. इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश में डॉक्टरों की कमी से साफ इंकार करते हुए कहा कि प्रदेश के हर सीएचसी और पीएचसी में डॉक्टर हैं, तो वहीं जहां जांच की सुविधा नहीं है वहां भी हर सीएचसी पीएचसी में 15 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए गए हैं, ताकि बाहर से जांच करवाई जा सके. बहरहाल आम आदमी के लिए यह जांच बिल्कुल फ्री होगी.