जयपुर. पूरा देश आज गणेश चतुर्थी पर प्रथम पूज्य गणेश जी महाराज का जन्मदिन मनाया जा रहा है. भगवान गणेश के जन्म की पौराणिक मान्यता और कथा कहानियों से सभी परिचित हैं. सभी ये भी जानते हैं कि किस तरह भगवान गणेश को हाथी के सिर वाला स्वरूप मिला. लेकिन हम आपको बताएंगे की राजधानी जयपुर में एक मंदिर ऐसा भी है. जहां भगवान गणेश के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है. यानी बिना सूंड वाले गणेश जी की पूजा अर्चना होती है.
नाहरगढ़ पहाड़ी पर महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ करवाकर गणेश जी के बाल स्वरूप वाली प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी. इसके बाद जयपुर की नींव रखी गई थी. रियासत कालीन ये मंदिर करीब 450 साल पुराना है. जानकारी के अनुसार यहां मंदिर में गणपति को इस तरह प्रतिष्ठित किया गया था. ताकि सिटी पैलेस के इंद्र महल से महाराज दूरबीन से भगवान के दर्शन करके अपने दिन की शुरुआत कर सके.
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इस मंदिर तक पहुंचने के लिए हर रोज एक सीढ़ी का निर्माण किया गया था. पूरे 1 साल तक निर्माण कार्य चला और 365 सीढ़ियां बनाई गई. इन सीढ़ियों के निर्माण से पहले पहाड़ से ही आने का रास्ता हुआ करता था. जहां से आज भी सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर परिसर तक पहुंचते हैं.
भगवान को शादियों का निमंत्रण देने आते हैं भक्त
आज गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान विनायक के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से भक्त यहां पहुंचे. श्रद्धालुओं की माने तो गढ़ गणेश से मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां शहरवासी शादियों के निमंत्रण लेकर आज भी गणेश जी महाराज के दर पर पहुंचते हैं.
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आपको बता दें कि मंदिर के निर्माण के समय सवाई जयसिंह ने वास्तु का भी ध्यान रखा. शहर की बसावट भी इसी वास्तु के आधार पर की गई. चूंकि मंदिर परिसर में फोटोग्राफी की सख्त मनाही है. ऐसे में हम आपको बाल गणेश के दर्शन नहीं करा सकते. लेकिन यदि आप जयपुर आते हैं, तो नाहरगढ़ पहाड़ी पर मौजूद गढ़ गणेश मंदिर पहुंच भगवान के दर्शन जरूर कर सकते हैं.