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Special: धार्मिक रीति-रिवाज पर प्रहार कर रहा कोरोना...मृत्यु के बाद संस्कार भी नसीब नहीं

कोरोना ने हिन्दू सनातन धर्म के रीति-रिवाज और परंपराओं को गहरा आघात पहुंचाया है. जिसकी वजह से पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार भी शास्त्रोक्त मान्यताओं के मुताबिक नहीं हो पा रहा है. ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि मृत्यु के बाद धार्मिक रीति-रिवाज से अगर संस्कार न हो तो आत्मा की शांति नहीं होती. देखिए जयपुर से यह खास रिपोर्ट...

Corona Funeral Guide Line, Corona Infected Death Guide Line, Funeral procession in the corona era, Corona's impact on society
धार्मिक मान्यताओं पर कोरोना प्रहार
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Published : Dec 7, 2020, 6:11 PM IST

Updated : Dec 7, 2020, 7:58 PM IST

जयपुर. कहते हैं कि 'आपत्ति काले धर्मोनस्ति'...आपत्ति जहां होती है वहां धर्म का नाश होता है. कोरोना के इसी आपत्ति काल ने धर्म-संस्कारों को नुकसान पहुंचाया है. मानव का शरीर अंतिम सीढ़ी पर चढ़ता है तो सारे रिश्ते नाते छोड़ दुनिया को अलविदा कह देता है. कोरोना ने उन्हीं रिश्ते-नातों को छलनी-छलनी कर दिया है. एक तरफ राजस्थान में कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है और दूसरी तरफ दम तोड़ने वाले लोगों को उनका आखिरी सफर भी रस्म के साथ नसीब नहीं हो रहा है. हालात ये हैं कि अब अंतिम संस्कार की सारी रस्में पंडित और परिजन न करके मेडिकल टीम और मोक्ष धाम के कर्मचारी कर रहे हैं.

कोरोना काल में धार्मिक मान्यताओं पर प्रहार

हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हो रहा अंतिम संस्कार...

भारत धर्म और संस्कृति का देश है. यहां बच्चे का जन्म होने पर कांसे की थाली बजाकर उत्सव मनाया जाता है. ठीक वैसे ही किसी की मृत्यु होने पर शवयात्रा निकाली जाती है. शास्त्रों में शव यात्रा की तुलना भी उत्सव से की गई है. अर्थी को फूल-मालाओं से सजाने और शवयात्रा के साथ कीर्तन करते हुए श्मशान तक जाने की पीछे भी यही भावना है. मृत्यु होने पर नाते-रिश्तेदार और परिजन हरि नाम कीर्तन करते हुए मोक्षधाम तक शवयात्रा में जाते हैं. जहां पंडित द्वारा पूरे हिन्दू धर्म की संस्कृति के हिसाब से अंतिम क्रियाएं कराते हैं, लेकिन अब ये सब रस्में नहीं हो रही हैं. कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने पर अब सिर्फ मेडिकल टीम के लोग ही मोक्षधाम में दाह संस्कार कर रहे हैं.

Corona Funeral Guide Line, Corona Infected Death Guide Line, Funeral procession in the corona era, Corona's impact on society
मेडिकल टीम करा रही अंतिम संस्कार

पढ़ें- दर्द किया बयांः रेस्टोरेंट और ढाबा संचालकों के लिए नाइट कर्फ्यू लॉकडाउन के बराबर

कोरोना संक्रमित की मृत्यु होने पर अस्पताल से सीधे मोध-धाम ले जाने की मजबूरी...

दरअसल, कोविड-19 से किसी की मृत्यु होती है तो ऐसी स्थिति में उसका शव घर की बजाए सीधे मोक्षधाम ले जाकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इसको लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि यह धर्म मर्यादाओं के अनुरूप नहीं है, लेकिन मजबूरी है. यही वजह है कि कोरोना ने हमारे रिश्तों-नातों और धार्मिक संस्कारों को प्रभावित किया है.

धार्मिक मान्यता के विपरीत हो रहे संस्कार...

पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है कि गरुड़ पुराण के अनुसार अंतिम संस्कार के सभी कार्यों को करने की विशेष रीति और नियम होते हैं. उसी के तहत किए गए कार्य से ही आत्मा को शांति मिलती है. मान्यता के मुताबिक अगले जन्म अर्थात नए शरीर में उसके प्रवेश के द्वार खुलते हैं या वह स्वर्ग में चला जाता है. हिंदुओ में साधु-संतों और बच्चों को दफनाया जाता है, जबकि सामान्य व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाता है. ऐसे में दोनों ही तरीके यदि वैदिक रीति और सभ्यता से किए जाएं तो उचित है, लेकिन कोरोना काल में ये सब संभव नहीं है.

Corona Funeral Guide Line, Corona Infected Death Guide Line, Funeral procession in the corona era, Corona's impact on society
एंबुलेंस में निकल रही शवयात्रा

पढ़ें- बेथलहम : क्रिसमस ट्री को जगमग करने के समारोह में बहुत कम लोग हुए शामिल

वैसे तो पूरी दुनिया में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार करने का एक तरीका होता है. जो उस इंसान के मजहब, उसके देश, क्षेत्र और परंपराओं पर निर्भर करता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जिन लोगों की अकाल मौत हो रही है उनका अंतिम संस्कार धार्मिक आस्थाओं से इतर हो रहा है.

जयपुर. कहते हैं कि 'आपत्ति काले धर्मोनस्ति'...आपत्ति जहां होती है वहां धर्म का नाश होता है. कोरोना के इसी आपत्ति काल ने धर्म-संस्कारों को नुकसान पहुंचाया है. मानव का शरीर अंतिम सीढ़ी पर चढ़ता है तो सारे रिश्ते नाते छोड़ दुनिया को अलविदा कह देता है. कोरोना ने उन्हीं रिश्ते-नातों को छलनी-छलनी कर दिया है. एक तरफ राजस्थान में कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है और दूसरी तरफ दम तोड़ने वाले लोगों को उनका आखिरी सफर भी रस्म के साथ नसीब नहीं हो रहा है. हालात ये हैं कि अब अंतिम संस्कार की सारी रस्में पंडित और परिजन न करके मेडिकल टीम और मोक्ष धाम के कर्मचारी कर रहे हैं.

कोरोना काल में धार्मिक मान्यताओं पर प्रहार

हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हो रहा अंतिम संस्कार...

भारत धर्म और संस्कृति का देश है. यहां बच्चे का जन्म होने पर कांसे की थाली बजाकर उत्सव मनाया जाता है. ठीक वैसे ही किसी की मृत्यु होने पर शवयात्रा निकाली जाती है. शास्त्रों में शव यात्रा की तुलना भी उत्सव से की गई है. अर्थी को फूल-मालाओं से सजाने और शवयात्रा के साथ कीर्तन करते हुए श्मशान तक जाने की पीछे भी यही भावना है. मृत्यु होने पर नाते-रिश्तेदार और परिजन हरि नाम कीर्तन करते हुए मोक्षधाम तक शवयात्रा में जाते हैं. जहां पंडित द्वारा पूरे हिन्दू धर्म की संस्कृति के हिसाब से अंतिम क्रियाएं कराते हैं, लेकिन अब ये सब रस्में नहीं हो रही हैं. कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने पर अब सिर्फ मेडिकल टीम के लोग ही मोक्षधाम में दाह संस्कार कर रहे हैं.

Corona Funeral Guide Line, Corona Infected Death Guide Line, Funeral procession in the corona era, Corona's impact on society
मेडिकल टीम करा रही अंतिम संस्कार

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कोरोना संक्रमित की मृत्यु होने पर अस्पताल से सीधे मोध-धाम ले जाने की मजबूरी...

दरअसल, कोविड-19 से किसी की मृत्यु होती है तो ऐसी स्थिति में उसका शव घर की बजाए सीधे मोक्षधाम ले जाकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इसको लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि यह धर्म मर्यादाओं के अनुरूप नहीं है, लेकिन मजबूरी है. यही वजह है कि कोरोना ने हमारे रिश्तों-नातों और धार्मिक संस्कारों को प्रभावित किया है.

धार्मिक मान्यता के विपरीत हो रहे संस्कार...

पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है कि गरुड़ पुराण के अनुसार अंतिम संस्कार के सभी कार्यों को करने की विशेष रीति और नियम होते हैं. उसी के तहत किए गए कार्य से ही आत्मा को शांति मिलती है. मान्यता के मुताबिक अगले जन्म अर्थात नए शरीर में उसके प्रवेश के द्वार खुलते हैं या वह स्वर्ग में चला जाता है. हिंदुओ में साधु-संतों और बच्चों को दफनाया जाता है, जबकि सामान्य व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाता है. ऐसे में दोनों ही तरीके यदि वैदिक रीति और सभ्यता से किए जाएं तो उचित है, लेकिन कोरोना काल में ये सब संभव नहीं है.

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वैसे तो पूरी दुनिया में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार करने का एक तरीका होता है. जो उस इंसान के मजहब, उसके देश, क्षेत्र और परंपराओं पर निर्भर करता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जिन लोगों की अकाल मौत हो रही है उनका अंतिम संस्कार धार्मिक आस्थाओं से इतर हो रहा है.

Last Updated : Dec 7, 2020, 7:58 PM IST
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