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निर्यात संवर्धन के लिए दो परिषदों का गठन, प्रदेश के निर्यातकाें को मिलेगा प्रोत्साहन और मार्गदर्शन

प्रदेश के निर्यातकों को प्रोत्साहित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद का गठन किया है. राजस्थान में पहली बार गठित यह परिषद निर्यातकों का मार्गदर्शन करने के साथ ही विभिन्न औद्योगिक संगठनों, निर्यातकों और राज्य सरकार के संबंधित विभागों के बीच समन्वय कर निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करेगी.

निर्यात संवर्धन के लिए दो परिषदों का गठन, Formation of two councils for export promotion
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Published : Nov 15, 2019, 11:15 PM IST

जयपुर. प्रदेश के निर्यातकों को प्रोत्साहित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद का गठन किया है. राजस्थान में पहली बार गठित यह परिषद निर्यातकों का मार्गदर्शन करने के साथ ही विभिन्न औद्योगिक संगठनों, निर्यातकों और राज्य सरकार के संबंधित विभागों के बीच समन्वय कर निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्वीकृति के बाद उद्योग विभाग ने राजस्थान निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है.

निर्यात संवर्धन के लिए दो परिषदों का गठन

साथ ही, निर्यातकों, निर्यात से जुडे़ व्यक्तियों, कंपनियों, संस्थाओं और औद्योगिक संगठनों की प्रतिनिधि संस्था यानि रिप्रेजेन्टेटिव बॉडी के रूप में राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद के भी गठन की अधिसूचना जारी की गई है. इन दो परिषदों के गठन से राजस्थान से विभिन्न वस्तुओं, हस्तशिल्प, जेम्स-ज्वैलरी, कृषि उत्पादों के साथ ही निर्यात और पर्यटन व्यवसाय को नई गति मिलेगी.

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित 19 सदस्यीय निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद के उपाध्यक्ष अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग होंगे. परिवहन, खान एवं खनिज, कृषि, पशुपालन और वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एमएसएमई, पर्यटन, वन एवं पर्यावरण, ऊर्जा तथा श्रम नियोजन एवं रोजगार विभागों के प्रमुख शासन सचिव वाणिज्य कर (जीएसटी) और निवेश संवर्धन ब्यूरो के आयुक्त और राजसीको के प्रबंध निदेशक इस परिषद के सदस्य तथा उद्योग आयुक्त सदस्य सचिव होंगे.

पढ़ें- भंवरी देवी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक जोधपुर पीठ ने विदेशी गवाह की गवाही को किया स्थगित

राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद के दो सदस्य भी समन्वय परिषद के सदस्य होंगे. साथ ही राज्य सरकार समय-समय पर औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों को परिषद् में मनोनीत कर सकेगी. यह परिषद प्रदेश में निर्यात के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाओं के विकास में मदद करेगी और निर्यात प्रोत्साहन के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और उपक्रमों के साथ भी समन्वय करेगी. साथ ही, प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मेलों, प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों और सेमीनार के आयोजन में भूमिका निभाएगी.

समन्वय परिषद हस्तशिल्प, हथकरघा, टेक्सटाइल, कृषि, रत्न-आभूषण सहित अन्य सेक्टर या मेवाड़, मारवाड़, हाड़ौती, शेखावटी के साथ ही अन्य क्षेत्रों में व्यवसायिक विकास के लिए विशेष पैनल और समितियों का गठन कर सकेगी. ये समितियां उत्पाद अनुसार या क्षेत्रवार निर्यात के प्रोत्साहन के लिए काम करेंगी. राजस्थान निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद के रोजमर्रा के कार्यों के लिए आयुक्त उद्योग की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय प्रबंध समिति होगी.

जिसके सदस्य सचिव उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक (निर्यात) होंगे. सीएम गहलोत ने प्रदेश में पहली बार ही भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद के गठन को भी स्वीकृति दी है. जिसकी संचालन समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और चार पदेन सदस्यों सहित कुल 25 सदस्य होंगे. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात से जुडे़ व्यक्ति, फर्म, कम्पनी, संस्था, संगठन अथवा भारत या विदेश में पंजीकृत कोई भी निकाय इसकी सदस्यता ले सकेंगे.

पढ़ें. पढ़ें- रसद विभाग ने शुरू की कार्रवाई, घर जाकर आधार कार्ड की जांच करेगी टीम

राज्य सरकार निर्यात संवर्धन परिषद के संचालन के लिए एक करोड़ रूपए कॉरपस फंड के रूप में देगी. अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग, एमएसएमई, प्रबंध निदेशक रीको और आयुक्त उद्योग परिषद की कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे. इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं 18 सदस्यों का चुनाव दो वर्ष के लिए किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति लगातार एक से अधिक कार्यकाल के लिए अध्यक्ष नहीं हो सकेगा.

निर्यात संवद्र्धन परिषद की मुख्य भूमिका तकनीकी मार्गदर्शन, विभिन्न देशों में निर्यात के लिए उत्पादों की मांग, औपचारिकताओं की जानकारी, समन्वय, सलाह, वित्तीय सहयोग, सम्मेलनों और गोष्ठियों के आयोजन तथा साहित्य के प्रकाशन और वितरण के साथ ही माध्यम से निर्यातकों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराकर निर्यात प्रोत्साहन होगी. साथ ही, परिषद निर्यातकों के लिए 'सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन' और 'रजिस्ट्रेशन कम मेम्बरशिप सर्टिफिकेट' जैसे प्रमाण-पत्र भी जारी करेगी.

जयपुर. प्रदेश के निर्यातकों को प्रोत्साहित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद का गठन किया है. राजस्थान में पहली बार गठित यह परिषद निर्यातकों का मार्गदर्शन करने के साथ ही विभिन्न औद्योगिक संगठनों, निर्यातकों और राज्य सरकार के संबंधित विभागों के बीच समन्वय कर निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्वीकृति के बाद उद्योग विभाग ने राजस्थान निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है.

निर्यात संवर्धन के लिए दो परिषदों का गठन

साथ ही, निर्यातकों, निर्यात से जुडे़ व्यक्तियों, कंपनियों, संस्थाओं और औद्योगिक संगठनों की प्रतिनिधि संस्था यानि रिप्रेजेन्टेटिव बॉडी के रूप में राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद के भी गठन की अधिसूचना जारी की गई है. इन दो परिषदों के गठन से राजस्थान से विभिन्न वस्तुओं, हस्तशिल्प, जेम्स-ज्वैलरी, कृषि उत्पादों के साथ ही निर्यात और पर्यटन व्यवसाय को नई गति मिलेगी.

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित 19 सदस्यीय निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद के उपाध्यक्ष अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग होंगे. परिवहन, खान एवं खनिज, कृषि, पशुपालन और वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एमएसएमई, पर्यटन, वन एवं पर्यावरण, ऊर्जा तथा श्रम नियोजन एवं रोजगार विभागों के प्रमुख शासन सचिव वाणिज्य कर (जीएसटी) और निवेश संवर्धन ब्यूरो के आयुक्त और राजसीको के प्रबंध निदेशक इस परिषद के सदस्य तथा उद्योग आयुक्त सदस्य सचिव होंगे.

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राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद के दो सदस्य भी समन्वय परिषद के सदस्य होंगे. साथ ही राज्य सरकार समय-समय पर औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों को परिषद् में मनोनीत कर सकेगी. यह परिषद प्रदेश में निर्यात के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाओं के विकास में मदद करेगी और निर्यात प्रोत्साहन के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और उपक्रमों के साथ भी समन्वय करेगी. साथ ही, प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मेलों, प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों और सेमीनार के आयोजन में भूमिका निभाएगी.

समन्वय परिषद हस्तशिल्प, हथकरघा, टेक्सटाइल, कृषि, रत्न-आभूषण सहित अन्य सेक्टर या मेवाड़, मारवाड़, हाड़ौती, शेखावटी के साथ ही अन्य क्षेत्रों में व्यवसायिक विकास के लिए विशेष पैनल और समितियों का गठन कर सकेगी. ये समितियां उत्पाद अनुसार या क्षेत्रवार निर्यात के प्रोत्साहन के लिए काम करेंगी. राजस्थान निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद के रोजमर्रा के कार्यों के लिए आयुक्त उद्योग की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय प्रबंध समिति होगी.

जिसके सदस्य सचिव उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक (निर्यात) होंगे. सीएम गहलोत ने प्रदेश में पहली बार ही भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत राजस्थान निर्यात संवर्धन परिषद के गठन को भी स्वीकृति दी है. जिसकी संचालन समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और चार पदेन सदस्यों सहित कुल 25 सदस्य होंगे. प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात से जुडे़ व्यक्ति, फर्म, कम्पनी, संस्था, संगठन अथवा भारत या विदेश में पंजीकृत कोई भी निकाय इसकी सदस्यता ले सकेंगे.

पढ़ें. पढ़ें- रसद विभाग ने शुरू की कार्रवाई, घर जाकर आधार कार्ड की जांच करेगी टीम

राज्य सरकार निर्यात संवर्धन परिषद के संचालन के लिए एक करोड़ रूपए कॉरपस फंड के रूप में देगी. अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग, एमएसएमई, प्रबंध निदेशक रीको और आयुक्त उद्योग परिषद की कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे. इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं 18 सदस्यों का चुनाव दो वर्ष के लिए किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति लगातार एक से अधिक कार्यकाल के लिए अध्यक्ष नहीं हो सकेगा.

निर्यात संवद्र्धन परिषद की मुख्य भूमिका तकनीकी मार्गदर्शन, विभिन्न देशों में निर्यात के लिए उत्पादों की मांग, औपचारिकताओं की जानकारी, समन्वय, सलाह, वित्तीय सहयोग, सम्मेलनों और गोष्ठियों के आयोजन तथा साहित्य के प्रकाशन और वितरण के साथ ही माध्यम से निर्यातकों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराकर निर्यात प्रोत्साहन होगी. साथ ही, परिषद निर्यातकों के लिए 'सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन' और 'रजिस्ट्रेशन कम मेम्बरशिप सर्टिफिकेट' जैसे प्रमाण-पत्र भी जारी करेगी.

Intro:जयपुर
निर्यात संवद्र्धन के लिए दो परिषदों का गठन , प्रदेश के निर्यातकाें को मिलेगा प्रोत्साहन और मार्गदर्शन

एंकर:- प्रदेश के निर्यातकों को प्रोत्साहित करने एवं निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने निर्यात संवद्र्धन समन्वय परिषद का गठन किया है। राजस्थान में पहली बार गठित यह परिषद निर्यातकों का मार्गदर्शन करने के साथ ही विभिन्न औद्योगिक संगठनों निर्यातकों और राज्य सरकार के संबंधित विभागों के बीच समन्वय कर निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्वीकृति के बाद उद्योग विभाग ने राजस्थान निर्यात संवद्र्धन समन्वय परिषद के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। साथ ही, निर्यातकों, निर्यात से जुडे़ व्यक्तियों, कम्पनियों, संस्थाओं और औद्योगिक संगठनों की प्रतिनिधि संस्था यानि रिप्रेजेन्टेटिव बॉडी के रूप में राजस्थान निर्यात संवद्र्धन परिषद के भी गठन की अधिसूचना जारी की गई है। इन दो परिषदों के गठन से राजस्थान से विभिन्न वस्तुओं, हस्तशिल्प, जेम्स-ज्वैलरी, कृषि उत्पादों आदि के निर्यात तथा पर्यटन व्यवसाय को नई गति मिलेगी।

VO :- मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित 19 सदस्यीय निर्यात संवद्र्धन समन्वय परिषद के उपाध्यक्ष अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग होंगे। परिवहन, खान एवं खनिज, कृषि, पशुपालन और वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव; एमएसएमई, पर्यटन, वन एवं पर्यावरण, ऊर्जा तथा श्रम नियोजन एवं रोजगार विभागों के प्रमुख शासन सचिव; वाणिज्य कर (जीएसटी) तथा निवेश संवद्र्धन ब्यूरो के आयुक्त और राजसीको के प्रबंध निदेशक इस परिषद के सदस्य तथा उद्योग आयुक्त सदस्य सचिव होंगे। राजस्थान निर्यात संवद्र्धन परिषद के दो सदस्य भी समन्वय परिषद के सदस्य होंगे तथा राज्य सरकार समय-समय पर औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों को परिषद् में मनोनीत कर सकेगी। यह परिषद प्रदेश में निर्यात के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाओं के विकास में मदद करेगी और निर्यात प्रोत्साहन के लिए केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं उपक्रमों के साथ भी समन्वय करेगी। साथ ही, प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर मेलों, प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों और सेमीनार आदि के आयोजन में भूमिका निभाएगी। समन्वय परिषद हस्तशिल्प, हथकरघा, टेक्सटाइल, कृषि, रत्न-आभूषण आदि सेक्टर अथवा मेवाड़, मारवाड़, हाड़ौती, शेखावटी आदि क्षेत्रों में व्यवसायिक विकास के लिए विशेष पैनल अथवा समितियों का गठन कर सकेगी। ये समितियां उत्पाद अनुसार अथवा क्षेत्रवार निर्यात के प्रोत्साहन के लिए काम करेंगी। राजस्थान निर्यात संवद्र्धन समन्वय परिषद के रोजमर्रा के कार्यों के लिए आयुक्त उद्योग की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय प्रबंध समिति होगी, जिसके सदस्य सचिव उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक (निर्यात) होंगे। सीएम गहलोत ने प्रदेश में पहली बार ही भारतीय कम्पनी अधिनियम, 2013 के तहत राजस्थान निर्यात संवद्र्धन परिषद के गठन को भी स्वीकृति दी है, जिसकी संचालन समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं चार पदेन सदस्यों सहित कुल 25 सदस्य होंगे। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से निर्यात से जुडे़ व्यक्ति, फर्म, कम्पनी, संस्था, संगठन अथवा भारत या विदेश में पंजीकृत कोई भी निकाय इसकी सदस्यता ले सकेंगे। राज्य सरकार निर्यात संवद्र्धन परिषद के संचालन के लिए एक करोड़ रूपये कॉरपस फण्ड के रूप में देगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग, एमएसएमई, प्रबन्ध निदेशक रीको तथा आयुक्त उद्योग परिषद की कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे। इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं 18 सदस्यों का चुनाव दो वर्ष के लिए किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति लगातार एक से अधिक कार्यकाल के लिए अध्यक्ष नहीं हो सकेगा। निर्यात संवद्र्धन परिषद की मुख्य भूमिका तकनीकी मार्गदर्शन, विभिन्न देशों में निर्यात के लिए उत्पादों की मांग, औपचारिकताओं की जानकारी, समन्वय, सलाह, वित्तीय सहयोग, सम्मेलनों और गोष्ठियों के आयोजन तथा साहित्य के प्रकाशन एवं वितरण आदि के माध्यम से निर्यातकों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराकर निर्यात प्रोत्साहन होगी। साथ ही, परिषद निर्यातकों के लिए ’सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजन’ तथा ’रजिस्ट्रेशन कम मेम्बरशिप सर्टिफिकेट’ जैसे प्रमाण-पत्र भी जारी करेगी।Body:VoConclusion:Vo
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