जयपुर. साइबर ठग इन दिनों नए-नए तरीकों से लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे हैं. साइबर फ्रॉड के कुछ ऐसे नए मामले सामने आए हैं, जिनमें बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते अकाउंट होल्डर के द्वारा दिए गए चेक में केमिकल के जरिए फिगर को मिटा कर या फिर फेक चेक के माध्यम से खाता धारक के खाते से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन किया गया.
हाल ही में राजस्थान के जोधपुर जिले में पुलिस द्वारा इसी तरह की एक गैंग का पर्दाफाश किया गया जो देश में 100 से भी ज्यादा शहरों में बैंक चेक में हेराफेरी करके या फिर फेक चेक का इस्तेमाल करके करोड़ों की ठगी की वारदात को अंजाम दे चुकी है. ये आरोपी किस तरह तरह से ऐसी वारदातों को अंजाम देते हैं और आप कैसे इन शातिर ठगों से खुद को सावधान रखते हुए अपनी मेहनत की कमाई लुटने से बचा सकते हैं. आइए आपको बताते हैं....
चेक के माध्यम से ठगी की जितनी भी वारदातों को अंजाम दिया जाता है उनमें से अधिकांश में ठगों द्वारा एक विशेष प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल भी किया जाता है. केमिकल के जरिए खाताधारक द्वारा चेक में अंकित की गई राशि को बड़ी आसानी से मिटा दिया जाता है और फिर उसमें लाखों की राशि लिखकर खाताधारक के खाते से बड़ा अमाउंट निकाल लिया जाता है. जब तक खाता धारक के पास खाते से हुए लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन के संबंध में मैसेज पहुंचता है तब तक ठगों द्वारा राशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
फेक IVR कॉल सहारा ले रहे हैं ठग...
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ठगों द्वारा फेक आईवीआर कॉल के जरिए भी लोगों को झांसा देकर उनके बैंक खाते से लाखों रुपए की राशि का ट्रांजैक्शन कर लिया जाता है. इसमें एक कंप्यूटर जनरेट रिकॉर्ड कॉल खाता धारक के पास जाती है और उसमें खाता धारक से ट्रांजैक्शन के लिए बैंक में क्लियर करने के लिए दिए गए चेक के संबंध में जानकारी मांगी जाती है. लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन करने के लिए बैंक द्वारा भेजे गए ओटीपी की जानकारी भी ठगों आईवीआर कॉल के जरिए खाताधारक से जुटा लेते हैं और फिर उसके खाते से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन कर लेते हैं.
ऐसे बचें साइबर ठगों से...
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट भारद्वाज कहते हैं कि खाताधारक जब भी चेक में पेन से अमाउंट लिखें तो शब्दों और अंकों में अमाउंट लिखने के बाद उस पर टेप चिपका दें. ऐसा करके चेक को सेफ बनाया जा सकता है. ऐसा करने से ठग उस पर केमिकल का इस्तेमाल कर किसी तरह की हेर-फेर नहीं कर सकते. यदि कोई भी व्यक्ति खाताधारक द्वारा लिखी गई राशि में छेड़छाड़ करने के लिए टेप को हटाएगा तो वह चेक स्वतः ही खराब हो जाएगा और उस चेक को बैंक द्वारा अमान्य घोषित कर दिया जाएगा.
फिजिकल वेरिफिकेशन और फोन कॉल वेरिफिकेशन सेवा को रखें ऑन...
वर्तमान में लगभग सभी बैंक खाताधारकों को एक सुविधा देते हैं. जिसमें खाताधारक के खाते से एक निर्धारित अमाउंट से ऊपर का ट्रांजैक्शन चेक के माध्यम से करने पर बैंक के लिए फिजिकल वेरिफिकेशन या फोन कॉल के जरिए वेरिफिकेशन करना अनिवार्य होता है. ऐसे में अगर ठग फेक चेक के माध्यम से खाताधारक के खाते से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन करने का प्रयास करते भी हैं तो बैंक उस चेक को क्लियर करने से पहले खाता धारक से उस चेक का फिजिकल वेरिफिकेशन या फिर फोन कॉल के जरिए वेरिफिकेशन करने के लिए कहा जाता है.
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ऐसे में खाताधारक को उसके खाते से हो रहे ट्रांजैक्शन की पूरी जानकारी रहती है और ठगों द्वारा यदि उसके खाते से लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन करने का प्रयास किया जा रहा है तो उस चेक को खाताधारक द्वारा क्लियर होने से पहले ही रुकवाया जा सकता है.
मोबाइल पासबुक को रखें एक्टिवेट...
खाताधारक मोबाइल पासबुक फैसिलिटी को एक्टिवेट रखें. ऐसा करके खाताधारक उसके खाते से चेक और अन्य विभिन्न माध्यमों के द्वारा होने वाले ट्रांजैक्शन पर नजर रख सकता है. यदि ठगों द्वारा उसके खाते से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन किया भी गया है तो बैंक में उस ट्रांजैक्शन की शिकायत तुरंत करने पर 72 घंटे के अंदर ठगी गई राशि बैंक द्वारा खाता धारक के खाते में वापस लौटाने का प्रावधान है.
बैंक के अधिकृत नंबर पर ही करें शिकायत...
आयुष भारद्वाज ने बताया कि ठगी का शिकार होने पर खाताधारक द्वारा बैंक के ऑथराइज नंबर पर कॉल कर उसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए. अगर इंटरनेट पर बैंक हेल्पलाइन के बारे में सर्च किया जाता है तो वहां पर ठगों द्वारा दिए गए कई फेक बैंक हेल्पलाइन नंबर भी प्राप्त होते हैं. ऐसे में फेक बैंक हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके खाताधारक और भी मुसीबत में पड़ सकता है और मदद के स्थान पर उसके साथ ठगी की और वारदात भी घटित हो सकती है. इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति खाता धारक को फोन कर खुद को बैंक प्रतिनिधि बताकर खाते या क्रेडिट और डेबिट कार्ड से संबंधित गोपनीय जानकारी मांगता है तो वह निश्चित ही ठग होता है. ऐसे में उसके झांसे में आकर कभी भी गोपनीय जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए.