जयपुर. प्रदेश में शिक्षा विभाग ने नामांकन को लेकर अभियान छेड़ा हुआ है. इस अभियान में पहले चरण में नामांकन की गति कुछ धीमी रही और इसकी वजह रही शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में तैनात करना. शिक्षा विभाग दावा कर रहा है कि पहले चरण में चार लाख नामांकन का टारगेट था जिसमें लगभग 75 फीसदी टारगेट पूरा कर लिया गया है.
हांलाकि इस दावे को शिक्षकों ने फेल कर दिया है और कहा है कि लोकसभा चुनावी ड्यूटी में शिक्षकों को लगाने से नामांकन में शिक्षक नहीं जुट सके, जिसके चलते टारगेट पूरा नहीं हो सका. यूं तो शिक्षकों के लिए टारगेट को अचीव करना भारी नहीं है. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 80 लाख स्टूडेंट्स हैं जिनका दस फीसदी नामांकन का लक्ष्य लिया गया है, तो उधर शिक्षकों की बात की जाए तो चार लाख से ज्यादा शिक्षक मौजूदा समय में है.
ऐसे में यदि हर शिक्षक 2 स्टूडेंट को स्कूल तक लाए तो भी टारगेट पूरा किया जा सकता है. पहले चरण में लोकसभा चुनाव और इस चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी लगाना शिक्षा विभाग को भारी पड़ गया लेकिन अब दूसरे चरण के लिए शिक्षक अपनी तैयारी में है. उधर, स्कूलों में अक्सर हर वर्ष नामांकन का टारगेट तो अचीव होता दिखता है लेकिन इसके बाद ड्रॉपआउट एक बड़ी समस्या बनकर उभरता है, लेकिन इस बार शिक्षा विभाग में ड्रॉपआउट को रोकने के लिए पहले ही प्लान बना लिया है.
स्कूल शिक्षा परिषद के आयुक्त प्रदीप बोरड़ ने कहा कि सरकारी स्कूलों में यदि शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं होता तो अभिभावक बच्चे को दूसरे स्कूल में भेजता है, ऐसे में इस बार सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर भी सुधर जाएगा. नामांकन को लेकर चला प्रवेश उत्सव का पहला चरण फ्लॉप कहा जा सकता है, लेकिन दूसरा चरण नामंकन को लेकर कैसा होगा, उसपर सबकी निगाहें है. खासतौर पर ड्रॉप आउट को रोकने में विभाग की कवायद भी इसमें जीवनदायिनी साबित होगी.