ETV Bharat / state

JLF First Day : अंबेडकर, बॉलीवुड और भारत-अमेरिका के मुद्दों पर कुछ खास तो कुछ विवादास्पद बातें - Rajasthan Hindi News

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन भीमराव अंबेडकर, बॉलीवुड और भारत-अमेरिका के रिश्तों से जुड़े कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. इस दौरान कुछ खास तो कुछ विवादास्पद बातें हुईं.

First Day of Jaipur Literature Festival
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का पहला दिन...
author img

By

Published : Jan 19, 2023, 7:05 PM IST

जयपुर. जेएलएफ 2023 में गुरुवार को बीआर अंबेडकर लाइफ एंड टाइम्स में शशि थरूर और एंटी कास्ट स्कॉलर सुमित समोस की चर्चा हिंदुत्व के मुद्दे तक जा पहुंची. दोनों वक्ताओं ने अंबेडकर की ओर से देश में लाए गए सोशल रिफॉर्म को लेकर अपनी बात रखी. शशि थरूर ने अपने संबोधन में अंबेडकर और नेहरू की ओर से लाए गए हिंदू कोड बिल के पीछे की मंशा बताते हुए कहा कि देश में वन पर्सन वन वोट का अधिकार तो मिल गया, लेकिन नेहरू और अंबेडकर चाहते थे कि वन पर्सन वन वैल्यू की अवधारणा भी मजबूत हो.

देश में समानता के अधिकार को मजबूत बनाने के लिए ही जवाहर लाल नेहरू और भीमराव अंबेडकर हिंदू कोड बिल लेकर आए थे. क्योंकि उनका मानना था कि देश में सभी को समान अधिकार मिले. वहीं, सेशन में सुमित समोस ने अंबेडकर के विचारों पर बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि अंबेडकर सिर्फ एक विचार को मानने वाले संगठन को सही नहीं मानते थे. सन 1950 में अंबडकर RSS, अकाली दल और हिंदू महासभा जैसे संगठनों को डेंजर्स ऑर्गनाइजेशन मानते थे.

पढ़ें : Tharoor in JLF 2023: टॉक शो में थरूर ने कसा तंज, बोले- ब्राउन हिंदू पीएम अब चुनेंगे बिशप

वहीं, बॉलीवुड की बुनियाद विषय पर हुए सत्र में फिल्म समीक्षक अजीत राय ने कहा कि बॉलीवुड की बुनियाद हिली हुई है. मुम्बइया सिनेमा अलग प्लेटफॉर्म पर है. यहां हर किसी को फिल्म बनानी है. जो लोग हिंदी सिनेमा बना रहे हैं उन्हें हिंदी सिनेमा, हिंदी संस्कृति और परम्परा की समझ ही नहीं है. यहां विचारों की कमी है. मुंबई में रिसर्च, स्क्रीन प्ले पर काम नहीं हो रहा है. चंद फिल्में सिनेमाघरों में दर्शकों को परोसी जाती हैं, लेकिन चंद दिनों में ही दर्शक भूल जाते हैं.

हिंदी सिनेमा में प्रशिक्षित लोगों का अभाव है, क्रिएटिव माइंड्स नहीं है. जिसके पास पैसा है उसके पास दिमाग नहीं है. जिसके पास दिमाग है उसके पास पैसा नहीं है. इस दौरान आने वाली फिल्म पठान पर हो रही कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर अजीत राय ने कहा कि विरोध 'पठान' का नहीं, शाहरुख का हो रहा है. शाहरुख खान मुसलमान हैं, सिर्फ इसलिए उनकी फिल्म का विरोध किया जा रहा है. अगर वे मुस्लिम नहीं होते तो ये विरोध नहीं होता. ये मैन्युफैक्चरर प्रोटेस्ट है, जिसका समर्थन वो नहीं करते. वो निजी रूप से फिल्म क्रिटिक के रूप में फिल्म सेंसरशिप या किसी भी तरह की सेंसरशिप को नहीं मानते. दुनियाभर में क्रिएटिव सेंसरशिप कहीं नहीं है.

वहीं, दरबार हॉल में राइटर सीमा सिरोही ने अपनी बुक फ्रेंड्स दिव बेनेफिट्स : द इंडिया-यूएस स्टोरी पर सी राजा मोहन से चर्चा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि चीन वर्तमान में भारत और अमरीका दोनों के लिए परेशानी बना हुआ है. जिसके चलते दोनों देशों के बीच अस्थाई रूप से रिश्तों में सुधार हो रहा है. सीमा ने भारत और यूएस के रिश्तों को पर्सनल इंट्रेस्ट और बेनेफिट बताया.

वहीं, राजा मोहन के एक सवाल के जवाब में सीमा ने कहा कि वो तीस साल यूएस में रहीं, दोनों देश पहले एक दूसरे पर आरोप लगाते थे, लेकिन अब रिश्ते बदल रहे हैं. हालांकि, सीमा ने माना कि चीन को लेकर अमरीका ने बहुत समय बाद काम करना शुरू किया है. यूएस ने चीन को टेक्नालॉजी दी. इसके बाद चीन ग्रो कर रहा है, लेकिन वही चीन अब उसके लिए समस्या भी बन गया है. उन्होंने कहा कि गलवान विवाद से भारत का चीन के प्रति रवैया स्पष्ट हो गया था. भारत और यूएस ने आपस में समझौते नहीं किए, लेकिन कहीं ना कहीं रिश्तों में सुधार हुआ है.

जयपुर. जेएलएफ 2023 में गुरुवार को बीआर अंबेडकर लाइफ एंड टाइम्स में शशि थरूर और एंटी कास्ट स्कॉलर सुमित समोस की चर्चा हिंदुत्व के मुद्दे तक जा पहुंची. दोनों वक्ताओं ने अंबेडकर की ओर से देश में लाए गए सोशल रिफॉर्म को लेकर अपनी बात रखी. शशि थरूर ने अपने संबोधन में अंबेडकर और नेहरू की ओर से लाए गए हिंदू कोड बिल के पीछे की मंशा बताते हुए कहा कि देश में वन पर्सन वन वोट का अधिकार तो मिल गया, लेकिन नेहरू और अंबेडकर चाहते थे कि वन पर्सन वन वैल्यू की अवधारणा भी मजबूत हो.

देश में समानता के अधिकार को मजबूत बनाने के लिए ही जवाहर लाल नेहरू और भीमराव अंबेडकर हिंदू कोड बिल लेकर आए थे. क्योंकि उनका मानना था कि देश में सभी को समान अधिकार मिले. वहीं, सेशन में सुमित समोस ने अंबेडकर के विचारों पर बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि अंबेडकर सिर्फ एक विचार को मानने वाले संगठन को सही नहीं मानते थे. सन 1950 में अंबडकर RSS, अकाली दल और हिंदू महासभा जैसे संगठनों को डेंजर्स ऑर्गनाइजेशन मानते थे.

पढ़ें : Tharoor in JLF 2023: टॉक शो में थरूर ने कसा तंज, बोले- ब्राउन हिंदू पीएम अब चुनेंगे बिशप

वहीं, बॉलीवुड की बुनियाद विषय पर हुए सत्र में फिल्म समीक्षक अजीत राय ने कहा कि बॉलीवुड की बुनियाद हिली हुई है. मुम्बइया सिनेमा अलग प्लेटफॉर्म पर है. यहां हर किसी को फिल्म बनानी है. जो लोग हिंदी सिनेमा बना रहे हैं उन्हें हिंदी सिनेमा, हिंदी संस्कृति और परम्परा की समझ ही नहीं है. यहां विचारों की कमी है. मुंबई में रिसर्च, स्क्रीन प्ले पर काम नहीं हो रहा है. चंद फिल्में सिनेमाघरों में दर्शकों को परोसी जाती हैं, लेकिन चंद दिनों में ही दर्शक भूल जाते हैं.

हिंदी सिनेमा में प्रशिक्षित लोगों का अभाव है, क्रिएटिव माइंड्स नहीं है. जिसके पास पैसा है उसके पास दिमाग नहीं है. जिसके पास दिमाग है उसके पास पैसा नहीं है. इस दौरान आने वाली फिल्म पठान पर हो रही कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर अजीत राय ने कहा कि विरोध 'पठान' का नहीं, शाहरुख का हो रहा है. शाहरुख खान मुसलमान हैं, सिर्फ इसलिए उनकी फिल्म का विरोध किया जा रहा है. अगर वे मुस्लिम नहीं होते तो ये विरोध नहीं होता. ये मैन्युफैक्चरर प्रोटेस्ट है, जिसका समर्थन वो नहीं करते. वो निजी रूप से फिल्म क्रिटिक के रूप में फिल्म सेंसरशिप या किसी भी तरह की सेंसरशिप को नहीं मानते. दुनियाभर में क्रिएटिव सेंसरशिप कहीं नहीं है.

वहीं, दरबार हॉल में राइटर सीमा सिरोही ने अपनी बुक फ्रेंड्स दिव बेनेफिट्स : द इंडिया-यूएस स्टोरी पर सी राजा मोहन से चर्चा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि चीन वर्तमान में भारत और अमरीका दोनों के लिए परेशानी बना हुआ है. जिसके चलते दोनों देशों के बीच अस्थाई रूप से रिश्तों में सुधार हो रहा है. सीमा ने भारत और यूएस के रिश्तों को पर्सनल इंट्रेस्ट और बेनेफिट बताया.

वहीं, राजा मोहन के एक सवाल के जवाब में सीमा ने कहा कि वो तीस साल यूएस में रहीं, दोनों देश पहले एक दूसरे पर आरोप लगाते थे, लेकिन अब रिश्ते बदल रहे हैं. हालांकि, सीमा ने माना कि चीन को लेकर अमरीका ने बहुत समय बाद काम करना शुरू किया है. यूएस ने चीन को टेक्नालॉजी दी. इसके बाद चीन ग्रो कर रहा है, लेकिन वही चीन अब उसके लिए समस्या भी बन गया है. उन्होंने कहा कि गलवान विवाद से भारत का चीन के प्रति रवैया स्पष्ट हो गया था. भारत और यूएस ने आपस में समझौते नहीं किए, लेकिन कहीं ना कहीं रिश्तों में सुधार हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.