जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव में 1 साल से भी कम का समय बचा है. ऐसे में अब चाहे कांग्रेस के विधायक हों या कांग्रेस के वो नेता जो बीते विधानसभा चुनाव में शिकस्त झेल चुके हैं, सभी अब टिकट की दौड़ में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस पार्टी में तो कम से कम अब नेताओं में टिकट के लिए दौड़ शुरू हो चुकी है. गहलोत समर्थक विधायक भले ही यह क्यों ना कहें कि हम बिना किसी दबाव के इस्तीफे वापस ले रहे हैं, लेकिन हकीकत यही है कि अब विधायक कांग्रेस आलाकमान के प्रति निष्ठा दिखाने का प्रयास इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अब उन्हें टिकट कांग्रेस आलाकमान से ही मिलेगा, ना कि राजस्थान के किसी नेता से.
ऐसे में वो कांग्रेस आलाकमान से किसी तरह की नाराजगी नहीं चाहते हैं. उन्होंने प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के इशारा मात्र करते ही (Rajasthan Mission 2023) अपने इस्तीफे वापस ले लिए हैं. विधायकों के इस्तीफे वापस लेने का कारण चाहे विधायक कोई भी बताएं, लेकिन हकीकत यही है कि अब सरकार के 4 साल पूरे हो चुके हैं और टिकट कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर ही इन विधायकों को मिलेगा. लिहाजा, अब यह सब विधायक आलाकमान के प्रति अपनी निष्ठा और वफादारी की बात इसीलिए दिखा रहे हैं, ताकि इन पर आलाकमान के निर्णय के खिलाफ बगावत कर इस्तीफे देने के चलते टिकट कटने का संकट न खड़ा हो जाए.
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गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा ने तो इशारों ही इशारों में सभी विधायकों को यह कड़ा संदेश दे दिया था कि व्यक्तिगत निष्ठा से पार्टी नहीं चलती. नेताओं को पार्टी आलाकमान के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए. रघु शर्मा के इस बयान के आने के कुछ घंटे बाद ही (Congress MLAs Withdraw Resignations) विधायकों के इस्तीफे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई. जबकि हारे हुए प्रत्याशी अभी से टिकट मिलने का आश्वासन चाह रहे हैं.
हारे हुए प्रत्याशियों का तर्क : कांग्रेस के विधायकों में टिकट कटने का डर समाया हुआ है और उन्होंने अपने इस्तीफे वापस ले लिए हैं. लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव हार चुके प्रत्याशी (Rajasthan Political Crisis) कांग्रेस आलाकमान से अभी से टिकट का आश्वासन चाह रहे हैं. इन प्रत्याशियों का कहना है कि वह तो पिछली बार ही चुनाव हार गए थे. जिस तरह से कांग्रेस के जीते हुए विधायक एंटी इनकंबेंसी के शिकार होकर चुनाव हार जाते हैं, ऐसी कोई स्थिति उनके खिलाफ नहीं है. इसलिए उन्हें अभी से टिकट का आश्वासन दे दिया जाए तो वह जनता के बीच प्रचार में जुट जाएंगे और पार्टी को अगले चुनाव में जीत भी दिलाएंगे.