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ड्रैगन फ्रूट बदल रही है यहां पर किसानों की किस्मत, लाखों की हो रही आमदनी

बाढ़ हर साल किसानों की कमर तोड़ देती है. हजारों एकड़ धान की खेती बाढ़ के पानी से बर्बाद हो जाती है. ऐसे में किसानों ने धान के बदले ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी शुरू कर दी है.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
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Published : Aug 6, 2019, 7:09 PM IST

कटिहार: केलांचल के नाम से प्रसिद्ध कटिहार जिले में केले की फसल में पनामा विल्ट रोग के कारण किसानों को लगातार नुकसान हो रहा था. साथ ही कभी सुखाड़ तो कभी बाढ़ के कारण परंपरागत खेती किसानों के लिए नुकसान का सौदा साबित हो रहा था. ऐसे में किसान अब परंपरागत खेती को छोड़ आधुनिक फलों की खेती का रूख कर रहे हैं. अब केले के बदले ड्रैगन फ्रूट की खेती का चलन बढ़ रहा है और किसान समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है ड्रैगन फ्रूट

धान का कटोरा के नाम से पूरे राज्य में है मशहूर
सीमांचल का यह इलाका धान का कटोरा के नाम से पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. यहां धान की खेती भी काफी मात्रा में होती है. लेकिन हर साल बाढ़ किसानों की कमर तोड़ देती है और हजारों एकड़ धान की खेती बाढ़ के पानी से बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे में किसानों ने धान के बदले ऐसी खेती करना शुरू कर दिया है. जिससे उन्हें कोई समस्या नहीं है.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
1 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए तीन से चार लाख आता है खर्च.

क्या कहते हैं किसान
बरारी प्रखंड के बलवा गांव के किसान धनंजय कुमार सिंह बताते हैं कि धान और केले की खेती में लगातार नुकसान हो रहा था. जिससे परिवार चलाना बड़ा ही मुश्किल हो रहा था. ऐसे में उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़ ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दिया. धनंजय जिले के पहले किसान हैं जो ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. अब इनको देख दूसरे अन्य किसान भी ड्रैगन की खेती की ओर अग्रसर होने लगे हैं. धनंजय बताते हैं कि ड्रैगन की खेती में बहुत ही कम लागत लगती है. और इसका लाभ वर्षों तक मिलता रहता है.

कटिहार में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे किसान

कैक्टस बेल की तरह ड्रैगन फ्रूट
किसान धनंजय सिंह बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार की कैक्टस बेल है. एक पौधे से 8 से 10 फल प्राप्त होते हैं. तीन सौ से पांच सौ ग्राम वजनी इन फलों की सीजन में दो सौ से चार सौ रूपये प्रति किलो की कीमत मिल जाती है. जो फल मंडी में आसानी से बिक जाता है.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
ड्रैगन फ्रूट

एक एकड़ में तीन से चार लाख की आती है लागत
धनंजय सिंह बताते हैं कि एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अमूनन तीन से चार लाख का खर्च आता है. ड्रैगन फ्रूट के लिए पौधा लगाने का समय फरवरी-मार्च के बीच का है. जबकि एक पौधे की कीमत लगभग ₹80 तक होती है. पौधे के रखरखाव और इसकी उचित वृद्धि के लिए पौधे के साथ पिलर खड़ा कर दिया जाता है. पौधे में फल लगना जून महीने से शुरू हो जाता है और नवंबर-दिसंबर तक लगता रहता है.

सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र में है डिमांड
एक बार पौधा तैयार होने के बाद इससे लंबे समय तक फल निकलता है. फल को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किसान जैविक उर्वरक का प्रयोग करते हैं. ड्रैगन फ्रूट की डिमांड सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों में भी होती है. ड्रैगन फ्रूट की मार्केट प्राइस प्रति किलो ₹300 है. धनंजय बताते हैं कि धान और केला में नुकसान के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. इससे उन्हें बेहतर आमदनी मिल रही है और घर परिवार भी खुशहाल है. उन्होंने बताया कि इसकी खेती के लिए अगर कृषि विभाग प्रोत्साहित करने की पहल करता है तो यह किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
कुछ ऐसे की जाती है खेती

पानी की कम जरूरत

ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सहारा देना पड़ता है. इस वजह से किसान गया प्रसाद ने बाकायदा सीमेंट (आरसीसी) के खंभे बनवाकर लगवाए हैं. कैक्टस प्रजाति का होने के कारण ड्रैगन फ्रूट को पानी की कम ही जरुरत पड़ती है. इसमें चरने या कीड़ें लगने का जोखिम भी नहीं है. ड्रिप विधि से सिंचाई के चलते इसमें पानी की बहुत बचत होती है.

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
ड्रैगन फ्रूट स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ ही अन्य बीमारियों में भी कारगर है. इसका उपयोग मधुमेह, कैंसर सहित दिल के मरीजों के उपचार में किया जाता है. जबकि पोषण तत्व से भरपूर होने के कारण यह सामान्य लोगों के लिए भी काफी उपयोगी है. गुलाबी रंग का स्वादिष्ट फल ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सी डेंट के गुण मौजूद होते हैं. इसके अलावा विटामिन सी, प्रोटीन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसका फल कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल, कोशिकाओं और ह्रदय की सुरक्षा के साथ फाइबर से भरपूर होता है. इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना गया है.

कटिहार: केलांचल के नाम से प्रसिद्ध कटिहार जिले में केले की फसल में पनामा विल्ट रोग के कारण किसानों को लगातार नुकसान हो रहा था. साथ ही कभी सुखाड़ तो कभी बाढ़ के कारण परंपरागत खेती किसानों के लिए नुकसान का सौदा साबित हो रहा था. ऐसे में किसान अब परंपरागत खेती को छोड़ आधुनिक फलों की खेती का रूख कर रहे हैं. अब केले के बदले ड्रैगन फ्रूट की खेती का चलन बढ़ रहा है और किसान समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है ड्रैगन फ्रूट

धान का कटोरा के नाम से पूरे राज्य में है मशहूर
सीमांचल का यह इलाका धान का कटोरा के नाम से पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. यहां धान की खेती भी काफी मात्रा में होती है. लेकिन हर साल बाढ़ किसानों की कमर तोड़ देती है और हजारों एकड़ धान की खेती बाढ़ के पानी से बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे में किसानों ने धान के बदले ऐसी खेती करना शुरू कर दिया है. जिससे उन्हें कोई समस्या नहीं है.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
1 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए तीन से चार लाख आता है खर्च.

क्या कहते हैं किसान
बरारी प्रखंड के बलवा गांव के किसान धनंजय कुमार सिंह बताते हैं कि धान और केले की खेती में लगातार नुकसान हो रहा था. जिससे परिवार चलाना बड़ा ही मुश्किल हो रहा था. ऐसे में उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़ ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दिया. धनंजय जिले के पहले किसान हैं जो ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. अब इनको देख दूसरे अन्य किसान भी ड्रैगन की खेती की ओर अग्रसर होने लगे हैं. धनंजय बताते हैं कि ड्रैगन की खेती में बहुत ही कम लागत लगती है. और इसका लाभ वर्षों तक मिलता रहता है.

कटिहार में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे किसान

कैक्टस बेल की तरह ड्रैगन फ्रूट
किसान धनंजय सिंह बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार की कैक्टस बेल है. एक पौधे से 8 से 10 फल प्राप्त होते हैं. तीन सौ से पांच सौ ग्राम वजनी इन फलों की सीजन में दो सौ से चार सौ रूपये प्रति किलो की कीमत मिल जाती है. जो फल मंडी में आसानी से बिक जाता है.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
ड्रैगन फ्रूट

एक एकड़ में तीन से चार लाख की आती है लागत
धनंजय सिंह बताते हैं कि एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अमूनन तीन से चार लाख का खर्च आता है. ड्रैगन फ्रूट के लिए पौधा लगाने का समय फरवरी-मार्च के बीच का है. जबकि एक पौधे की कीमत लगभग ₹80 तक होती है. पौधे के रखरखाव और इसकी उचित वृद्धि के लिए पौधे के साथ पिलर खड़ा कर दिया जाता है. पौधे में फल लगना जून महीने से शुरू हो जाता है और नवंबर-दिसंबर तक लगता रहता है.

सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र में है डिमांड
एक बार पौधा तैयार होने के बाद इससे लंबे समय तक फल निकलता है. फल को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किसान जैविक उर्वरक का प्रयोग करते हैं. ड्रैगन फ्रूट की डिमांड सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों में भी होती है. ड्रैगन फ्रूट की मार्केट प्राइस प्रति किलो ₹300 है. धनंजय बताते हैं कि धान और केला में नुकसान के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. इससे उन्हें बेहतर आमदनी मिल रही है और घर परिवार भी खुशहाल है. उन्होंने बताया कि इसकी खेती के लिए अगर कृषि विभाग प्रोत्साहित करने की पहल करता है तो यह किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है.

Farmers cultivating dragon fruit in Katihar
कुछ ऐसे की जाती है खेती

पानी की कम जरूरत

ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सहारा देना पड़ता है. इस वजह से किसान गया प्रसाद ने बाकायदा सीमेंट (आरसीसी) के खंभे बनवाकर लगवाए हैं. कैक्टस प्रजाति का होने के कारण ड्रैगन फ्रूट को पानी की कम ही जरुरत पड़ती है. इसमें चरने या कीड़ें लगने का जोखिम भी नहीं है. ड्रिप विधि से सिंचाई के चलते इसमें पानी की बहुत बचत होती है.

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
ड्रैगन फ्रूट स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ ही अन्य बीमारियों में भी कारगर है. इसका उपयोग मधुमेह, कैंसर सहित दिल के मरीजों के उपचार में किया जाता है. जबकि पोषण तत्व से भरपूर होने के कारण यह सामान्य लोगों के लिए भी काफी उपयोगी है. गुलाबी रंग का स्वादिष्ट फल ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सी डेंट के गुण मौजूद होते हैं. इसके अलावा विटामिन सी, प्रोटीन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसका फल कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल, कोशिकाओं और ह्रदय की सुरक्षा के साथ फाइबर से भरपूर होता है. इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना गया है.

Intro:कटिहार

कटिहार में किसान अब परंपरागत खेती को छोड़ फलों की खेती करना शुरू कर दिए हैं। कम लागत में दोगुनी फायदा से इनके परिवार हो रहे हैं खुशहाल। धान और केले की खेती में हो रहे थे नुकसान। केले और धान के विकल्प में अब ड्रैगन फ्रूट की खेती कर समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे हैं कटिहार के किसान।


Body:केलांचल के नाम से प्रसिद्ध कटिहार जिले में केला की फसल में पनामा विल्ट रोग के कारण किसानों को लगातार हो रहे थे। नुकसान के कारण किसान नगदी फसल के तौर पर अब किसान परंपरागत खेती को तौबा कह आधुनिक फलों की खेती कर रहे हैं। किसानों ने इसका विकल्प तलाश लिया है और अब केला के बदले ड्रैगन फ्रूट की ओर अग्रसर हो रहे हैं और किसान समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं।

सीमांचल का यह इलाका धान का कटोरा के नाम से पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। यहां धान की खेती भी प्रचुर मात्रा में होती है लेकिन हर साल बाढ़ किसानों की कमर तोड़ देती है और हजारों एकड़ धान की खेती बाढ़ के पानी से बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे में किसान धान के बदले ऐसी खेती करना शुरू कर दिए जिससे किसानों को कोई समस्या नहीं है। कम लागत में दोगुनी फायदा वाला खेती ड्रैगन फ्रूट की ओर अग्रसर होने लगे।

बरारी प्रखंड के बलवा गांव के किसान धनंजय कुमार सिंह बताते हैं धान और केले की खेती में लगातार नुकसान हो रहा था जिससे परिवार चलाना बड़ा ही मुश्किल हो रहा था ऐसे में उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़ ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू कर दी। धनंजय जिले के पहले किसान है जो ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं अब इनको देख दूसरे अन्य किसान भी ड्रैगन की खेती की ओर अग्रसर होने लगे हैं। धनंजय बताते हैं ड्रैगन की खेती में बहुत ही कम लागत लगती है और इसका लाभ वर्षों तक मिलते रहेगी।

1 एकड़ में तीन से चार लाख की आती है लागत।

धनंजय सिंह बताते हैं 1 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अमूनन तीन से चार लाख का खर्च आता है। ड्रैगन फ्रूट के लिए पौधा लगाने का समय फरवरी-मार्च के बीच का है जबकि एक पौधे की कीमत लगभग ₹80 तक होती है। पौधे के रखरखाव व इसकी उचित वृद्धि के लिए पौधा के साथ पिलर खड़ा कर दिया जाता है। पौधे में फल लगना जून महीने से शुरू हो जाती है और नवंबर दिसंबर तक लगती है।




Conclusion:एक बार पौधा तैयार होने के बाद इससे लंबे समय तक फल निकलता है। फल को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किसान जैविक उर्वरक का प्रयोग करते हैं। ड्रैगन फ्रूट की डिमांड सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली,यूपी, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों में भी होती है ड्रैगन फ्रूट की मार्केट प्राइस प्रति किलो ₹300 हैं।

धनंजय बताते हैं धान और केला में नुकसान के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की। इससे उन्हें बेहतर आमदनी मिल रही है और घर परिवार भी खुश हाल है। उन्होंने बताया है इसकी खेती के लिए अगर कृषि विभाग प्रोत्साहित करने की पहल करती है तो ञयह किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है।

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

बताया जाता है ड्रैगन फ्रूट स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ ही अन्य बीमारियों में भी कारगर है। इसका उपयोग मधुमेह, कैंसर सहित दिल के मरीजों के उपचार में किया जाता है जबकि पोषण तत्व से भरपूर होने के कारण यह सामान्य लोगों के लिए काफी उपयोगी भी है।
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