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Rajasthan Budget 2023: तीन स्लोगन वाले बजट से राजस्थान को राहत की उम्मीद, जानिए हर वर्ग को क्या हैं आशाएं

राजस्थान सरकार के मुखिया सीएम अशोक गहलोत अपने वर्तमान कार्यकाल का (Expectations From Rajasthan Budget 2023) आखिरी बजट 10 फरवरी को पेश करने वाले हैं. इस बजट से हर किसी को उम्मीदें हैं. ईटीवी भारत ने इस संबंध में विभिन्न क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की.

Expectations From Rajasthan Budget 2023
राजस्थान बजट 2023 से हर वर्ग की उम्मीदें
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Published : Feb 8, 2023, 10:41 PM IST

Updated : Feb 10, 2023, 6:30 AM IST

जानिए बजट से हर वर्ग की आशाएं

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने वर्तमान कार्यकाल का आखिरी बजट शुक्रवार 10 फरवरी को पेश करेंगे. चुनावी साल में लोकलुभावन घोषणाओं के बीच इस बजट से हर क्षेत्र के लोगों को काफी उम्मीदें हैं. लिहाजा किसान के साथ इस बार गहलोत युवाओं पर भी फोकस की बात कर चुके हैं. वहीं महिलाओं को भी बजट में इस बार उम्मीद नजर आ रही है. ऐसे में ईटीवी भारत ने जयपुर में एक परिचर्चा का आयोजन किया. इसमें किसान महापंचायत के नेता रामपाल जाट, हेल्थ क्षेत्र में कार्य करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता छाया पचोली, चार्टेड अकाउंटेंट जितेन्द्र यादव और युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे लोकेश शर्मा ने भाग लिया.

किसान की उम्मीद बजट से : किसान महापंचायत के संयोजक रामपाल जाट ने खेती के लिए अलग से बजट को लेकर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि किसान को खैरात की नहीं, बल्कि अवसर की तलाश है. ऐसे में स्वावलंबी किसान को मजबूत बनाने की दिशा में सरकार को काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि खाद-बीज को लेकर सरकार का रुख हमेशा किसान के लिए दोयम दर्जे वाला होता है. ऐसे में जरूरत है कि एमएसपी पर खरीद को लागू किया जाए. सरकार ने अपने घोषणा पत्र में जिन वादों को किया है, उन पर काम किया जाए.

पढ़ें. Rajasthan budget 2023: प्रदेश के कॉलेजों में बजट का होगा लाइव प्रसारण, आदेश जारी

रामपाल जाट ने कहा कि प्रदेश में 70 प्रतिशत भूमि असिंचित हैं. ऐसे में सरकार के बजट में ईआरसीपी के अलावा अन्य परियोजनाओं पर भी फोकस करना होगा. राजस्थान के किसान इस बजट में कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में संशोधन, नीलामी बोली की शुरुआत MSP से करने, खेती के लिए उपयुक्त पानी मिलने जैसे मसलों पर भी राहत तलाश रहे हैं.

हेल्थ सेक्टर में मॉनिटरिंग जरूरी : स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता छाया पचोली ने कहा कि सरकार ने राजस्थान के स्वास्थ्य क्षेत्र में कई योजनाएं लागू की हैं, लेकिन जरूरत यह है कि सरकार इन योजनाओं पर प्रभावी तरीके से मॉनिटरिंग करे. मौजूदा स्थितियों में सरकार बिल्ली को ही दूध की रखवाली की तर्ज पर योजनाओं की निगरानी करवा रही है. इसके अलावा उन्होंने हाइजीन और मेंटल हेल्थ जैसे मसलों पर भी काम करने का मशविरा दिया.

छाया ने कहा कि सरकार को बजट देने के बाद इसके अमलीजामे पर भी काम करना होगा. जनता क्लिनिक जैसी घोषणाओं पर भी उन्होंने अपना सुझाव देते हुए सरकारी एजेंडे पर ठीक से काम करने की उम्मीद जताई. राइट टू हेल्थ पर पचोली ने कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में इस बारे में ऐलान किया था, ऐसे में वादे के मुताबिक अगर काम होगा, तो यह बेहतर कदम साबित हो सकता है. गौरतलब है कि ज्यादातर निजी अस्पताल इस बिल को लेकर फिलहाल आंदोलनरत हैं.

पढ़ें. Rajasthan Budget 2023 : चुनावी साल का बजट होगा लोकलुभावन!, एक्सपर्ट से समझिए कहां मिलेगी राहत

युवा और आर्थिक क्षेत्र के लिए ये हैं उम्मीदें : राजस्थान में सरकारी नौकरी और रोजगार के विकल्प को लेकर युवाओं पर आधारित रहने वाले बजट से कई आशाएं हैं. जयपुर के लोकेश शर्मा ने बताया कि सरकार को पर्चा लीक प्रकरण जैसे मसलों से सबक लेकर ठोस रणनीति तैयार करनी चाहिए. गौरतलब है कि बेरोजगारी के पायदान पर राजस्थान फिलहाल देश में दूसरे मुकाम पर है. वहीं चार्टर्ड अकाउंटेंट जितेन्द्र यादव ने कहा कि राजस्थान में वैट को लेकर व्यापारी और आम जनता सरकार से राहत की उम्मीद कर रही है. देश में इस वक्त सबसे ज्यादा फ्यूल प्राइस प्रदेश में है. ऐसे में व्यापारी समेत सभी वर्ग यहां भी राहत की तलाश कर रहे हैं.

इस बार के बजट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत काफी आश्वस्त दिख रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि सत्ता परिवर्तन की प्रथा का मिथक तोड़कर कांग्रेस राजस्थान की सत्ता में वापसी करेगी. इस बार का राजस्थान बजट करीब 2 लाख 65 हजार करोड़ रुपए का होने का अनुमान है. वहीं गहलोत का पिछला बजट 2 लाख 15 हजार करोड़ के लगभग का था. बाद में सरकार ने उधार लेकर करीब 23 हजार करोड़ रुपए बजट से ज्यादा खर्च किए थे.

जानिए बजट से हर वर्ग की आशाएं

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने वर्तमान कार्यकाल का आखिरी बजट शुक्रवार 10 फरवरी को पेश करेंगे. चुनावी साल में लोकलुभावन घोषणाओं के बीच इस बजट से हर क्षेत्र के लोगों को काफी उम्मीदें हैं. लिहाजा किसान के साथ इस बार गहलोत युवाओं पर भी फोकस की बात कर चुके हैं. वहीं महिलाओं को भी बजट में इस बार उम्मीद नजर आ रही है. ऐसे में ईटीवी भारत ने जयपुर में एक परिचर्चा का आयोजन किया. इसमें किसान महापंचायत के नेता रामपाल जाट, हेल्थ क्षेत्र में कार्य करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता छाया पचोली, चार्टेड अकाउंटेंट जितेन्द्र यादव और युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे लोकेश शर्मा ने भाग लिया.

किसान की उम्मीद बजट से : किसान महापंचायत के संयोजक रामपाल जाट ने खेती के लिए अलग से बजट को लेकर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि किसान को खैरात की नहीं, बल्कि अवसर की तलाश है. ऐसे में स्वावलंबी किसान को मजबूत बनाने की दिशा में सरकार को काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि खाद-बीज को लेकर सरकार का रुख हमेशा किसान के लिए दोयम दर्जे वाला होता है. ऐसे में जरूरत है कि एमएसपी पर खरीद को लागू किया जाए. सरकार ने अपने घोषणा पत्र में जिन वादों को किया है, उन पर काम किया जाए.

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रामपाल जाट ने कहा कि प्रदेश में 70 प्रतिशत भूमि असिंचित हैं. ऐसे में सरकार के बजट में ईआरसीपी के अलावा अन्य परियोजनाओं पर भी फोकस करना होगा. राजस्थान के किसान इस बजट में कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में संशोधन, नीलामी बोली की शुरुआत MSP से करने, खेती के लिए उपयुक्त पानी मिलने जैसे मसलों पर भी राहत तलाश रहे हैं.

हेल्थ सेक्टर में मॉनिटरिंग जरूरी : स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता छाया पचोली ने कहा कि सरकार ने राजस्थान के स्वास्थ्य क्षेत्र में कई योजनाएं लागू की हैं, लेकिन जरूरत यह है कि सरकार इन योजनाओं पर प्रभावी तरीके से मॉनिटरिंग करे. मौजूदा स्थितियों में सरकार बिल्ली को ही दूध की रखवाली की तर्ज पर योजनाओं की निगरानी करवा रही है. इसके अलावा उन्होंने हाइजीन और मेंटल हेल्थ जैसे मसलों पर भी काम करने का मशविरा दिया.

छाया ने कहा कि सरकार को बजट देने के बाद इसके अमलीजामे पर भी काम करना होगा. जनता क्लिनिक जैसी घोषणाओं पर भी उन्होंने अपना सुझाव देते हुए सरकारी एजेंडे पर ठीक से काम करने की उम्मीद जताई. राइट टू हेल्थ पर पचोली ने कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में इस बारे में ऐलान किया था, ऐसे में वादे के मुताबिक अगर काम होगा, तो यह बेहतर कदम साबित हो सकता है. गौरतलब है कि ज्यादातर निजी अस्पताल इस बिल को लेकर फिलहाल आंदोलनरत हैं.

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युवा और आर्थिक क्षेत्र के लिए ये हैं उम्मीदें : राजस्थान में सरकारी नौकरी और रोजगार के विकल्प को लेकर युवाओं पर आधारित रहने वाले बजट से कई आशाएं हैं. जयपुर के लोकेश शर्मा ने बताया कि सरकार को पर्चा लीक प्रकरण जैसे मसलों से सबक लेकर ठोस रणनीति तैयार करनी चाहिए. गौरतलब है कि बेरोजगारी के पायदान पर राजस्थान फिलहाल देश में दूसरे मुकाम पर है. वहीं चार्टर्ड अकाउंटेंट जितेन्द्र यादव ने कहा कि राजस्थान में वैट को लेकर व्यापारी और आम जनता सरकार से राहत की उम्मीद कर रही है. देश में इस वक्त सबसे ज्यादा फ्यूल प्राइस प्रदेश में है. ऐसे में व्यापारी समेत सभी वर्ग यहां भी राहत की तलाश कर रहे हैं.

इस बार के बजट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत काफी आश्वस्त दिख रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि सत्ता परिवर्तन की प्रथा का मिथक तोड़कर कांग्रेस राजस्थान की सत्ता में वापसी करेगी. इस बार का राजस्थान बजट करीब 2 लाख 65 हजार करोड़ रुपए का होने का अनुमान है. वहीं गहलोत का पिछला बजट 2 लाख 15 हजार करोड़ के लगभग का था. बाद में सरकार ने उधार लेकर करीब 23 हजार करोड़ रुपए बजट से ज्यादा खर्च किए थे.

Last Updated : Feb 10, 2023, 6:30 AM IST

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