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राजस्थान में मिले ऐतिहासिक सभ्यता के प्रमाण....पुरातत्व विभाग जुटा सहेजने में

राजस्थान में एक और सभ्यता के प्रमाण मिले हैं, जिसको अब पुरातत्व विभाग सहेज रहा है. जयपुर जिले के सांभर कस्बे से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर ये जगह है. आर्कियोलॉजिकल विभाग के मुताबिक यहां पर दूसरी से लेकर 10वीं शताब्दी तक की सभ्यता के प्रमाण मिले हैं.

Archeology department, राजस्थान में एक और सभ्यता
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Published : Nov 23, 2019, 11:34 PM IST

Updated : Nov 24, 2019, 2:58 AM IST

जयपुर. राजधानी जयपुर के सांभर कस्बे को सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी कहा जाता है. बताया जाता है कि अपने शासन का चौहान ने यहीं से विस्तार किया था. इसके पहले भी यहां एक विकसित सभ्यता रही है और इसके प्रमाण भी लगातार मिलते रहे हैं. बताया जाता है कि ब्रिटिश राज के दौरान साल 1884 में पहली बार यहां एतिहासिक सभ्यता के प्रमाण मिले थे. जिसके बाद साल 1936 में आर्कियोलॉजिकल विभाग द्वारा यहां पर खुदाई करवाई गई थी.

राजस्थान में एक और सभ्यता के प्रमाण मिले हैं.

आर्कियोलॉजिकल विभाग के मुताबिक करीब आधा किलोमीटर हिस्से में खुदाई के दौरान मिले भवननुमा निर्माण यहां एक मजबूत स्थापत्य कला की दूसरी शताब्दी के मध्य में अस्तित्व में रहने का पुख्ता प्रमाण है.

सांभर के नजदीक नलियासर नाम की झील के किनारे सभ्यता मिलने के कारण इसे ASI ने यहां को नलियासर साइट का नाम दिया है. यहां मिले भवनों से धातु के बर्तन मिले थे, जिनमें तांबे, पीतल और लौह का उपयोग किया जाता था. इसी तरह तब रेशम यानि सिल्क और टेराकोटा के कपड़े के इस्तेमाल से जुड़े प्रमाण भी इस साइट से खुदाई के दौरान प्राप्त हुए हैं.

ये भी पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: यहां साज है, लेकिन सुर नहीं...शिष्य हैं, लेकिन गुरु नहीं...एक कॉलेज के संगीत विभाग की दशा

यहां पर मिली इटों से यह भी अनुमान लगाया गया की भवन निर्माण के लिए यहां पक्की ईंटों का इस्तेमाल भी किया गया. आर्कियोलॉजिकल सर्वे आॉफ इंडिया फिलहाल इस जगह को विकसित करने की कवायद में जुटा हुआ है. ताकी यहां और ज्यादा पर्यटक आ सकें.

इसके लिए विभाग ने चार दिवारी निर्माण के साथ-साथ यहां बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर जोर दिया है. इसके साथ ही मशहूर पुरातत्वविद् ए. आर. साहनी के सुझावों के आधार पर इस जगह पर खुदाई के काम को भी समयानुसार विभाग पूरा करने में जुटा हुआ है.

जयपुर. राजधानी जयपुर के सांभर कस्बे को सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी कहा जाता है. बताया जाता है कि अपने शासन का चौहान ने यहीं से विस्तार किया था. इसके पहले भी यहां एक विकसित सभ्यता रही है और इसके प्रमाण भी लगातार मिलते रहे हैं. बताया जाता है कि ब्रिटिश राज के दौरान साल 1884 में पहली बार यहां एतिहासिक सभ्यता के प्रमाण मिले थे. जिसके बाद साल 1936 में आर्कियोलॉजिकल विभाग द्वारा यहां पर खुदाई करवाई गई थी.

राजस्थान में एक और सभ्यता के प्रमाण मिले हैं.

आर्कियोलॉजिकल विभाग के मुताबिक करीब आधा किलोमीटर हिस्से में खुदाई के दौरान मिले भवननुमा निर्माण यहां एक मजबूत स्थापत्य कला की दूसरी शताब्दी के मध्य में अस्तित्व में रहने का पुख्ता प्रमाण है.

सांभर के नजदीक नलियासर नाम की झील के किनारे सभ्यता मिलने के कारण इसे ASI ने यहां को नलियासर साइट का नाम दिया है. यहां मिले भवनों से धातु के बर्तन मिले थे, जिनमें तांबे, पीतल और लौह का उपयोग किया जाता था. इसी तरह तब रेशम यानि सिल्क और टेराकोटा के कपड़े के इस्तेमाल से जुड़े प्रमाण भी इस साइट से खुदाई के दौरान प्राप्त हुए हैं.

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यहां पर मिली इटों से यह भी अनुमान लगाया गया की भवन निर्माण के लिए यहां पक्की ईंटों का इस्तेमाल भी किया गया. आर्कियोलॉजिकल सर्वे आॉफ इंडिया फिलहाल इस जगह को विकसित करने की कवायद में जुटा हुआ है. ताकी यहां और ज्यादा पर्यटक आ सकें.

इसके लिए विभाग ने चार दिवारी निर्माण के साथ-साथ यहां बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर जोर दिया है. इसके साथ ही मशहूर पुरातत्वविद् ए. आर. साहनी के सुझावों के आधार पर इस जगह पर खुदाई के काम को भी समयानुसार विभाग पूरा करने में जुटा हुआ है.

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rahul


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Last Updated : Nov 24, 2019, 2:58 AM IST
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