जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय और डॉ भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके डॉ देव स्वरूप को अब बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी सौंपी गई है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति के तौर पर डॉ देव स्वरूप को नियुक्त करने के आदेश जारी किए हैं. इससे पहले जिन दोनों यूनिवर्सिटी में डॉ देव स्वरूप ने बतौर कुलपति काम संभाला, वहां किसी न किसी विवाद के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. यही वजह है कि इस बार उनकी नियुक्ति उच्च शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बनी हुई है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वसनीय लोगों में से एक डॉ देव स्वरूप को राज्य सरकार के रिकमेंडेशन पर बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी का पहला कुलपति नियुक्त किया गया है. ये नियुक्ति कुलपति कार्यभार ग्रहण करने के 3 साल तक के लिए प्रदान की गई है.
विवादों से पुराना नाताः डॉ देव स्वरूप का विवादों से पुराना नाता रहा है. इससे पहले डॉ भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर रहते हुए एलएलबी की डिग्री को लेकर विवाद छिड़ा था. उन्होंने खुद के पास एलएलबी की डिग्री होना सुनिश्चित किया था, लेकिन कुलपति पद पर आवेदन में एलएलबी की डिग्री पेश नहीं की. इसे लेकर बाद में राजभवन की ओर से जांच कमेटी बनाते हुए जांच की गई, लेकिन डॉ देव स्वरूप ने डिग्रियों की जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया और बाद में कार्यकाल पूरा होने से 2 महीने पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया.
2013 में राजस्थान विश्वविद्यालय में बतौर कुलपति कार्यरत डॉ देव स्वरूप के खिलाफ शिक्षकों की भर्ती में धांधली के आरोप लगे थे. इसे लेकर उन्होंने नवंबर 2014 में प्रशासनिक कार्यों में सरकार की मदद नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था. बता दें कि कुलपति की नियुक्ति सीधे राज्य सरकार के रिकमेंडेशन पर होती है. ऐसे में विवादों के बावजूद डॉ देव स्वरूप को इस बार बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया है.