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Potash ore e auction: देश में पहली बार पोटाश के दो ब्लॉकों के कंपोजिट लाइसेंस की ई-ऑक्शन प्रक्रिया शुरू

पोटाश के दो ब्लॉकों का कंपोजिट लाइसेंस देने के लिए सरकार ने ई-ऑक्शन प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह पहला मौका होगा, जब पोटाश के 2 ब्लॉकों के सीएल के ऑक्शन होगी.

e auction of Composite license of 2 blocks of Potash in Rajasthan begins
देश में पहली बार पोटाश के दो ब्लॉकों के कंपोजिट लाइसेंस की ई-ऑक्शन प्रक्रिया शुरू
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Published : Aug 1, 2023, 7:06 PM IST

जयपुर. जिस पोटाश को लेकर भारत पूरी तरह आयात पर निर्भर रहता है, उसका खनन राजस्थान में शुरू होने जा रहा है. इसके लिए खनिज पोटाश के कम्पोजिट लाइसेंस के ई-ऑक्शन की प्रक्रिया ई-पोर्टल पर राजस्थान में शुरू हो गई है. इसके बाद देश में यह पहला मौका होगा, जब पोटाश के 2 ब्लॉकों के सीएल के लिए ऑक्शन की पहल होगी. इसके लिए राजस्थान के खनन विभाग ने चुरू जिले के गडसीसर और करौली सपोटरा के खिद्पुर पोटाश ब्लॉक के कंपोजिट लाइसेंस के लिए 31 जुलाई से ही ऑप्शन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 4 सितंबर को भारत सरकार के ई-पोर्टल पर पूरी होगी.

ईसीएस माइंस वीनू गुप्ता ने बताया कि बीकानेर संभाग और करौली के आसपास पोटाश के भंडार मिले हैं. राजस्थान के खनन विभाग ने दोनों ही ब्लॉक के कम्पोजिट लाइसेंस के लिए ऑक्शन शुरू कर दिया है. घडसीसर और खीदरपुर पोटाश ब्लॉक के कंपोजिट लाइसेंस की ई ऑक्शन की कार्यवाही 31 जुलाई को आरंभ कर दी गई है. 16 अगस्त तक टेंडर डाक्यूमेंट की बिक्री की जाएगी. वहीं 4 सितंबर को पात्र निविदादाताओं की ओर से बोली लगाई जा सकेगी. ई-नीलामी की पूरी कार्यवाही भारत सरकार के ई-पोर्टल के माध्यम से की जा रही है और देश दुनिया में कहीं से भी कोई भी ई-नीलामी में हिस्सा ले सकता है.

पढ़ें: त्रिपक्षीय MoU पर सीएम गहलोत का बयान, कहा- तेल एवं गैस के बाद अब पोटाश से मिलेगी राजस्थान को नई पहचान

देश का 95 प्रतिशत पोटाश राजस्थान मेंः आपको बता दें कि देश में पोटाश खनिज डिपॉजिट के खोज परिणामों के अनुसार यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि देश का 95 प्रतिशत से अधिक पोटाश राजस्थान में है. उत्तर पश्चिम राजस्थान के चूरू, बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों के नागौर-श्री गंगानगर बेसिन के नागौर-श्रीगंगानगर बेसिन के भरूसरी ब्लॉक, सतिपुरा ब्लॉक, झण्डावाली नार्थ ब्लॉक, झण्डावाली साउथ ब्लॉक, खुजां नार्थ वेस्ट ब्लॉक, जोरकीया साउथ ब्लॉक, लखासर ब्लॉक, जेतपुर ब्लॉक में कार्य जारी है. वर्तमान समय में देश में करीब 10000 करोड़ से अधिक के पोटाश का मुख्यतः कनाड़ा, बेलारुस, रसिया, जार्डन से आयात किया जा रहा है. इसके साथ की कुछ मात्रा में इजराइल, सउदी अरब, जर्मनी आदि से भी आयात होता है.

पढ़ें: रबी सत्र में फॉस्फेटिक, पोटाश उर्वरकों के लिए 51,875 करोड़ की सब्सिडी मंजूर

इन दो स्थानों पर ई ऑक्शन शुरूः घडसीसर पोटाश ब्लॉक सरदारशहर तहसील से लगभग 30 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 11.72 वर्ग किमी है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की ओर से किये गए सर्वेक्षण में बोरहोल पी-34 में पोटाश के 2 जोन पाए गए हैं, जिनकी कुल मोटाई 10.29 मीटर है तथा औसत के प्रतिशत 3.03 प्रतिशत तथा 4.55 प्रतिशत है. बोरहोल में पोटाश खनिजीकरण 587.88 से 695.53 मीटर गहराई पर पाया गया है. इसी तरह से खीदरपुर ब्लॉक गंगापुर, जिला सवाईमाधोपुर से लगभग 20 किमी दूरी पर स्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 9.464 वर्ग किमी है. नीलामी के लिए प्रस्तावित ब्लॉक में जी.एस.आई. द्वारा 6 बोरहोल के परिणामों के आधार पर 74.57 मिलियन टन तथा औसत के2ओ प्रतिशत 4.72 प्रतिशत पर पोटाश भण्डारों का आंकलन किया गया है. ब्लॉक में ग्लाउकोनाइटिक सेंड स्टोन/सैल के मोटाई 1.99 मीटर से 41.94 मीटर 2 प्रमुख जोन पाए गए हैं.

पढ़ें: अब शीरे से बने पोटाश पर मिलेगी सब्सिडी, गन्ना किसानों को होगा फायदा

कृषि उर्वरक, गोला-बारूद और पेट्रो रसायन बनाने में काम आता है पोटाशः कृषि क्षेत्र में उर्वरक के रूप में पोटाश का प्रयोग प्रमुखता से होता है. पोटाश, नाईट्रोजन व फास्फोरस के बाद तीसरा महत्वपूर्ण घटक है. उर्वरक के अलावा पोटाश का अन्य उपयोग ग्लास, बारूद, रसायन व पेट्रोरसायन आदि बनाने में भी किया जाता है. वर्तमान में भारत पोटाश के लिए पूर्णतः आयात पर निर्भर है, क्योंकि भारत में खनिज पोटाश का कहीं भी खनन नहीं हो रहा है. कनाड़ा, रूस, बेलारूस, चीन, इजरायल, जार्डन आदि प्रमुख पोटाश उत्पादक देश हैं.

जयपुर. जिस पोटाश को लेकर भारत पूरी तरह आयात पर निर्भर रहता है, उसका खनन राजस्थान में शुरू होने जा रहा है. इसके लिए खनिज पोटाश के कम्पोजिट लाइसेंस के ई-ऑक्शन की प्रक्रिया ई-पोर्टल पर राजस्थान में शुरू हो गई है. इसके बाद देश में यह पहला मौका होगा, जब पोटाश के 2 ब्लॉकों के सीएल के लिए ऑक्शन की पहल होगी. इसके लिए राजस्थान के खनन विभाग ने चुरू जिले के गडसीसर और करौली सपोटरा के खिद्पुर पोटाश ब्लॉक के कंपोजिट लाइसेंस के लिए 31 जुलाई से ही ऑप्शन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 4 सितंबर को भारत सरकार के ई-पोर्टल पर पूरी होगी.

ईसीएस माइंस वीनू गुप्ता ने बताया कि बीकानेर संभाग और करौली के आसपास पोटाश के भंडार मिले हैं. राजस्थान के खनन विभाग ने दोनों ही ब्लॉक के कम्पोजिट लाइसेंस के लिए ऑक्शन शुरू कर दिया है. घडसीसर और खीदरपुर पोटाश ब्लॉक के कंपोजिट लाइसेंस की ई ऑक्शन की कार्यवाही 31 जुलाई को आरंभ कर दी गई है. 16 अगस्त तक टेंडर डाक्यूमेंट की बिक्री की जाएगी. वहीं 4 सितंबर को पात्र निविदादाताओं की ओर से बोली लगाई जा सकेगी. ई-नीलामी की पूरी कार्यवाही भारत सरकार के ई-पोर्टल के माध्यम से की जा रही है और देश दुनिया में कहीं से भी कोई भी ई-नीलामी में हिस्सा ले सकता है.

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देश का 95 प्रतिशत पोटाश राजस्थान मेंः आपको बता दें कि देश में पोटाश खनिज डिपॉजिट के खोज परिणामों के अनुसार यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि देश का 95 प्रतिशत से अधिक पोटाश राजस्थान में है. उत्तर पश्चिम राजस्थान के चूरू, बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों के नागौर-श्री गंगानगर बेसिन के नागौर-श्रीगंगानगर बेसिन के भरूसरी ब्लॉक, सतिपुरा ब्लॉक, झण्डावाली नार्थ ब्लॉक, झण्डावाली साउथ ब्लॉक, खुजां नार्थ वेस्ट ब्लॉक, जोरकीया साउथ ब्लॉक, लखासर ब्लॉक, जेतपुर ब्लॉक में कार्य जारी है. वर्तमान समय में देश में करीब 10000 करोड़ से अधिक के पोटाश का मुख्यतः कनाड़ा, बेलारुस, रसिया, जार्डन से आयात किया जा रहा है. इसके साथ की कुछ मात्रा में इजराइल, सउदी अरब, जर्मनी आदि से भी आयात होता है.

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इन दो स्थानों पर ई ऑक्शन शुरूः घडसीसर पोटाश ब्लॉक सरदारशहर तहसील से लगभग 30 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 11.72 वर्ग किमी है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की ओर से किये गए सर्वेक्षण में बोरहोल पी-34 में पोटाश के 2 जोन पाए गए हैं, जिनकी कुल मोटाई 10.29 मीटर है तथा औसत के प्रतिशत 3.03 प्रतिशत तथा 4.55 प्रतिशत है. बोरहोल में पोटाश खनिजीकरण 587.88 से 695.53 मीटर गहराई पर पाया गया है. इसी तरह से खीदरपुर ब्लॉक गंगापुर, जिला सवाईमाधोपुर से लगभग 20 किमी दूरी पर स्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 9.464 वर्ग किमी है. नीलामी के लिए प्रस्तावित ब्लॉक में जी.एस.आई. द्वारा 6 बोरहोल के परिणामों के आधार पर 74.57 मिलियन टन तथा औसत के2ओ प्रतिशत 4.72 प्रतिशत पर पोटाश भण्डारों का आंकलन किया गया है. ब्लॉक में ग्लाउकोनाइटिक सेंड स्टोन/सैल के मोटाई 1.99 मीटर से 41.94 मीटर 2 प्रमुख जोन पाए गए हैं.

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कृषि उर्वरक, गोला-बारूद और पेट्रो रसायन बनाने में काम आता है पोटाशः कृषि क्षेत्र में उर्वरक के रूप में पोटाश का प्रयोग प्रमुखता से होता है. पोटाश, नाईट्रोजन व फास्फोरस के बाद तीसरा महत्वपूर्ण घटक है. उर्वरक के अलावा पोटाश का अन्य उपयोग ग्लास, बारूद, रसायन व पेट्रोरसायन आदि बनाने में भी किया जाता है. वर्तमान में भारत पोटाश के लिए पूर्णतः आयात पर निर्भर है, क्योंकि भारत में खनिज पोटाश का कहीं भी खनन नहीं हो रहा है. कनाड़ा, रूस, बेलारूस, चीन, इजरायल, जार्डन आदि प्रमुख पोटाश उत्पादक देश हैं.

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