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अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले की शोभा बनीं पुंगनूर नस्ल की छोटी गायें, देखने के लिए उमड़ी भीड़

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में पहुंचीं पुंगनूर नस्ल की नन्हीं गायें. नंदी को देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ रही है.

पुंगनूर नस्ल की गाय
पुंगनूर नस्ल की गाय (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 10, 2024, 6:07 PM IST

अजमेर : अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला ऊंट और घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस बार नन्हीं गाय और नंदी भी मेले में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. छोटी आकार वाले नंदी और गायों को देखने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. इस लुप्त हो रही नस्ल को देखना मेले में आने वाले लोगों के लिए खास अनुभव रहा है. हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश की पुंगनूर नस्ल के नंदी और गाय की.

पीएम नरेंद्र मोदी भी पुंगनूर नस्ल के गौ वंश को संवर्धन के उद्देश्य से उसके साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चुके हैं. इसके बाद पशु पालकों में पुंगनूर नस्ल की गायों को पालने की होड़ मच गई है. यही वजह है कि आंध्र प्रदेश में पाए जाने वाली यह दुर्लभ नस्ल की गाय अब राजस्थान तक पंहुच गई हैं. जयपुर के एक पशुपालक लुप्त हो रहे इस गौ वंश को अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में लेकर आए हैं, जो मेले की शोभा बन गई हैं. दावा है कि राजस्थान में ये इकलौते पशुपालक हैं जो पुंगनूर नस्ल की गायों को पाल रहे हैं और पुष्कर में प्रदर्शनी के लिए लाए हैं ताकि और लोग भी इन्हें पालें.

पुष्कर पशु मेले में पहुंची पुंगनूर नस्ल की नन्ही गायें (ETV Bharat Ajmer)

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला विविधताओं में एक के लिए भी जाना जाता है. इसमें राजस्थान की सतरंगी लोक संस्कृति ही नहीं, बल्कि अन्य प्रदेशों की संस्कृति के भी दर्शन होते हैं. मेले में ऊंट और अश्व वंश की कई उन्नत नस्लें देखने को मिल रही हैं. वहीं, इन सबके बीच पुंगनूर नस्ल के नन्हे गोवंश को देखना हर किसी हैरान कर देने वाला है. दरअसल, उत्तर और पूर्वी भारत में पुंगनूर नस्ल का गोवंश नहीं पाया जाता है. यह आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्र में ही मिलते हैं, जो अब विलुप्त होने की कगार पर पंहुच चुके हैं. यही वजह है कि खूबसूरत इस गोवंश को बचाने और उनके संवर्धन के लिए जोर दिया जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी भी पुंगनूर नस्ल की गाय के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चुके हैं. पीएम मोदी के बाद यूपी, एमपी के सीएम भी पुंगनूर नस्ल की गाय के पालन और संवर्धन के लिए अपील कर चुके हैं. यही वजह है कि पुंगनूर नस्ल को आगे बढ़ाने के लिए देशभर में कई पशु पालक सामने आए हैं. राजस्थान में भी जयपुर में सिरसी रोड में स्टड फार्म के मालिक अभिनव तिवारी ने भी पुंगनूर नस्ल के गौ वंश को आगे बढ़ने का बीड़ा उठाया है.

इसे भी पढ़ें- अनोखी गौशाला : यहां हैं 3 से 36 इंच तक की गाय, कीमत लाखों में

पहले 2 थीं, अब 22 पुंगनूर गौ वंश हैं : फार्म मालिक अभिनव तिवारी बताते हैं कि गौ वंश में सबसे प्राचीन भारतीय नस्ल में से एक पुंगनूर नस्ल का गौ वंश है, जो दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में पाया जाता था. इसका आकार कम होने और दूध कम होने के कारण लोगों ने इसको पालना बंद कर दिया. इस कारण यह नस्ल खत्म होने की कागार पर पंहुच चुकी है. सन 2019 में पुंगनूर गौ वंश की गायों का संरक्षण शुरू हुआ, तब से हमारा भी प्रयास है कि इनकी नस्ल को बढ़ाया जाए. गौ वंश की सभी देशी नस्ल को संरक्षण और संवर्धन मिलना ही चाहिए. तिवारी बताते है कि 2 गाय से उन्होंने शुरुआत की थी, अब उनके पास 22 पुंगनूर गौ वंश हैं. इनमें नंदी और गायें शामिल हैं. इनके अलावा 18, 22 और 24 इंची बच्चे भी हैं.

18 से 36 इंच तक होती है हाइट : अभिनव तिवारी बताते हैं कि उनके पास 27 इंच और 36 इंच की गायें हैं. उनके पास एक नंदी है, जिसकी हाइट 33 इंच है. उन्होंने बताया कि आकार में छोटी होने के बावजूद भी पुंगनूर गाय 2 से 5 लीटर तक दूध दे देती है. यह बिल्कुल देशी गाय है. इसके कद के अलावा और कुछ भी इसमें अलग नहीं है. उन्होंने कहा कि जो खुराक देशी गाय की है, वही खुराक इस गाय की भी है. प्रतिदिन एक गाय एक किलो चारा खाती है. माह में एक गाय का खर्च 2500 से 3000 हजार है.

इसे भी पढ़ें- Rajasthan: राजस्थान में सड़क पर घूमते गोवंश को नहीं कह सकेंगे 'आवारा', सरकार का आदेश- निराश्रित कहें या बेसहारा

घरों में आसानी से रह सकती है : तिवारी बताते हैं कि इनमें सबसे खास यह है कि यह हमारे घरों में टाइल, संगमरमर या ग्रेनाइट पर भी अपने विशेष खुरों से चल लेती हैं. जिनके पास जगह का अभाव है, वे इसको घर के अंदर भी पाल सकते हैं. उन्होंने बताया कि पुंगनूर नस्ल की गायों की रोग प्रतिरोधक क्षमता सभी गायों से बहुत अच्छी है. तिवारी ने बताया कि पुष्कर मेले में हर बार वे अपने स्टड फार्म के घोड़े लाया करते थे, लेकिन इस बार वे गाय लेकर आये हैं. लोगों ने अक्सर सोशल मीडिया पर इस खास नस्ल की छोटे आकार की गायों को देखा था. हमारा मकसद था कि लोग इन्हें रूबरू देखे और इनको पालने की ख्वाहिश करें, ताकि इनकी नस्ल में इजाफा हो सके.

पीएम मोदी ने किया प्रमोट : 2023 में संक्रांति पर पुंगनूर नस्ल के गौ वंश को पीएम मोदी ने प्रमोट करते हुए पीएम हाउस का एक वीडियो डाला था, जिसमें मोदी गाय को चारा खिला रहे हैं. इसके बाद गाय की डिमांड बढ़ गई है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दो गायों को अपने पास में रखा है. एमपी सीएम मोहन यादव ने भी दो गाय मंगवाई हैं. इस गौ वंश को लेकर लोगों का रुझान जबरदस्त देखा जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- गोपाष्टमी : राज्यपाल ने की गाय की पूजा, बोले- जिन क्षेत्रों में दूध का व्यवसाय ज्यादा, वहां आत्महत्याएं कम

हर परिवार को एक गाय पालनी चाहिए : तिवारी ने कहा कि वो केवल प्रदर्शनी के हिसाब से पुंगनूर नस्ल के मवेशी लेकर मेले में आये हैं. उन्होंने कहा कि भारत की सभी देशी नस्ल की गायों को संरक्षण की दरकार है. गाय पहले घरों में रहती थी और अब सड़कों पर घूम रही है, कचरा और प्लास्टिक खा रही है. हाइवे पर हादसो की शिकार होकर मर रही हैं. कोशिश यही होनी चाहिए कि हर घर में यह गाय हो, जिससे उन्हें पौष्टिक दूध भी मिले. एक परिवार को एक गाय जरूर पालनी चाहिए. जगह नहीं है तो बड़ी नही यह छोटी गाय भी पाली जा सकती है.

अजमेर : अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला ऊंट और घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस बार नन्हीं गाय और नंदी भी मेले में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. छोटी आकार वाले नंदी और गायों को देखने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. इस लुप्त हो रही नस्ल को देखना मेले में आने वाले लोगों के लिए खास अनुभव रहा है. हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश की पुंगनूर नस्ल के नंदी और गाय की.

पीएम नरेंद्र मोदी भी पुंगनूर नस्ल के गौ वंश को संवर्धन के उद्देश्य से उसके साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चुके हैं. इसके बाद पशु पालकों में पुंगनूर नस्ल की गायों को पालने की होड़ मच गई है. यही वजह है कि आंध्र प्रदेश में पाए जाने वाली यह दुर्लभ नस्ल की गाय अब राजस्थान तक पंहुच गई हैं. जयपुर के एक पशुपालक लुप्त हो रहे इस गौ वंश को अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में लेकर आए हैं, जो मेले की शोभा बन गई हैं. दावा है कि राजस्थान में ये इकलौते पशुपालक हैं जो पुंगनूर नस्ल की गायों को पाल रहे हैं और पुष्कर में प्रदर्शनी के लिए लाए हैं ताकि और लोग भी इन्हें पालें.

पुष्कर पशु मेले में पहुंची पुंगनूर नस्ल की नन्ही गायें (ETV Bharat Ajmer)

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला विविधताओं में एक के लिए भी जाना जाता है. इसमें राजस्थान की सतरंगी लोक संस्कृति ही नहीं, बल्कि अन्य प्रदेशों की संस्कृति के भी दर्शन होते हैं. मेले में ऊंट और अश्व वंश की कई उन्नत नस्लें देखने को मिल रही हैं. वहीं, इन सबके बीच पुंगनूर नस्ल के नन्हे गोवंश को देखना हर किसी हैरान कर देने वाला है. दरअसल, उत्तर और पूर्वी भारत में पुंगनूर नस्ल का गोवंश नहीं पाया जाता है. यह आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्र में ही मिलते हैं, जो अब विलुप्त होने की कगार पर पंहुच चुके हैं. यही वजह है कि खूबसूरत इस गोवंश को बचाने और उनके संवर्धन के लिए जोर दिया जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी भी पुंगनूर नस्ल की गाय के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चुके हैं. पीएम मोदी के बाद यूपी, एमपी के सीएम भी पुंगनूर नस्ल की गाय के पालन और संवर्धन के लिए अपील कर चुके हैं. यही वजह है कि पुंगनूर नस्ल को आगे बढ़ाने के लिए देशभर में कई पशु पालक सामने आए हैं. राजस्थान में भी जयपुर में सिरसी रोड में स्टड फार्म के मालिक अभिनव तिवारी ने भी पुंगनूर नस्ल के गौ वंश को आगे बढ़ने का बीड़ा उठाया है.

इसे भी पढ़ें- अनोखी गौशाला : यहां हैं 3 से 36 इंच तक की गाय, कीमत लाखों में

पहले 2 थीं, अब 22 पुंगनूर गौ वंश हैं : फार्म मालिक अभिनव तिवारी बताते हैं कि गौ वंश में सबसे प्राचीन भारतीय नस्ल में से एक पुंगनूर नस्ल का गौ वंश है, जो दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में पाया जाता था. इसका आकार कम होने और दूध कम होने के कारण लोगों ने इसको पालना बंद कर दिया. इस कारण यह नस्ल खत्म होने की कागार पर पंहुच चुकी है. सन 2019 में पुंगनूर गौ वंश की गायों का संरक्षण शुरू हुआ, तब से हमारा भी प्रयास है कि इनकी नस्ल को बढ़ाया जाए. गौ वंश की सभी देशी नस्ल को संरक्षण और संवर्धन मिलना ही चाहिए. तिवारी बताते है कि 2 गाय से उन्होंने शुरुआत की थी, अब उनके पास 22 पुंगनूर गौ वंश हैं. इनमें नंदी और गायें शामिल हैं. इनके अलावा 18, 22 और 24 इंची बच्चे भी हैं.

18 से 36 इंच तक होती है हाइट : अभिनव तिवारी बताते हैं कि उनके पास 27 इंच और 36 इंच की गायें हैं. उनके पास एक नंदी है, जिसकी हाइट 33 इंच है. उन्होंने बताया कि आकार में छोटी होने के बावजूद भी पुंगनूर गाय 2 से 5 लीटर तक दूध दे देती है. यह बिल्कुल देशी गाय है. इसके कद के अलावा और कुछ भी इसमें अलग नहीं है. उन्होंने कहा कि जो खुराक देशी गाय की है, वही खुराक इस गाय की भी है. प्रतिदिन एक गाय एक किलो चारा खाती है. माह में एक गाय का खर्च 2500 से 3000 हजार है.

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घरों में आसानी से रह सकती है : तिवारी बताते हैं कि इनमें सबसे खास यह है कि यह हमारे घरों में टाइल, संगमरमर या ग्रेनाइट पर भी अपने विशेष खुरों से चल लेती हैं. जिनके पास जगह का अभाव है, वे इसको घर के अंदर भी पाल सकते हैं. उन्होंने बताया कि पुंगनूर नस्ल की गायों की रोग प्रतिरोधक क्षमता सभी गायों से बहुत अच्छी है. तिवारी ने बताया कि पुष्कर मेले में हर बार वे अपने स्टड फार्म के घोड़े लाया करते थे, लेकिन इस बार वे गाय लेकर आये हैं. लोगों ने अक्सर सोशल मीडिया पर इस खास नस्ल की छोटे आकार की गायों को देखा था. हमारा मकसद था कि लोग इन्हें रूबरू देखे और इनको पालने की ख्वाहिश करें, ताकि इनकी नस्ल में इजाफा हो सके.

पीएम मोदी ने किया प्रमोट : 2023 में संक्रांति पर पुंगनूर नस्ल के गौ वंश को पीएम मोदी ने प्रमोट करते हुए पीएम हाउस का एक वीडियो डाला था, जिसमें मोदी गाय को चारा खिला रहे हैं. इसके बाद गाय की डिमांड बढ़ गई है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दो गायों को अपने पास में रखा है. एमपी सीएम मोहन यादव ने भी दो गाय मंगवाई हैं. इस गौ वंश को लेकर लोगों का रुझान जबरदस्त देखा जा रहा है.

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हर परिवार को एक गाय पालनी चाहिए : तिवारी ने कहा कि वो केवल प्रदर्शनी के हिसाब से पुंगनूर नस्ल के मवेशी लेकर मेले में आये हैं. उन्होंने कहा कि भारत की सभी देशी नस्ल की गायों को संरक्षण की दरकार है. गाय पहले घरों में रहती थी और अब सड़कों पर घूम रही है, कचरा और प्लास्टिक खा रही है. हाइवे पर हादसो की शिकार होकर मर रही हैं. कोशिश यही होनी चाहिए कि हर घर में यह गाय हो, जिससे उन्हें पौष्टिक दूध भी मिले. एक परिवार को एक गाय जरूर पालनी चाहिए. जगह नहीं है तो बड़ी नही यह छोटी गाय भी पाली जा सकती है.

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