जयपुर. हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है. आध्यात्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी इस पर्व का बहुत महत्व है. यह पूरे भारत में हर साल मध्य जनवरी में मनाई जाती है. दिलचस्प बात यह है कि इस त्योहार के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम हैं. इसलिए चलिए जानते हैं कि मकर संक्रांति दिन कौन सा काम नहीं करना चाहिए. अगर करते हैं तो इसके क्या-क्या नुकसान हो सकता है.
15 जनवरी है मकर संक्रांति का पर्व: सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है, क्योंकि मकर संक्रांति सूर्य की वार्षिक गति से निर्धारित होती है, इसलिए त्योहार की तिथि साल दर साल समान रहती है. हालांकि, त्योहार निर्धारित तिथि से एक दिन पहले या बाद में मनाया जा सकता है. मसलन इस साल सूर्य धनु से मकर में 15 जनवरी को प्रवेश करेगा. इसलिए इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन कौन सा काम नहीं करना चाहिए.
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तामसिक भोजन नहीं करना ताहिए: शास्त्रों के मुताबिक, सनातन धर्म में मकर संक्रांति दिन शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं. इस दिन दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. किसी भी तरह के नशे जैसे सिगरेट, शराब, गुटका आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही इस दिन मसालेदार भोजन का भी सेवन न करें. संक्रांति के दिन तिल और मूंग दाल की खिचड़ी का सेवन करना अच्छा माना जाता है. साथ ही मकर संक्रांति के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए.
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भिखारी, साधु या बुजुर्ग को खाली हाथ न लौटाएं: मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन अगर कोई आपके घर पर आए तो उसे खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए. खास तौर पर साधु, बुजुर्ग और भिखारी को नहीं लौटाना चाहिए. इतना ही नहीं मकर संक्रांति के दिन किसी के लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और किसी पर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए.
मकर संक्रांति इतिहास: हिंदू धर्म में सूर्य को देवता (सूर्य देव) के रूप में पूजा जाता है. इसलिए लोग पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य भगवान की पूजा करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि सूर्य कृषि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कई क्षेत्रों में मकर संक्रांति एक फसल उत्सव है. इसके अलावा अलग-अलग समुदाय इस त्योहार को मनाने के लिए एक साथ मिलते हैं. इसलिए सामाजिक दृष्टिकोण से मकर संक्रांति देश का ताना-बाना बुनती है.