ETV Bharat / state

क्या आप जानते हैं नारायण के हाथों में चक्र कहां से आया

गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. पालनहार भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त नारद मुनि उन्हें नारायण कहकर ही बुलाते हैं. नारायण के हाथों में अक्सर सुदर्शन चक्र रहता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह चक्र कहां से आया है. चलिए आज इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि आखिर यह चक्र आया कहां से...

vishnu bhgawan related article, thursday special vishnu news, jaipur news, जयपुर खबर, विष्णु भगवान स्पेशल न्यूज, नारायण के हाथों में चक्र
author img

By

Published : Sep 26, 2019, 8:56 AM IST

जयपुर. पौराणिक कथाओं के अनुसार जल भगवान विष्णु के चरणों से उत्पन्न हुआ है. जल को 'नीर' या 'नर' नाम से भी जाना जाता है. भगवान विष्णु भी पानी में रहते हैं, इसलिए 'नर' से उनका नाम नारायण बना है. भगवान विष्णु को 'हरि' नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार हरि का मतलब हरने वाला या चुराने वाला होता है. कहा जाता है. 'हरि हरति पापणि' इसका मतलब है हरि भगवान हैं, जो जीवन से पाप और समस्याओं को समाप्त करते हैं.

vishnu bhgawan related article, thursday special vishnu news, jaipur news, जयपुर खबर, विष्णु भगवान स्पेशल न्यूज, नारायण के हाथों में चक्र
एक हजार कमल के पुष्प किया अर्पित

एक बार नारायण ने सोचा कि वो अपने इष्ट देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें एक हजार कमल के पुष्प अर्पित करेंगे. पूजा की सारी सामग्री एकत्रित करने के बाद उन्होंने अपना आसान ग्रहण किया और आंखे बंद कर संकल्प को दोहराकर अनुष्ठान शुरू किया.

पढ़ें- जानिए आखिर क्यों ऋषि गौतम की रसोई से गणेश ने चुराया भोजन

किन्तु अभी इस क्षण भगवान शंकर, भगवान की भूमिका में थे, जबकि भगवान नारायण भक्त की. शिव को एक ठिठोली सूझी. उन्होंने चुपचाप सभी कमलो में से एक कमल चुरा लिया. नारायण अपने इष्ट की भक्ति में इस तरह से लीन थे कि उन्हें इस बारे कुछ भी पता नहीं चला. जब नौ सौ निन्यानवे कमल चढ़ाने के बाद नारायण ने एक हजारवें कमल को चढ़ाने के लिए थाल में हाथ डाला तो देखा कमल का फूल नहीं था.

श्रीहरि विष्णु के हाथों में चक्र कहां से आया

पढ़ें- जानें क्यों भगवान श‌िव ने नृत्य करते हुए बजाया चौदह बार डमरू

कमल पुष्प लाने के लिए न तो वे स्वयं उठ कर जा सकते थे और न किसी को बोलकर मंगवा सकते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि भगवान की पूजा या कोई अनुष्ठान करते समय न तो बीच में से उठा जा सकता है न ही किसी से बात की जा सकती है. विष्णु चाहते तो अपनी माया से कमल के पुष्पों का ढेर थाल में प्रकट कर लेते, किन्तु इस समय वो भगवान नहीं बल्कि अपने इष्ट के भक्त के रूप में थे. इस कारण वश वे अपनी शक्तियों का उपयोग अपनी भक्ति में नहीं करना चाहते थे.

vishnu bhgawan related article, thursday special vishnu news, jaipur news, जयपुर खबर, विष्णु भगवान स्पेशल न्यूज, नारायण के हाथों में चक्र
शरीर से आंख निकालकार शिव जी को कमल पुष्प की तरह की अर्पित

पढें- 'घर-घर में गौर-गौर गोमती, ईसर पूजे पार्वती' के गूंजे स्वर...

तब नारायण ने सोचा लोग मुझे कमल नयन बोलते है और तब नारायण ने अपनी एक शरीर से आंख निकालकार शिव जी को कमल पुष्प की तरह अर्पित कर दिया और इस तरह उन्होंने अपना अनुष्ठान पूरा किया. नारायण का इतना समर्पण देखकर शिव जी बहुत प्रसन्न हुए. शिव की आंखों में से खुशी के आंसू निकल पड़े . इतना ही नहीं, नारायण के इस त्याग से शिव जी मन से ही नहीं बल्कि शरीर से भी पिघल गए और चक्र रूप में बदल गए. ये वही चक्र है जो नारायण हमेशा धारण किये रहते है. तब से नारायण इस चक्र को अपने दाहिने हाथ की तर्जनी में धारण करते है. इस तरह नारायण और शिव हमेशा एक दूसरे के साथ ही रहते हैं.

जयपुर. पौराणिक कथाओं के अनुसार जल भगवान विष्णु के चरणों से उत्पन्न हुआ है. जल को 'नीर' या 'नर' नाम से भी जाना जाता है. भगवान विष्णु भी पानी में रहते हैं, इसलिए 'नर' से उनका नाम नारायण बना है. भगवान विष्णु को 'हरि' नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार हरि का मतलब हरने वाला या चुराने वाला होता है. कहा जाता है. 'हरि हरति पापणि' इसका मतलब है हरि भगवान हैं, जो जीवन से पाप और समस्याओं को समाप्त करते हैं.

vishnu bhgawan related article, thursday special vishnu news, jaipur news, जयपुर खबर, विष्णु भगवान स्पेशल न्यूज, नारायण के हाथों में चक्र
एक हजार कमल के पुष्प किया अर्पित

एक बार नारायण ने सोचा कि वो अपने इष्ट देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें एक हजार कमल के पुष्प अर्पित करेंगे. पूजा की सारी सामग्री एकत्रित करने के बाद उन्होंने अपना आसान ग्रहण किया और आंखे बंद कर संकल्प को दोहराकर अनुष्ठान शुरू किया.

पढ़ें- जानिए आखिर क्यों ऋषि गौतम की रसोई से गणेश ने चुराया भोजन

किन्तु अभी इस क्षण भगवान शंकर, भगवान की भूमिका में थे, जबकि भगवान नारायण भक्त की. शिव को एक ठिठोली सूझी. उन्होंने चुपचाप सभी कमलो में से एक कमल चुरा लिया. नारायण अपने इष्ट की भक्ति में इस तरह से लीन थे कि उन्हें इस बारे कुछ भी पता नहीं चला. जब नौ सौ निन्यानवे कमल चढ़ाने के बाद नारायण ने एक हजारवें कमल को चढ़ाने के लिए थाल में हाथ डाला तो देखा कमल का फूल नहीं था.

श्रीहरि विष्णु के हाथों में चक्र कहां से आया

पढ़ें- जानें क्यों भगवान श‌िव ने नृत्य करते हुए बजाया चौदह बार डमरू

कमल पुष्प लाने के लिए न तो वे स्वयं उठ कर जा सकते थे और न किसी को बोलकर मंगवा सकते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि भगवान की पूजा या कोई अनुष्ठान करते समय न तो बीच में से उठा जा सकता है न ही किसी से बात की जा सकती है. विष्णु चाहते तो अपनी माया से कमल के पुष्पों का ढेर थाल में प्रकट कर लेते, किन्तु इस समय वो भगवान नहीं बल्कि अपने इष्ट के भक्त के रूप में थे. इस कारण वश वे अपनी शक्तियों का उपयोग अपनी भक्ति में नहीं करना चाहते थे.

vishnu bhgawan related article, thursday special vishnu news, jaipur news, जयपुर खबर, विष्णु भगवान स्पेशल न्यूज, नारायण के हाथों में चक्र
शरीर से आंख निकालकार शिव जी को कमल पुष्प की तरह की अर्पित

पढें- 'घर-घर में गौर-गौर गोमती, ईसर पूजे पार्वती' के गूंजे स्वर...

तब नारायण ने सोचा लोग मुझे कमल नयन बोलते है और तब नारायण ने अपनी एक शरीर से आंख निकालकार शिव जी को कमल पुष्प की तरह अर्पित कर दिया और इस तरह उन्होंने अपना अनुष्ठान पूरा किया. नारायण का इतना समर्पण देखकर शिव जी बहुत प्रसन्न हुए. शिव की आंखों में से खुशी के आंसू निकल पड़े . इतना ही नहीं, नारायण के इस त्याग से शिव जी मन से ही नहीं बल्कि शरीर से भी पिघल गए और चक्र रूप में बदल गए. ये वही चक्र है जो नारायण हमेशा धारण किये रहते है. तब से नारायण इस चक्र को अपने दाहिने हाथ की तर्जनी में धारण करते है. इस तरह नारायण और शिव हमेशा एक दूसरे के साथ ही रहते हैं.

Intro:Body:

sadhana


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.