जयपुर. दीप और प्रकाश का पर्व दीपावली इस बार आज मनाया जा रहा है. इसे लेकर पूरे दुनिया में सनातन धर्म को मानने वाले लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. क्योंकि दीपावली का त्यौहार खुशियों उमंग और उत्साह को लेकर आता है और हर किसी में ऊर्जा का संचार भी हो जाता है. यही वजह है कि इस त्यौहार को लेकर हर किसी के मन में बहुत सी उम्मीदें होती हैं और तैयारियां करने में लोग कई महीने पहले से ही जुड़ जाते हैं. साफ-सफाई से लेकर घर सजाना और माता लक्ष्मी के आगमन के लिए तैयारियां करना हर किसी को बेहद पसंद आता है, लेकिन इस खास पर्व पर मुहूर्त और पूजा पाठ का विशेष महत्व माना गया है. क्या है इस बार दीपावली के पर्व पर खास और ज्योतिषीय दृष्टि से दीपावली का पर्व किस तरह से मनाया जाएगा जानिए.
कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व (Diwali 2022) मनाया जाता है. शास्त्रों के मुताबिक कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय इस दिन मां महालक्ष्मी अवतार का प्रादुर्भाव हुआ था और तभी से दीपावली के दिन को मां महालक्ष्मी की पूजा आराधना का दिन माना जाता है. मां महालक्ष्मी की पूजा अर्चना से धन, ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है. धन, ऐश्वर्य और वैभव का खजाना हमेशा भरा रहे और इसके लिए इस दिन भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है.
पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि किसी भी पूजा-अर्चना में सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना होती है और इसीलिए दीपावली के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. उनके साथ मां महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की भी पूजा होती है. कहते हैं कि मां महालक्ष्मी भगवान विष्णु की पूजा अर्चना से प्रसन्न होती है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए.
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स्थिर लग्न में होती है पूजा फलदायी- पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि वैसे तो दीपावली के दिन पूरे दिन ही पूजा अर्चना का महत्व है लेकिन मां लक्ष्मी की पूजा आराधना और विशेष पूजा अर्चना स्थिर लग्न में करनी चाहिए. वे कहते हैं कि गोधूलि लग्न, वृश्चिक लग्न, वृषभ लग्न सिंह लग्न जो कि रात्रि में आता है. इन लग्न में महालक्ष्मी की पूजा आराधना करनी चाहिए और इन सब में सिंह लग्न सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.
करना चाहिए यह पाठ- वे कहते हैं कि दीपावली की पूजा के समय कनकधारा स्त्रोत, गोपाल सहस्त्रनाम, श्रीसूक्त का पाठ करना चाहिए. इन सबका हमारे शास्त्रों में विधान है. वे कहते हैं कि इससे धन ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि कनकधारा स्रोत का पाठ करने रोजाना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य की बरसात करती हैं. साथ ही यह भी मान्यता है कि जब दिवाली पूजा की जाती है तो उस दौरान मां लक्ष्मी वहीं विराजती हैं. प्रचलित कथाओं के अनुसार कनकधारा स्रोत के पाठ से आदिशंकराचार्य ने सोने की बारिश करवाई थी. इसलिए इस पाठ को चमत्कारी और अधिक फलदायी माना गया है.
दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (Diwali 2022 Lakshmi Puja Muhurat)
- कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ - 24 अक्टूबर 2022, शाम 05.27
- कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त - 25 अक्टूबर 2022, शाम 04.18
- लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त (शाम) - 07.02 PM - 08.23 PM (24 अक्टूबर 2022)
- लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त (मध्यरात्रि) - 24 अक्टूबर 2022, 11.46 PM - 25 अक्टूबर 2022, 12.37 AM
दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा शुभ चौघड़िया
- प्रदोष काल - 05.50 PM - 08:23 PM
- वृषभ काल - 07:02 PM- 08.58 PM
- अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 05:27 PM - 05:50 PM
- शाम मुहूर्त (चर) - 05:50 PM - 07:26 PM
- रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 10:36 PM - 12:11 AM
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दीपक से रोशनी का तात्पर्य- कहते हैं भगवती के मामा लक्ष्मी स्वरूप का प्रादुर्भाव इसी दिन हुआ था और उनकी आगमन की खुशी में घी और तेल के दीपक जलाए जाते हैं और रोशनी की जाती है. हालांकि इसी दिन भगवान राम का वनवास के बाद अयोध्या आगमन हुआ था और उस खुशी में भी अयोध्यावासियों ने दीपक जलाए थे. दीपावली के दिन दीपक जलाने की परंपरा उससे भी पुरानी है और यह मां महालक्ष्मी के प्रादुर्भाव दिवस से जुड़ी हुई है.