जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर-तृतीय ने मेडिक्लेम की राशि देने से इंकार करने के मामले में युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया है कि वह परिवादी को आंखों के इलाज पर खर्च हुई राशि 94543 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज सहित दे. वहीं परिवादी को हुई परेशानी के लिए 30 हजार रुपए हर्जाना दे. आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र मोहन माथुर व सदस्या सीमा शर्मा ने यह आदेश विद्याधर निवासी डॉ ओमप्रकाश अग्रवाल के परिवाद पर दिया.
आयोग ने कहा कि जब बीमा कंपनी का कोई व्यक्ति ही मौजूद नहीं था तो वह किस आधार पर यह कह सकती है कि इलाज आउटडोर का है या इनडोर का है. इलाज कोई भी हो, वह डॉक्टर की सलाह पर ही निर्भर करता है. परिवादी को इंजेक्शन से होने वाले रिएक्शन से बचाने व उसकी सुरक्षा के लिए ही अस्पताल में भर्ती किया था, जिसे गलत नहीं मान सकते. मामले के अनुसार, परिवादी पिछले कई सालों से बीमा कंपनी से मेडिक्लेम करवा रहा है. उसने 30 मार्च, 2019 से 29 मार्च, 2020 के लिए भी बीमा कंपनी से हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ली.
पढ़ें: फ्लाइट ने यात्री का सामान समय पर नहीं दिया, 50 हजार का लगा जुर्माना
इस दौरान उसे आंखों में परेशानी होने पर कई डॉक्टर्स को दिखाया और उसमें डॉ विकास गुप्ता ने उसके मधुमेह जनित मेक्युलर इडीमा होना बताया और इसके लिए तीन महीनों तक एक बार आंख के रेटीना में इंजेक्शन लगाने के लिए कहा. वह 25 दिसंबर, 2019 को भर्ती रहा और इलाज के 24 घंटे बाद उसे छुट्टी दे दी गई. इसके बाद वह दूसरा व तीसरा इंजेक्शन लगवाने के लिए भी भर्ती हुआ. लेकिन जब उसने इलाज राशि के पुनर्भुगतान के लिए बीमा कंपनी में क्लेम किया, तो कंपनी ने यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि उसे भर्ती होने की जरूरत नहीं थी.