जयपुर. प्रदेश में चुनावी सीजन के बीच 146 दिन बाद फिर से शादियों का सीजन भी शुरू होने जा रहा है. अधिमास की वजह से इस बार चार की बजाय पांच महीने बाद गुरुवार को देवउठनी एकादशी पर शादी-विवाह सहित दूसरे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी. इस दिन स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त होने से प्रदेशभर में शहनाइयां गूंजेगी. प्रदेश में करीब 50 हजार शादियां होंगी. इससे पहले घंटे-घड़ियाल बजाकर भगवान को जगाया जाएगा.
ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार देव उठानी एकादशी सभी एकादशी में श्रेष्ठ मानी गई है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और एक बार फिर सृष्टि का कार्य भार संभालते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के विवाह का भी आयोजन किया जाता है. देवउठनी एकादशी को देव दिवाली, देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं.
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उन्होंने बताया कि 29 जून को देवशयनी एकादशी के दिन मांगलिक कार्यों पर रोक लग गई थी और अब कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर 23 नवम्बर को देवउठनी एकादशी (देवप्रबोधिनी एकादशी) पर शादी समारोह और दूसरे मांगलिक कार्य शुरू होंगे. उन्होंने बताया कि 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु मलमास रहेगा. इसके बाद शादी-विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों पर दोबारा विराम लग जाएगा. उन्होंने बताया कि देवउठनी एकादशी पर स्वयं सिद्ध अबूझ सावा रहेगा. इसके बाद 24 नवम्बर को 8 रेखीय, 25 नवम्बर को 6 रेखीय, 27 नवम्बर को 7 रेखीय, 28 नवम्बर को 9 रेखीय, 29 नवम्बर को 10 रेखीय, 4 दिसम्बर को 8 रेखीय, 6 दिसम्बर को 6 रेखीय, 7 दिसम्बर को 6 रेखीय और 8 दिसम्बर को 8 रेखीय सावा रहेगा.
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वहीं मैरिज गार्डन और टेंट एसोसिएशन से जुड़े रवि जिंदल के अनुसार जयपुर जिले में देवउठनी एकादशी पर करीब 20 हजार शादियां होंगी. जबकि पूरे प्रदेश में ये आंकड़ा 50 हजार के करीब रहेगा. इन शादियों को लेकर करीब 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की गार्डन, होटल, केटरिंग, ज्वेलरी और कपड़े का बाजार बताया जा रहा है.