जयपुर. ईडब्ल्यूएस आरक्षण की सीमा 14 फीसदी करने और पंचायती राज व अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं के चुनाव में ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने की मांग को लेकर सोमवार को प्रदर्शन किया गया. ये प्रदर्शन श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के बैनर तले हुआ. जिसमें आम लोगों के साथ ही भारी संख्या में अधिवक्ता भी शामिल रहे. वहीं, प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को ज्ञापन सौंपा, साथ ही ईडब्ल्यूएस की विसंगतियों को दूर करने की मांग की.
दरअसल, श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के बैनर तले सोमवार को वकील व अन्य लोग रैली के रूप में जयपुर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और यहां उन्होंने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को 14 फीसदी करने सहित ईडब्ल्यूएस बनने में आ रही विसंगतियों को दूर करने की मांग की. इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम से जयपुर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को ज्ञापन भी सौंपा गया.
जानें क्या है मांग : अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि जब केंद्र सरकार ने 20 जनवरी, 2019 को अनारक्षित वर्गों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का नोटिफिकेशन जारी किया था तो मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा था. जिसमें 14 फीसदी आरक्षण की मांग की गई थी, लेकिन वर्तमान में ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत ही आरक्षण दिया जा रहा है. ईडब्ल्यूएस को सर्वसम्मति से 14 फीसदी आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का विधेयक भी विधानसभा में पारित हो चुका है. इसके बावजूद भी आरक्षण 10 फीसदी ही दिया जा रहा है.
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वहीं, इस दौरान मुख्यमंत्री से मांग की गई कि वो केंद्र से सिफारिश करें कि राजस्थान में ईडब्ल्यूएस को 14 फीसदी आरक्षण दिया जाए. अधिवक्ता नरूका ने बताया कि ईडब्ल्यूएस को आरक्षण अभी सरकारी नौकरियां और शिक्षा में ही दिया गया है. ऐसे में हमारी मांग है कि पंचायती राज व अन्य निकाय चुनाव में भी ईडब्ल्यूएस को अन्य वर्गों की तरह आरक्षण दिया जाए. इससे ईडब्ल्यूएस को समुचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलेगा और उनका समुचित विकास होगा.
पेश आ रही ये समस्याएं : नरूका ने आगे कहा कि केंद्र सरकार के ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनाने में कई तरह की विसंगतियां सामने आई हैं. हालांकि राज्य सरकार ने यह विसंगतियां दूर कर दी है, लेकिन केंद्र में अभी भी यह विसंगतियां बनी हुई हैं. राजस्थान सरकार ने ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनाने में संपत्ति संबंधी शर्त को हटाकर आठ लाख की वार्षिक आय को ही मापदंड माना है. जमीन और मकान का नियम केंद्र के नियमों में शामिल है. जिसके कारण केंद्र सरकार का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनाने में कई तरह की दिक्कत आम जनता को हो रही है. यही कारण है कि जब भी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं तो केंद्र सरकार के ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों की संख्या काफी कम होती है. हमारी मांग है कि केंद्र सरकार के ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनाने में मकान और घर की शर्त को हटाया जाए.
नरूका ने कहा कि जब एक महिला का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनाया जाता है तो उसमें उसके पति, भाई और माता-पिता की आय को शामिल किया जाता है. इस तरह की विसंगतियों से महिला का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र बनने में परेशानी होती है और उन्हें पीहर और ससुराल के प्रशासनिक कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इस विसंगति को भी जल्द से जल्द दूर किया जाए, ताकि जरूरतमंद आम जनता को ईडब्ल्यूएस का लाभ मिल सके.
उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थी को स्कॉलरशिप मिले. साथ ही ईडब्ल्यूएस आरक्षण के तहत राज्य सरकार ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थी को अधिकतम आयु सीमा, न्यूनतम अहर्ता, फीस आदि में छूट देती है, इसलिए केंद्र सरकार भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण में इस तरह की छूट दे. केंद्र सरकार के ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की वैधता भी 3 वर्ष या 5 वर्ष की जाए और शपथ पत्र के आधार पर इसका नवीनीकरण किया जाए.उन्होंने बताया कि आज यह मांग जयपुर के स्तर पर उठाई गई है और आने वाले दिनों में यह मांग प्रदेश के सभी तहसील स्तर पर भी की जाएगी और इस संबंध में अधिकारियों को ज्ञापन भी दिए जाएंगे.