जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा के बाद पुलिस अधिकारियों ने सिपाही प्रहलाद सिंह के परिजनों से समझाइश की और शव का पोस्टमार्टम करवाया. अब शनिवार सुबह उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा. इससे पहले परिजनों और राजपूत समाज के लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो घोषणाएं की हैं. वह समय पर पूरी होनी चाहिए. प्रहलाद सिंह नीमकाथाना के चिपलता गांव की खातीवाला की ढाणी के रहने वाले थे. जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ सहित अन्य पुलिस अधिकारी भी अस्पताल में उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे.
बता दें कि इससे पहले घायल कांस्टेबल प्रहलाद सिंह ने शुक्रवार को सवाई मानसिंह अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. कांस्टेबल प्रहलाद सिंह को शहीद का दर्जा देने की मांग को लेकर परिजन सवाई मानसिंह अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए थे. परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया था. परिजनों के समर्थन में कई सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग भी मोर्चरी के बाहर पहुंचें. कांस्टेबल प्रहलाद सिंह के भाई रणजीत सिंह ने बताया कि परिवार का सहारा छिन गया है.
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उन्होंने कहा कि प्रहलाद को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए इतने सारे लोगों को यहां बैठना पड़ रहा है, यह बहुत बड़े शर्म की बात है. प्रहलाद पुलिस का जवान था. वह शहीद हो गया है और उसे शहीद का दर्जा दिलाने के लिए भी धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है. यह राजस्थान प्रशासन के लिए शर्म की बात है. पूरा परिवार प्रहलाद पर आश्रित था. प्रहलाद की वर्ष 2013 में शादी हुई थी और दो बच्चे हैं. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और पालन-पोषण मुश्किल हो गया है. घर में बुजुर्ग माता-पिता हैं, जो बीमार रहते हैं. घर में कमाने वाला प्रहलाद था. उसके अलावा हम दो भाई बेरोजगार हैं.
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उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि भाई प्रहलाद को शहीद का दर्जा दिया जाए. लिखित में देने के बाद ही हम धरने से उठेंगे. श्री राजपूत सभा के अध्यक्ष राम सिंह चंदलाई ने बताया कि प्रहलाद को शहीद का दर्जा देना पड़ेगा और यह हम लेकर रहेंगे. प्रहलाद ने बहादुरी और शौर्य दिखाया था. बदमाशों का पीछा करके उनको पकड़ने की कोशिश की थी. बदमाशों ने उसे गोली मार दी. सबसे पहले राजस्थान पुलिस की जिम्मेदारी है कि प्रहलाद के लिए तुरंत ही घोषणा करनी चाहिए.
परिजनों की मांगे: परिजनों ने मांग की थी कि प्रहलाद को शहीद का दर्जा मिले. 50 बीघा जमीन, एक पेट्रोल पंप, आश्रित पत्नी और बच्चों के भरण पोषण के लिए 2.5 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता और धर्मपत्नी को द्वितीय ग्रेड की सरकारी नौकरी मिले. बच्चा बालिग हो जाने पर उसे सरकारी नौकरी, गैलंट्री अवॉर्ड, गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का नाम शहीद प्रहलाद सिंह के नाम से किया जाए और गांव के मुख्य चौराहे पर उसकी प्रतिमा लगवाई जाए. बच्चों की प्राथमिक और उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार के खर्चे पर केंद्रीय विद्यालय में करवाई जाए. दौसा पुलिस लाइन के शहीद स्थल पर प्रहलाद सिंह की मूर्ति का अनावरण करवाया जाए. शहीद को दी जाने वाले सम्मान और सुविधाएं शहीद की पत्नी और परिवार को अविलंब दी जाएं.
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प्रहलाद सिंह का सवाई मानसिंह अस्पताल में इलाज चल रहा था. सवाई मानसिंह अस्पताल के बांगड़ में इलाज के दौरान प्रह्लाद ने दम तोड़ दिया. न्यूरो सर्जरी एचओडी डॉ अशोक गुप्ता ने प्रहलाद के निधन की पुष्टि की है. प्रहलाद के सिर में गोली दो पार्ट में लगी थी. चिकित्सकों ने एक पार्ट को ऑपरेशन के जरिए निकाल दिया था. जबकि दूसरा पार्ट काफी अंदर होने के कारण गोली सिर में ही रह गई.