जयपुर. शिक्षा विभाग में अफसरों को वेतन नहीं मिलने का मामला गरमा गया है. वेतन के इतंजार में कई अफसर प्रोजेक्ट के पदों से ही रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में अब उनको पेंशन की भी चिंता सताने लगी है. बताया जा रहा है कि ये मामला 367 शिक्षा अधिकारी और उनके कार्यलयों में काम कर रहे है 4603 कर्मचारियों से जुड़ा है.
बता दें, वेतन और पेंशन को लेकर शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. जिसके बाद सीएमओ और शिक्षा मंत्री कार्यालय ने इस मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब कर ली है. अधिकारी दिन भर इस रिपोर्ट को बनाने में जुटे रहे.
उधर, शिक्षा निदेशालय ने भी माना की पेंशन स्वीकृति में दिक्कत आ रही है. निदेशालय ने सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि समग्र शिक्षा अभियान में स्वीकृत पद निदेशालय का अधीनस्थ कार्यालय में स्वीकृत ही नहीं है. इसलिए उनके रिटायरमेंट से पहले वेतन भुगतान में भी समस्या आ रही है. निदेशालय ने इस मामले के निस्तारण के लिए दिशा निर्देश मांगे है.
शिक्षा विभाग ने पिछले साल 8 अगस्त को विभाग का ढांचा बदलते हुए ना केवल अधिकारियों के पद नाम बदले थे बल्कि कार्यालय में कर्मचारियों की संख्या भी घटाई थी. अधिकांश पद समग्र शिक्षा अभियान में शिफ्ट कर दिए गए, जो केंद्र सरकार के एक प्रोजेक्ट है. अब प्रोजेक्ट के पदों पर लगे कर्मचारियों और अधिकारियों को इन्हीं पद से रिटायर किया जा रहा है. इससे उनको पेंशन मिलने में दिक्कत हो रही है.
निदेशालय ने सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि प्रोजेक्ट में विभिन्न पदों पर लगे शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को रिटायरमेंट तिथि नजदीक आने के कारण समग्र शिक्षा से कार्यमुक्त कर निदेशालय में भिजवाया जा रहा है. इन कर्मचारियों से संबंधित पद निदेशालय और अधीनस्थ कार्यालयों में स्वीकृत नहीं हैं. इसे रिटायरमेंट से पहले के महीने का वेतन आहरण करने में परेशानी आ रही है.अरस्तू के प्रदेशाध्यक्ष राम कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि आरएसआर के हिसाब से पद्दोनती का कोई प्रावधान ही नहीं है. उसके बावजूद बिना किसी नियम और अधिसूचना के प्लांड के पद पर डीओ को लगाया गया. लेकिन, पेंशन का प्रावधान तब ही लागू होता है जब अधिकारी अपने मूल पद पर जाए. इसी बीच निदेशालय द्वारा जो वेतन और पेंशन को लेकर सर्कुलर जारी हुआ है वो भी आधा अधूरा है. सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा. सरकार या तो पद को तोड़े या फिर नॉन प्लांड को परिवर्तित करे.