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हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर श्मशान, अब अंतिम संस्कार गैर कानूनी

राजधानी के जगतपुरा में महाराणा प्रताप सिंह सर्किल पर एक जमीन 50 साल से श्मशान के रूप में इस्तेमाल हो रही है.

राजधानी के जगतपुरा में महाराणा प्रताप सिंह सर्किल पर एक जमीन 50 साल से श्मशान के रूप में हो रही इस्तेमाल.
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Published : Apr 8, 2019, 8:43 AM IST

जयपुर. राजधानी के जगतपुरा में महाराणा प्रताप सिंह सर्किल पर एक जमीन 50 साल से श्मशान के रूप में इस्तेमाल हो रही है, लेकिन 6 दिन पहले यहां राजस्थान आवासन मंडल ने सूचना और चेतावनी बोर्ड लगा दिया. जिस पर इसे आवासन मंडल की जमीन बताते हुए यहां अंतिम संस्कार करना गैरकानूनी बताया है.

राजधानी के जगतपुरा में महाराणा प्रताप सिंह सर्किल पर एक जमीन 50 साल से श्मशान के रूप में हो रही इस्तेमाल.

यह मामला जगतपुरा के महाराणा प्रताप सिंह सर्किल का है. जहां एक बड़े भू-भाग पर क्षेत्रीय लोग अंतिम संस्कार करते आए हैं.हालांकि इसकी जानकारी किसी को नहीं थी की ये जमीन आवासन मंडल की है, लेकिन हाल ही में हाउसिंग बोर्ड की ओर से यहां एक सूचना और चेतावनी बोर्ड लगाया गया.जिस पर लिखा है कि ये जमीन आवासन मंडल की है. व्यवसायिक प्रयोजनार्थ आरक्षित है.

इस भूमि पर अंतिम संस्कार करना गैरकानूनी है. यहीं पास में एक दीवार पर शिलान्यास पट्टिका भी लगी हुई है. जिस पर अप्रैल 2017 में सांसद रामचरण बोहरा, मेयर अशोक लाहोटी और विधायक कैलाश वर्मा की ओर से निर्माण कार्य के शिलान्यास का जिक्र है.

स्थानीय निवासी ने बताया कि ये मोक्षधाम 50 साल पुराना है विधायक कोटे से करीब 10 साल पहले यहां टीन शेड लगाए गए थे. क्षेत्रीय और आसपास के गांव के लोग यहां अंतिम संस्कार करते आए हैं. अब इस जमीन को हाउसिंग बोर्ड अपनी बता रहा है.वहीं इस पूरे मामले पर हाउसिंग बोर्ड सचिव आचार संहिता का हवाला देते हुए कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आए.

जयपुर. राजधानी के जगतपुरा में महाराणा प्रताप सिंह सर्किल पर एक जमीन 50 साल से श्मशान के रूप में इस्तेमाल हो रही है, लेकिन 6 दिन पहले यहां राजस्थान आवासन मंडल ने सूचना और चेतावनी बोर्ड लगा दिया. जिस पर इसे आवासन मंडल की जमीन बताते हुए यहां अंतिम संस्कार करना गैरकानूनी बताया है.

राजधानी के जगतपुरा में महाराणा प्रताप सिंह सर्किल पर एक जमीन 50 साल से श्मशान के रूप में हो रही इस्तेमाल.

यह मामला जगतपुरा के महाराणा प्रताप सिंह सर्किल का है. जहां एक बड़े भू-भाग पर क्षेत्रीय लोग अंतिम संस्कार करते आए हैं.हालांकि इसकी जानकारी किसी को नहीं थी की ये जमीन आवासन मंडल की है, लेकिन हाल ही में हाउसिंग बोर्ड की ओर से यहां एक सूचना और चेतावनी बोर्ड लगाया गया.जिस पर लिखा है कि ये जमीन आवासन मंडल की है. व्यवसायिक प्रयोजनार्थ आरक्षित है.

इस भूमि पर अंतिम संस्कार करना गैरकानूनी है. यहीं पास में एक दीवार पर शिलान्यास पट्टिका भी लगी हुई है. जिस पर अप्रैल 2017 में सांसद रामचरण बोहरा, मेयर अशोक लाहोटी और विधायक कैलाश वर्मा की ओर से निर्माण कार्य के शिलान्यास का जिक्र है.

स्थानीय निवासी ने बताया कि ये मोक्षधाम 50 साल पुराना है विधायक कोटे से करीब 10 साल पहले यहां टीन शेड लगाए गए थे. क्षेत्रीय और आसपास के गांव के लोग यहां अंतिम संस्कार करते आए हैं. अब इस जमीन को हाउसिंग बोर्ड अपनी बता रहा है.वहीं इस पूरे मामले पर हाउसिंग बोर्ड सचिव आचार संहिता का हवाला देते हुए कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आए.

Intro:राजधानी के जगतपुरा में महाराणा प्रताप सिंह सर्किल पर एक जमीन 50 साल से श्मशान के रूप में इस्तेमाल हो रही है... लेकिन 6 दिन पहले यहां राजस्थान आवासन मंडल ने सूचना और चेतावनी बोर्ड लगा दिया... जिस पर इसे आवासन मंडल की जमीन बताते हुए यहां अंतिम संस्कार करना गैरकानूनी बताया है...


Body:एक जमीन जो बीते 50 साल से बतौर श्मशान काम आ रही थी... जहां सैकड़ों अंतिम संस्कार हो चुके... उसी जमीन का अब व्यवसायिक उपयोग किया जाएगा... मामला जगतपुरा के महाराणा प्रताप सिंह सर्किल का है... जहां एक बड़े भू-भाग पर क्षेत्रीय लोग अंतिम संस्कार करते आए हैं... हालांकि इसकी जानकारी किसी को नहीं थी की ये जमीन आवासन मंडल की है... लेकिन हाल ही में हाउसिंग बोर्ड की ओर से यहां एक सूचना और चेतावनी बोर्ड लगाया गया... जिस पर लिखा है कि ये जमीन आवासन मंडल की है... और व्यवसायिक प्रयोजनार्थ आरक्षित है... इस भूमि पर अंतिम संस्कार करना गैरकानूनी है... यहीं पास में एक दीवार पर शिलान्यास पट्टिका भी लगी हुई है... जिस पर अप्रैल 2017 में सांसद रामचरण बोहरा, मेयर अशोक लाहोटी और विधायक कैलाश वर्मा की ओर से निर्माण कार्य के शिलान्यास का जिक्र है... स्थानीय निवासी ने बताया कि ये मोक्षधाम 50 साल पुराना है,,, विधायक कोटे से करीब 10 साल पहले यहां टीन शेड लगाए गए थे... क्षेत्रीय और आसपास के गांव के लोग यहां अंतिम संस्कार करते आए हैं... और अब इस जमीन को हाउसिंग बोर्ड अपनी बता रहा है... वहीं इस पूरे मामले पर हाउसिंग बोर्ड सचिव आचार संहिता का हवाला देते हुए कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आए...


Conclusion:आपको बता दें कि कई साल से आवासन मंडल के नए कार्यों पर रोक लगी हुई थी... अब रोक हटने के बाद आवासन मंडल शहर में अपनी जमीनें तलाशकर वहां बोर्ड लगवा रहा है... इसी कड़ी में जगतपुरा के इस श्मशान की जमीन पर भी बोर्ड लगाया गया है... जिसका क्षेत्रीय लोग विरोध कर रहे हैं...
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