जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और जैन कंप्रिहेंसिव रिसेसिटेशन सेंटर, सीकर के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को हाईकोर्ट परिसर में निशुल्क सीपीआर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने किया. इस प्रशिक्षण शिविर में वकीलों को सीपीआर और प्राथमिक उपचार के बारे में बताया गया.
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए इंडियन रिसेसिटेशन कौंसिल फेडरेशन के नेशनल कोर्स डायरेक्टर डॉ राजेश दीवान ने कहा की आजकल की जीवनशैली के साथ ही तनाव, अनियमित आहार और नशा आदि से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. कार्डियक अरेस्ट होने की स्थिति में व्यक्ति अचानक गिरकर निढाल हो जाता है और आसपास के लोग नहीं समझ पाते कि उसे क्या हुआ है. ऐसे में जब तक उसे अस्पताल पहुंचाया जाता है, उसकी मौत होने की संभावना काफी बढ़ हो जाती है. कोरोना के बाद स्थिति और भी अधिक खतरनाक हो गई. ऐसे में हमें चाहिए कि कार्डियक अरेस्ट के लक्षणों की पहचान करें और जरूरत पड़ने पर इससे पीड़ित व्यक्ति को तुरंत प्राथमिक उपचार दें, ताकि समय रहते उसका जीवन बचाया जा सके.
इस मौके पर डॉक्टर वीके जैन ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट होने पर यदि शुरुआती समय में ही मरीज को सीपीआर सहित प्राथमिक उपचार दे दिया जाता है, तो उसके बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है. डॉक्टर जैन ने वकीलों को कार्डियक अरेस्ट होने की स्थिति में सीपीआर और प्राथमिक उपचार देने की प्रक्रिया को विस्तार से बताया. वहीं इस दौरान रखी जाने वाली सावधानी से भी अवगत कराया गया.
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कार्यक्रम के दौरान जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने मौजूद चिकित्सकों से सीपीआर देने की प्रक्रिया को विस्तार से जाना और हाईकोर्ट के कर्मचारियों को भी इसकी ट्रेनिंग दिलाने की आवश्यकता बताई. इस दौरान डॉ वीके जैन ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को एक एईडी मशीन भेंट की गई. इस मशीन से कार्डियक अरेस्ट होने पर मरीज को ऑटोमेटिक प्राथमिक उपचार कराया जा सकता है. कार्यक्रम संयोजक किंशुक जैन ने बताया कि कार्यक्रम में सैंकड़ों वकीलों ने सीपीआर ट्रेनिंग लेकर प्राथमिक उपचार देना सीखा.