जयपुर. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है. हिंदू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान है और गाय को मां का दर्जा भी प्राप्त है. गाय की रक्षा करने के कारण भगवान श्रीकृष्ण का अति प्रिय नाम गोविंद पड़ा. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से सप्तमी तक गाय, गोप, गोपियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया था. इसी समय से अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा. मान्यता है कि इस दिन गाय, गुरु और गोविंद की पूजा करने से सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है.
इस मौके पर गोविंददेवजी मंदिर सहित शहर की गौशालाओं में (Worship on Gopashtami in Jaipur) गायों का पूजन हुआ. गोविंददेवजी मंदिर में शृंगार झांकी के बाद गाय का पूजन हुआ. गोविंद देव जी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में शृंगार झांकी के बाद चांदी की गौमाता का वेदमंत्रोच्चारण के साथ पंचामृत अभिषेक कर विधिवत पूजन किया गया. इसके बाद गाय का पूजन हुआ, जिसमें गाय के खुरों का पंचामृत अभिषेक कर शुद्ध जल से अभिषेक किया गया. गाय की पूजा-अर्चना के बाद आरती की गई और नए वस्त्र ओढ़ाए गए.
गोविंद देव जी मंदिर में गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में (Gopashtami in Govind Dev Ji Temple) ठाकुरजी को केसरिया रंग की नटवर वेश पोशाक धारण कराई गई. विशेष अलंकार धारण करा कर आकर्षक शृंगार किया गया. मंदिर में भगवान गोपाल की आकर्षक झांकी सजाई गई. मंदिर में गाय के पूजन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. वहीं, छोटी काशी में जगह-जगह गाय की पूजा-अर्चना और आरती हुई. गौ भक्तों ने गाय के खुरों की पूजा कर पंचामृत से अभिषेक किया. वहीं, गौ माता का शृंगार कर कपड़े ओढ़ाए. जिन घरों में गाय है, वहां भी महिलाओं ने सामूहिक रूप से गौ पूजन किया.
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वहीं, गौशालाओं में सुबह से ही मेले सा माहौल रहा. लोग गायों को हरा चारा और गुड़ खिलाते हुए नजर आए. शहर में जगह-जगह गाय की पूजा-अर्चना और आरती हुई. सांगानेर स्थित श्री पिंजरापोल गौशाला में गोपाष्टमी महोत्सव का आयोजन किया गया है. इस अवसर पर ऑर्गेनिक उत्पाद और गौ आधारित वस्तुओं का मेला भी लगाया है. गौशाला में गाय के गोबर से लकड़ी बनाई जा रही है. श्रीगिरिराज पर्वत की झांकी सजाई गई. इसके अलावा गोमूत्र रिफाइंड संयंत्र भी लगाया गया साथ ही बताया कि जल्द यहां गोबर गैस प्लांट भी स्थापित किया जाएगा.
उधर, हिंगोनिया गौशाला में भी गोपाष्टमी महोत्सव का आयोजन किया गया है. हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में गौ-पूजन,गिरिराज परिक्रमा और अन्नकूट प्रसादी का आयोजन हुआ. गोबर से गिरिराजजी महाराज की सुंदर झांकी भी बनाई, जिसे बाल गोपाल ने अपनी अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठा रखा था. इस झांकी में गोवर्धन परिक्रमा में आने वाले सभी मुख्य स्थलों को दर्शाया गया.
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण की आयु मात्र छ: वर्ष की हुई तो उन्होंने माता यशोदा से कहा, मैया अब मैं बड़ा हो गया हूं, अब मैं भी गायों को चराने के लिये वन जाऊंगा. माता यशोदा ने नन्द बाबा को श्री कृष्ण के हठ के विषय में बताया तो वो गौ-चारण का शुभ मुहूर्त जानने के लिये ऋषि शांडिल्य के पास गए. ऋषि शांडिल्य जब गौ-चारण का शुभ मुहूर्त निकालने लगे तो वो बहुत आश्चर्य में पड़ गए. क्योंकि उस दिन के अतिरिक्त कोई अन्य शुभ मुहूर्त नहीं निकल रहा था. ऋषि शांडिल्य ने नंद बाबा को कहा कि आज के अतिरिक्त कोई भी अन्य शुभ मुहूर्त नहीं है. उस दिन कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि थी. नंद बाबा ने घर आकर माता यशोदा को सारी बात बताई. तब माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण का शृंगार कर उन्हें गायों को चराने के लिये वन भेजा.
चाकसू में अन्नकूट प्रसादी का आयोजन : चाकसू में गोपाष्टमी पर्व पर मंदिरों में पूजा-अर्चना हुई. कस्बे में NH 52 बाईपास गरुडवासी मोड़ पर संचालित श्रीकामधेनु गौशाला में भी सुबह से ही महिलाओं की भीड़ लगी रही. महिलाओं ने गौशाला में जाकर गाय की पूजा अर्चना की. इस अवसर पर गौशाला संचालन कर रहे गोसेवा परिवार समिति के सदस्यों ने बताया कि आज ही दिन गोसंवर्धन एवम संरक्षण के उद्देश्य से 6 साल पहले इस गौशाला की स्थापना गोपाष्टमी पर हुई. इसी उद्देश्य से गौशाला में निमित 200 से ज्यादा गोवंशों का लालन पालन हो रहा है. कोई भी विशेष आयोजन जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, धार्मिक आयोजन जैसे आयोजनों में सपरिवार गौशाला आकर गोवंश की सेवा पूजा करते हैं. इसी शुभ अवसर पर आज अन्नकूट प्रसादी का आयोजन किया गया है, जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की.