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बर्खास्त तीन पार्षदों के वार्ड में चुनाव पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक

ग्रेटर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के विवाद में बर्खास्त हुए तीन पार्षदों के वार्ड में उप चुनाव पर राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी (Interim stay on by election in vacant wards) है. इस मामले में कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. इस निर्णय पर बर्खास्त पार्षदों का कहना है कि उन्हें न्याय जरूर मिलेगा.

Court put Interim stay on by election in vacant wards of sacked councillors
बर्खास्त तीन पार्षदों के वार्ड में चुनाव पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक
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Published : Oct 19, 2022, 9:13 PM IST

Updated : Oct 19, 2022, 11:43 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के विवाद में बर्खास्त हुए तीन पार्षदों के वार्ड में उपचुनाव कराने पर अंतरिम रोक लगा दी (Interim stay on by election in vacant wards) है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. वहीं, बर्खास्त पार्षदों का कहना है कि उन्हें न्याय मिलेगा और वे जल्द वापस लौटेंगे.

जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश अजय सिंह चौहान, शंकर शर्मा और पारस जैन की याचिकाओं पर दिए. याचिकाओं में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 13 अक्टूबर को निर्वाचन विभाग को प्रदेश के निकायों में खाली पड़ी सीटों पर उप चुनाव के लिए पत्र लिखा है. इसमें जयपुर ग्रेटर नगर निगम की चार सीटों को भी शामिल किया गया था. इनमें बर्खास्त महापौर सौम्या गुर्जर के वार्ड के साथ ही याचिकाकर्ताओं के वार्ड नंबर 39, 72 और 103 भी शामिल हैं.

पढ़ें: ग्रेटर निगम के तीन पार्षद बर्खास्त, 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध

याचिकाओं में कहा गया कि यदि इन वार्ड को लेकर चुनाव प्रक्रिया शुरु हो जाती है तो उनके अधिकार प्रभावित होंगे और याचिका पेश करने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा. ऐसे में चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर रोक लगाई जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं में जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 15 नवंबर को तय की है.

बर्खास्त पार्षदों ने कहा-सत्य की होगी जीत

पार्षद बोले-न्याय मिलेगा: हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में ग्रेटर नगर निगम के बर्खास्त हुए पार्षद पारस जैन ने बताया कि कोर्ट ने चुनाव आयोग को उपचुनाव कराने के लिए स्टे किया है. पारस जैन ने इस पूरे प्रकरण को राज्य सरकार के दमन की पराकाष्ठा बताते हुए कहा कि अंडरटेकिंग देने के बाद भी रोज आदेश जारी किए जा रहे हैं. उस पर कोर्ट ने विराम लगाया है. उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि उन्हें न्याय मिलेगा और जल्द ही वापस लौटेंगे. अब अगली सुनवाई 15 नवंबर को है, जिसमें राज्य सरकार जवाब देगी.

पढ़ें: पूर्व में बर्खास्त पार्षद बोले, महापौर के खिलाफ हुई कार्रवाई द्वेषपूर्ण है, जांच रिपोर्ट को भी गलत बताया

वहीं बर्खास्त पार्षद अजय सिंह ने कहा कि उन्हें एक बड़ी राहत मिली है. सरकार ये चाहती थी कि पार्षद कोर्ट में अपना मुकदमा लड़ ही ना पाएं. लेकिन अब हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को स्टे किया है. चुनाव तब तक नहीं हो सकते जब तक याचिका पर फैसला नहीं आ जाता. ये बात तय है कि अगली सुनवाई में सत्य की जीत होगी. वहीं बर्खास्त पार्षदों में शामिल शंकरलाल ने कहा कि पहली बार उन्होंने महसूस किया कि राजनीति क्या होती है. सरकार कोर्ट तक को गुमराह करने में लगी हुई है. लेकिन फिर भी सत्य की जीत होकर रहेगी.

उधर, अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट जयपुर महानगर प्रथम की ओर से परिवादी अजय सिंह चौहान और अन्य की ओर से प्रस्तुत परिवाद को जांच के लिए पुलिस थाना ज्योति नगर को प्रेषित कर नतीजा न्यायालय में पेश करने के आदेश भी दिए गए हैं. परिवाद की निष्पक्ष जांच के दिए निर्देश दिए गए हैं. ग्रेटर नगर निगम में कैमरे लगे होने के बावजूद महापौर और पार्षदों के मामले में रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं करवाए जाने के कारण ये निर्देश दिए गए हैं. आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह देव, उपायुक्त सतर्कता सेठा राम बंजारा और प्रोग्रामर सुमित भार्गव के खिलाफ धारा 341, 353, 332, 120 b, 185 में आदेश दिए गए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के विवाद में बर्खास्त हुए तीन पार्षदों के वार्ड में उपचुनाव कराने पर अंतरिम रोक लगा दी (Interim stay on by election in vacant wards) है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. वहीं, बर्खास्त पार्षदों का कहना है कि उन्हें न्याय मिलेगा और वे जल्द वापस लौटेंगे.

जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश अजय सिंह चौहान, शंकर शर्मा और पारस जैन की याचिकाओं पर दिए. याचिकाओं में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 13 अक्टूबर को निर्वाचन विभाग को प्रदेश के निकायों में खाली पड़ी सीटों पर उप चुनाव के लिए पत्र लिखा है. इसमें जयपुर ग्रेटर नगर निगम की चार सीटों को भी शामिल किया गया था. इनमें बर्खास्त महापौर सौम्या गुर्जर के वार्ड के साथ ही याचिकाकर्ताओं के वार्ड नंबर 39, 72 और 103 भी शामिल हैं.

पढ़ें: ग्रेटर निगम के तीन पार्षद बर्खास्त, 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध

याचिकाओं में कहा गया कि यदि इन वार्ड को लेकर चुनाव प्रक्रिया शुरु हो जाती है तो उनके अधिकार प्रभावित होंगे और याचिका पेश करने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा. ऐसे में चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर रोक लगाई जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं में जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 15 नवंबर को तय की है.

बर्खास्त पार्षदों ने कहा-सत्य की होगी जीत

पार्षद बोले-न्याय मिलेगा: हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में ग्रेटर नगर निगम के बर्खास्त हुए पार्षद पारस जैन ने बताया कि कोर्ट ने चुनाव आयोग को उपचुनाव कराने के लिए स्टे किया है. पारस जैन ने इस पूरे प्रकरण को राज्य सरकार के दमन की पराकाष्ठा बताते हुए कहा कि अंडरटेकिंग देने के बाद भी रोज आदेश जारी किए जा रहे हैं. उस पर कोर्ट ने विराम लगाया है. उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि उन्हें न्याय मिलेगा और जल्द ही वापस लौटेंगे. अब अगली सुनवाई 15 नवंबर को है, जिसमें राज्य सरकार जवाब देगी.

पढ़ें: पूर्व में बर्खास्त पार्षद बोले, महापौर के खिलाफ हुई कार्रवाई द्वेषपूर्ण है, जांच रिपोर्ट को भी गलत बताया

वहीं बर्खास्त पार्षद अजय सिंह ने कहा कि उन्हें एक बड़ी राहत मिली है. सरकार ये चाहती थी कि पार्षद कोर्ट में अपना मुकदमा लड़ ही ना पाएं. लेकिन अब हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को स्टे किया है. चुनाव तब तक नहीं हो सकते जब तक याचिका पर फैसला नहीं आ जाता. ये बात तय है कि अगली सुनवाई में सत्य की जीत होगी. वहीं बर्खास्त पार्षदों में शामिल शंकरलाल ने कहा कि पहली बार उन्होंने महसूस किया कि राजनीति क्या होती है. सरकार कोर्ट तक को गुमराह करने में लगी हुई है. लेकिन फिर भी सत्य की जीत होकर रहेगी.

उधर, अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट जयपुर महानगर प्रथम की ओर से परिवादी अजय सिंह चौहान और अन्य की ओर से प्रस्तुत परिवाद को जांच के लिए पुलिस थाना ज्योति नगर को प्रेषित कर नतीजा न्यायालय में पेश करने के आदेश भी दिए गए हैं. परिवाद की निष्पक्ष जांच के दिए निर्देश दिए गए हैं. ग्रेटर नगर निगम में कैमरे लगे होने के बावजूद महापौर और पार्षदों के मामले में रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं करवाए जाने के कारण ये निर्देश दिए गए हैं. आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह देव, उपायुक्त सतर्कता सेठा राम बंजारा और प्रोग्रामर सुमित भार्गव के खिलाफ धारा 341, 353, 332, 120 b, 185 में आदेश दिए गए.

Last Updated : Oct 19, 2022, 11:43 PM IST
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