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साल 1961 में क्वीन एलिजाबेथ के जयपुर दौरे पर हुआ था विवाद, नेहरू को भेजी गई थी रिपोर्ट

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को निधन हो गया. एलिजाबेथ तीन बार भारत दौरे पर आईं, लेकिन पहले भारत दौरे के दौरान वे जयपुर भी आई थीं. महारानी का यह दौरा काफी विवादों में रहा था. यहां जानिए आखिर क्या हुआ था जयपुर (controversy over Queen Elizabeth II Jaipur visit) में...

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Published : Sep 9, 2022, 10:18 AM IST

Updated : Sep 9, 2022, 11:20 AM IST

जयपुर. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को बेलमोर में निधन हो गया. उन्हें ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबा शासन करने वाली महारानी के रूप में भी जाना जाता था. शाही परिवार से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन की खबर मिलने के तुरंत बाद सभी वैश्विक नेताओं सहित दुनिया भर से श्रद्धांजलि और शोक संवेदनाएं आई. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने एक सम्राट के रूप में 6 दशकों से अधिक समय तक ब्रिटेन के सिंहासन की सेवा की और दुनिया के हर कोने का दौरा किया.

क्वीन एलिजाबेथ के जयपुर दौरे पर हुआ था विवाद

हालांकि, उनमें से सबसे खास भारत की उनकी आधिकारिक यात्रा रही है. अपने दौरे के दौरान उन्होंने ताजमहल, स्वर्ण मंदिर, मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया और जयपुर का दौरा किया. जयपुर की यात्रा तस्वीरों के जरिए समय-समय पर जीवंत होती रही हैं तब तत्कालीन महाराजा सवाई मानसिंह और महारानी गायत्री देवी के साथ उनके कई किस्से इन तस्वीरों में कैद हैं, जो आज भी इतिहास को जीवंत करते हैं.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
जयपुर में भव्य स्वागत

पढ़ें- ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

1961 का दौरा रहा यादगार- दिवंगत महारानी एलिजाबेथ अपने जीवनकाल में अपने पति और ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के दिवंगत प्रिंस फिलिप के साथ 1961, 1983 और 1997 में तीन बार भारत आई थीं. एलिजाबेथ (द्वितीय) 23 जनवरी, 1961 को पहली बार भारत आई थीं. महारानी ने अपने पति प्रिंस एडवर्ड के साथ जयपुर का दौरा किया, जहां उनका पारंपरिक राजशाही ठाट बाट के साथ इस्तकबाल किया गया था. इस मौके पर खास तौर पर सिटी पैलेस में उनकी आवभगत के इंतजाम किए गए थे. तब तत्कालीन महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने सिटी पैलेस के गलियारों में एलिजाबेथ के साथ हाथी की सवारी की थी और फिर वहां रानी का देसी अंदाज में स्वागत भी हुआ था.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
महाराजा मान सिंह के साथ हाथी सवारी

पढ़ें- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के जीवन की 10 अहम बातें

पंडित नेहरू ने जताई थी आपत्ति- महारानी एलिजाबेथ (द्वितीय) की साल 1961 की इस यात्रा के लिए महाराजा सवाई मानसिंह ने खासतौर पर न्यौता देकर उन्हें परिवार के साथ बुलावा भेजा था. सवाई राजा मानसिंह ने उनके स्वागत में सिटी पैलेस में दरबार का आयोजन किया. मानसिंह ने दरबार के निमंत्रण पत्र पर लिखा कि समारोह में दरबारी पोशाक यानी अचकन, साफा, तलवार आदि पहनकर आना जरूरी था, जिससे दरबार पर विवाद गहरा गया. इस आयोजन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को भी आपत्ति हुई.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
रणथंभौर में शिकार के दौरान महारानी गायत्री देवी और क्वीन एलिजाबेथ

पढ़ें- बाइडेन, गुतारेस सहित दुनिया भर के नेताओं ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर शोक जताया

मंत्रियों का परिचय तक नहीं कराया- 'द लास्ट महाराजा' के लेखक क्वेंटिन्क्यू ने लिखा है कि महाराजा मान सिंह ने पहले तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया और तत्कालीन सार्वजनिक निर्माण मंत्री झालावाड़ के महाराजा हरिश्चंद्र को भी साफा पहनकर आने का निमंत्रण दे दिया था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री सुखाड़िया ने गांधी टोपी पहनकर आने की धमकी दे डाली तो मंत्रियों को बिना साफा पहने आने का दूसरा संशोधित निमंत्रण भेजा गया. लेकिन वे साफा पहनकर आए. इस विवाद के चलते मंत्रियों का क्वीन एलिजाबेथ से परिचय तक नहीं कराया गया. तत्कालीन राज्यपाल गुरुमुख निहाल सिंह ने इस सारे मसले की रिपोर्ट भी भारत सरकार को भेजी और लिखा कि महाराजा राजशाही का प्रदर्शन करना चाहते हैं. इस दौरान तत्कालीन राज्यपाल ने यह भी अंदेशा जताया था कि राजस्थान में सामंत शाही का असर बढ़ सकता है, जिसका नतीजा आने वाले चुनाव पर प्रभाव के रूप में देखा जा सकता है.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
महारानी गायत्री देवी के साथ क्वीन एलिजाबेथ

पढ़ें- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के शासन में सेवा देने वाले ब्रिटिश प्रधानमंत्री

सिटी पैलेस में दरबार, रणथम्भौर में शिकार- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के स्वागत में जयपुर के सिटी पैलेस में लगे दरबार की चर्चा पूरे देश में थी. एक तरफ ड्रेस कोड को लेकर विवाद था, तो दूसरी तरफ आमजन के लिए टिकट की भी चर्चा हुई. विवाद के बाद दरबार में आमजनों के प्रवेश के लिए टिकट लगाए गए, तो फिर टिकटों का पैसा लौटाया गया. पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह, पूर्व महारानी गायत्री देवी, महारानी एलिजाबेथ (द्वितीय) और उनके पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, प्रिंस फिलिप जयपुर से रणथंभौर टाइगर का शिकार करने भी गए. गौरतलब है कि तब तक देश में शिकार पर प्रतिबंध नहीं था.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
दरबार में महाराजा मान सिंह के साथ क्वीन एलिजाबेथ

पढ़ें- अपने जीवन काल में तीन बार भारत आईं थीं महारानी, देखें तस्वीरें

सवाई मानसिंह ने भिजवाई थी हीरे की अंगूठी- ब्रिटिश शासनकाल में क्रिसमस का त्योहार अंग्रेजी हुकूमत के हुक्मरानों के लिए देश भर में मनाया जाने लगा था. जयपुर में भी इस मौके पर न सिर्फ खास आयोजन होते थे, बल्कि 2 दिनों तक छुट्टी भी रहा करती थी. वक्त के साथ ऐसा चलन चला कि क्रिसमस पर तोहफे भी बांटे जाने लगे. साल 1940 में जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई मानसिंह ने क्रिसमस पर ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज 6th की महारानी एलिजाबेथ को एक हीरे से जड़ी हुई अंगूठी भेजी थी. इतिहास के जानकार कहते हैं कि लंबे वक्त तक महारानी ने उस अंगूठी को पहन कर रखा था.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
जयपुर के सिटी पैलेस में क्वीन एलिजाबेथ

पढ़ें- ब्रिटेन की महारानी बनीं कैमिला, लेकिन कोई अधिकार नहीं मिला

जयपुर के पूर्व राजपरिवार ने भी जताया शोक- जयपुर के पूर्व राज्य परिवार की सदस्य और सांसद दीया कुमारी ने भी क्वीन एलिजाबेथ के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबा शासन करने वाली महारानी एलिजाबेथ अलविदा कह गई हैं. इस दुख की घड़ी में वे शाही परिवार और यूनाइटेड किंग्डम की जनता के साथ हैं, वह दिल से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करती हैं.

जयपुर. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को बेलमोर में निधन हो गया. उन्हें ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबा शासन करने वाली महारानी के रूप में भी जाना जाता था. शाही परिवार से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन की खबर मिलने के तुरंत बाद सभी वैश्विक नेताओं सहित दुनिया भर से श्रद्धांजलि और शोक संवेदनाएं आई. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने एक सम्राट के रूप में 6 दशकों से अधिक समय तक ब्रिटेन के सिंहासन की सेवा की और दुनिया के हर कोने का दौरा किया.

क्वीन एलिजाबेथ के जयपुर दौरे पर हुआ था विवाद

हालांकि, उनमें से सबसे खास भारत की उनकी आधिकारिक यात्रा रही है. अपने दौरे के दौरान उन्होंने ताजमहल, स्वर्ण मंदिर, मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया और जयपुर का दौरा किया. जयपुर की यात्रा तस्वीरों के जरिए समय-समय पर जीवंत होती रही हैं तब तत्कालीन महाराजा सवाई मानसिंह और महारानी गायत्री देवी के साथ उनके कई किस्से इन तस्वीरों में कैद हैं, जो आज भी इतिहास को जीवंत करते हैं.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
जयपुर में भव्य स्वागत

पढ़ें- ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

1961 का दौरा रहा यादगार- दिवंगत महारानी एलिजाबेथ अपने जीवनकाल में अपने पति और ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के दिवंगत प्रिंस फिलिप के साथ 1961, 1983 और 1997 में तीन बार भारत आई थीं. एलिजाबेथ (द्वितीय) 23 जनवरी, 1961 को पहली बार भारत आई थीं. महारानी ने अपने पति प्रिंस एडवर्ड के साथ जयपुर का दौरा किया, जहां उनका पारंपरिक राजशाही ठाट बाट के साथ इस्तकबाल किया गया था. इस मौके पर खास तौर पर सिटी पैलेस में उनकी आवभगत के इंतजाम किए गए थे. तब तत्कालीन महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने सिटी पैलेस के गलियारों में एलिजाबेथ के साथ हाथी की सवारी की थी और फिर वहां रानी का देसी अंदाज में स्वागत भी हुआ था.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
महाराजा मान सिंह के साथ हाथी सवारी

पढ़ें- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के जीवन की 10 अहम बातें

पंडित नेहरू ने जताई थी आपत्ति- महारानी एलिजाबेथ (द्वितीय) की साल 1961 की इस यात्रा के लिए महाराजा सवाई मानसिंह ने खासतौर पर न्यौता देकर उन्हें परिवार के साथ बुलावा भेजा था. सवाई राजा मानसिंह ने उनके स्वागत में सिटी पैलेस में दरबार का आयोजन किया. मानसिंह ने दरबार के निमंत्रण पत्र पर लिखा कि समारोह में दरबारी पोशाक यानी अचकन, साफा, तलवार आदि पहनकर आना जरूरी था, जिससे दरबार पर विवाद गहरा गया. इस आयोजन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को भी आपत्ति हुई.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
रणथंभौर में शिकार के दौरान महारानी गायत्री देवी और क्वीन एलिजाबेथ

पढ़ें- बाइडेन, गुतारेस सहित दुनिया भर के नेताओं ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर शोक जताया

मंत्रियों का परिचय तक नहीं कराया- 'द लास्ट महाराजा' के लेखक क्वेंटिन्क्यू ने लिखा है कि महाराजा मान सिंह ने पहले तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया और तत्कालीन सार्वजनिक निर्माण मंत्री झालावाड़ के महाराजा हरिश्चंद्र को भी साफा पहनकर आने का निमंत्रण दे दिया था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री सुखाड़िया ने गांधी टोपी पहनकर आने की धमकी दे डाली तो मंत्रियों को बिना साफा पहने आने का दूसरा संशोधित निमंत्रण भेजा गया. लेकिन वे साफा पहनकर आए. इस विवाद के चलते मंत्रियों का क्वीन एलिजाबेथ से परिचय तक नहीं कराया गया. तत्कालीन राज्यपाल गुरुमुख निहाल सिंह ने इस सारे मसले की रिपोर्ट भी भारत सरकार को भेजी और लिखा कि महाराजा राजशाही का प्रदर्शन करना चाहते हैं. इस दौरान तत्कालीन राज्यपाल ने यह भी अंदेशा जताया था कि राजस्थान में सामंत शाही का असर बढ़ सकता है, जिसका नतीजा आने वाले चुनाव पर प्रभाव के रूप में देखा जा सकता है.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
महारानी गायत्री देवी के साथ क्वीन एलिजाबेथ

पढ़ें- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के शासन में सेवा देने वाले ब्रिटिश प्रधानमंत्री

सिटी पैलेस में दरबार, रणथम्भौर में शिकार- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के स्वागत में जयपुर के सिटी पैलेस में लगे दरबार की चर्चा पूरे देश में थी. एक तरफ ड्रेस कोड को लेकर विवाद था, तो दूसरी तरफ आमजन के लिए टिकट की भी चर्चा हुई. विवाद के बाद दरबार में आमजनों के प्रवेश के लिए टिकट लगाए गए, तो फिर टिकटों का पैसा लौटाया गया. पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह, पूर्व महारानी गायत्री देवी, महारानी एलिजाबेथ (द्वितीय) और उनके पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, प्रिंस फिलिप जयपुर से रणथंभौर टाइगर का शिकार करने भी गए. गौरतलब है कि तब तक देश में शिकार पर प्रतिबंध नहीं था.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
दरबार में महाराजा मान सिंह के साथ क्वीन एलिजाबेथ

पढ़ें- अपने जीवन काल में तीन बार भारत आईं थीं महारानी, देखें तस्वीरें

सवाई मानसिंह ने भिजवाई थी हीरे की अंगूठी- ब्रिटिश शासनकाल में क्रिसमस का त्योहार अंग्रेजी हुकूमत के हुक्मरानों के लिए देश भर में मनाया जाने लगा था. जयपुर में भी इस मौके पर न सिर्फ खास आयोजन होते थे, बल्कि 2 दिनों तक छुट्टी भी रहा करती थी. वक्त के साथ ऐसा चलन चला कि क्रिसमस पर तोहफे भी बांटे जाने लगे. साल 1940 में जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई मानसिंह ने क्रिसमस पर ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज 6th की महारानी एलिजाबेथ को एक हीरे से जड़ी हुई अंगूठी भेजी थी. इतिहास के जानकार कहते हैं कि लंबे वक्त तक महारानी ने उस अंगूठी को पहन कर रखा था.

Controversy over Elizabeth visit to Jaipur
जयपुर के सिटी पैलेस में क्वीन एलिजाबेथ

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जयपुर के पूर्व राजपरिवार ने भी जताया शोक- जयपुर के पूर्व राज्य परिवार की सदस्य और सांसद दीया कुमारी ने भी क्वीन एलिजाबेथ के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबा शासन करने वाली महारानी एलिजाबेथ अलविदा कह गई हैं. इस दुख की घड़ी में वे शाही परिवार और यूनाइटेड किंग्डम की जनता के साथ हैं, वह दिल से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करती हैं.

Last Updated : Sep 9, 2022, 11:20 AM IST
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