जयपुर. जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण क्रम 4 ने जूतों के साथ दिए जाने वाले कंपनी के प्रिंटेड कैरी बैग के ऐवज में 2 रुपए वसूलने पर बाटा इंडिया लिमिटेड पर ₹10 हजार का हर्जाना लगाया है. मंच ने हर्जाना राशि दो माह में अदा नहीं करने पर 9 फ़ीसदी ब्याज सहित राशि देने को कहा है. पीठासीन अधिकारी नरेंद्र पाल भंडारी और सदस्य पूजा मित्तल ने यह आदेश महेश पारीक की ओर से दायर परिवाद पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. मंच ने अपने आदेश में कहा कि कंपनी ने शुद्ध रूप से अपने विज्ञापन के लिए परिवादी को यह बैग दिया और बदले में कीमत भी वसूली. जबकि बैग पर न तो उसकी कीमत लिखी हुई थी और ना ही स्टोर पर इस संबंध में कोई सूचना चस्पा की गई थी.
3 वर्ष पुराना है मामला
परिवाद में अधिवक्ता शकील खान ने अदालत को बताया कि परिवादी ने 16 अप्रैल 2016 को सोडाला स्थित बाटा स्टोर से 399 रुपए में जूते खरीदे थे. कंपनी ने कीमत में 2 रुपए जोड़कर कागज के बैग में जूते रखकर परिवादी को दे दिए. परिवाद में कहा गया कि इस बैग पर विज्ञापन के उद्देश्य से कंपनी का नाम और लोगो लगाया गया था. जिसे देखकर दूसरे लोगों ने भी इसी कंपनी के जूते खरीदे। परिवाद में यह भी कहा गया है कि कंपनी जब बैग के रुपए वसूल रही है तो उसे सादा बैग ही दिया जाना चाहिए था. कंपनी ने एक तरफ बैग के बदले वसूल लिए, वहीं दूसरी ओर परिवादी से बैग के माध्यम से अपना विज्ञापन भी करवाया और अपनी बिक्री बढ़ाई.
बाटा कंपनी को देना होगा 10 हजार हर्जाना, कैरी बैग के बदले ग्राहक से वसूले थे 2 रुपए
कैरी बैग के ऐवज में पैसे वसूलना बाटा कंपनी को पड़ा महंगा. तीन साल पुराने मामले में जयपुर के जिला उपभोक्ता मंच ने यह फैसला सुनाया है.
जयपुर. जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण क्रम 4 ने जूतों के साथ दिए जाने वाले कंपनी के प्रिंटेड कैरी बैग के ऐवज में 2 रुपए वसूलने पर बाटा इंडिया लिमिटेड पर ₹10 हजार का हर्जाना लगाया है. मंच ने हर्जाना राशि दो माह में अदा नहीं करने पर 9 फ़ीसदी ब्याज सहित राशि देने को कहा है. पीठासीन अधिकारी नरेंद्र पाल भंडारी और सदस्य पूजा मित्तल ने यह आदेश महेश पारीक की ओर से दायर परिवाद पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. मंच ने अपने आदेश में कहा कि कंपनी ने शुद्ध रूप से अपने विज्ञापन के लिए परिवादी को यह बैग दिया और बदले में कीमत भी वसूली. जबकि बैग पर न तो उसकी कीमत लिखी हुई थी और ना ही स्टोर पर इस संबंध में कोई सूचना चस्पा की गई थी.
3 वर्ष पुराना है मामला
परिवाद में अधिवक्ता शकील खान ने अदालत को बताया कि परिवादी ने 16 अप्रैल 2016 को सोडाला स्थित बाटा स्टोर से 399 रुपए में जूते खरीदे थे. कंपनी ने कीमत में 2 रुपए जोड़कर कागज के बैग में जूते रखकर परिवादी को दे दिए. परिवाद में कहा गया कि इस बैग पर विज्ञापन के उद्देश्य से कंपनी का नाम और लोगो लगाया गया था. जिसे देखकर दूसरे लोगों ने भी इसी कंपनी के जूते खरीदे। परिवाद में यह भी कहा गया है कि कंपनी जब बैग के रुपए वसूल रही है तो उसे सादा बैग ही दिया जाना चाहिए था. कंपनी ने एक तरफ बैग के बदले वसूल लिए, वहीं दूसरी ओर परिवादी से बैग के माध्यम से अपना विज्ञापन भी करवाया और अपनी बिक्री बढ़ाई.
Body:परिवाद में अधिवक्ता शकील खान ने अदालत को बताया कि परिवादी ने 16 अप्रैल 2016 को सोडाला स्थित बाटा स्टोर से ₹399 में जूते खरीदे थे। कंपनी ने कीमत में ₹2 जोड़कर कागज के बैग में जूते रखकर परिवादी को दे दिए। परिवाद में कहा गया कि इस बैग पर विज्ञापन के उद्देश्य से कंपनी का नाम और लोगो लगाया गया था। जिसे देखकर दूसरे लोगों ने भी इसी कंपनी के जूते खरीदे। परिवाद में यह भी कहा गया है कि कंपनी जब बैग के रुपए वसूल रही है तो उसे सादा बैग ही दिया जाना चाहिए था। कंपनी ने एक तरफ बैग के बदले वसूल लिए, वहीं दूसरी ओर परिवादी से बैग के माध्यम से अपना विज्ञापन भी करवाया और अपनी बिक्री बढ़ाई। जिस पर सुनवाई करते हुए मंच ने कंपनी पर 10 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है।
Conclusion: