जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने परिपक्वता अवधि के बाद भी जमा राशि नहीं देने को सेवा दोष व अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माना है. इसके साथ ही आयोग ने विपक्षी सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के एमडी व खातीपुरा ब्रांच मैनेजर को निर्देश दिए हैं कि वे परिवादी की जमा राशि 5,56,551 रुपए परिवाद दायर करने की तारीख से 9 फीसदी ब्याज सहित दें.
इसके साथ ही परिवादी को हुई परेशानी के लिए 25 हजार रुपए अलग से हर्जाने के तौर पर दे. आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना व सदस्या हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश राधेश्याम अग्रवाल के परिवाद पर दिए. आयोग ने कहा कि विपक्षी सोसायटी ने परिवादी को न तो मूलधन लौटाया और ना ही इस राशि पर मिलने वाली ब्याज राशि अदा की. विपक्षी का यह कृत्य गंभीर सेवादोष की श्रेणी में आता है. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने समय-समय पर विपक्षी की योजनाओं में 4,86,418 रुपए जमा कराए.
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परिपक्वता अवधि पर परिवादी को 5,56,551 रुपए का भुगतान होना था, लेकिन यह अवधि बीतने के बाद भी परिवादी को उसकी जमा राशि का भुगतान नहीं किया गया. उसने विपक्षी के ऑफिस के कई चक्कर काटे, लेकिन वे राशि देने में टालमटोल करते रहे. जिस पर परिवादी ने विपक्षी के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया. सुनवाई के दौरान आयोग ने विपक्षी को उनका पक्ष रखने के लिए तलब किया, लेकिन नोटिस तामील के बाद भी ना तो उन्होंने कोई जवाब दिया और ना ही कोई दस्तावेज पेश किए. जिस पर आयोग ने मामले के तथ्यों के आधार पर विपक्षी को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस व सेवा दोष का जिम्मेदार मानते हुए परिवादी के पक्ष में फैसला दिया है.