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Babulal Nagar On Pilot: CM सलाहकार के अजब विचार, बोले- पायलट जैसे नेताओं का काम ही है सभाएं करना

सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार हैं निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर (Babulal Nagar On Pilot). प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के आवास पर कम्बल बांटने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने सचिन पायलट को लेकर जो विचार साझा किया उससे Gehlot Vs Pilot का दौर अभी थमा नहीं है.

Babulal Nagar On Pilot
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Published : Jan 13, 2023, 2:07 PM IST

CM सलाहकार के अजब विचार

जयपुर. राजस्थान में 16 जनवरी से 20 जनवरी तक सचिन पायलट 5 जिलों में बड़ी जनसभा करने जा रहे हैं. राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच की अदावत जगजाहिर है. राजनैतिक पंडित इन रैलियों को कुर्सी की लड़ाई का केंद्र मान रहे हैं. जब बात कुर्सी की हो तो कांग्रेस बनाम कांग्रेस होना लाजिमी हो जाता है. ऐसा हो भी रहा है. अब गहलोत गुट सक्रिय हो गया है. जिसकी एक नजीर मुख्यमंत्री के सलाहकार बाबूलाल नागर ने डोटासरा के आवास पर पेश भी की.

संकेतों की भाषा- नागर की कही में संदेह, संकेत और संदेश साफ दिख रहा है. पायलट के दौरे का स्वागत भी कर रहे हैं लेकिन मिशन 2023 की लड़ाई के अगुवा गहलोत को ही मान रहे हैं. सचिन पायलट के राजनीतिक दौरे का स्वागत करतो हुए कहा- सचिन पायलट जैसे युवाओं का यही काम है कि वह राजनीतिक दौरे करें, सभाएं करें और पार्टी को मजबूत करें. लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में होंगे तभी पार्टी को भी फायदा मिलेगा. 2024 में लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी की सीटें आएगी.

पायलट युवा लेकिन गहलोत लोहा- नागर ने कहा कि सचिन पायलट कांग्रेस के जुझारू नेता है, अभी युवा हैं उनको काम करना ही चाहिए. दौरा करना, गांव में रैली करना, प्रदर्शन करना यही तो युवाओं का काम है, यह तो अच्छी बात है. मुझे खुशी है कि वह राजस्थान में दौरा कर रहे हैं, इससे कांग्रेस का अच्छा रुझान बनेगा. इसके आगे नागर ने जो कहा वो गहलोत की काबलियत को साबित करने जैसा रहा. उन्होंने कहा- गहलोत वरिष्ठ नेता है, 42-43 साल के राजनीतिक जीवन में इन्होंने बुजुर्ग और युवा नेताओं के साथ काम किया है. चाहें राजस्थान के युवा हों या बुजुर्ग. सब ने अशोक गहलोत का लोहा माना है.

पढ़ें- Sachin Pilot Tour: कांग्रेस आलाकमान को 'ताकत' दिखाने को पायलट तैयार, जनता के बीच जाने का किया ऐलान

गहलोत का पार्टी को मिलेगा लाभ- आगे बोले- पायलट दौरा करें उनका स्वागत है. लेकिन सरकार की बात करें तो वह मुख्यमंत्री की अगुवाई में बात होगी और संगठन की बात करें तो वह गोविंद डोटासरा के नेतृत्व में ही होगा. पायलट के दौरे से कांग्रेस को ताकत मिलेगी, लेकिन राजस्थान का 2023 का चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में होगा. दावा किया कि इससे कांग्रेस का फायदा होगा जिसका आगे चलकर 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा होगा.

फूलन देवी और अर्जुन सिंह आए याद- राजस्थान में अकसर यह कहा जाता है कि 1998 से लेकर अब तक तीन बार अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं. दो बार उनके मुख्यमंत्री रहते हुए जब चुनाव हुए तो पार्टी चुनाव हार गई. इस सवाल के जवाब में नागर ने कहा- चुनाव में हार जीत तो योग संजोग होता है.यहां हमने अर्जुन सिंह को चुनाव हारते और फूलन देवी को चुनाव जीतते देखा है. अर्जुन सिंह देश के बड़े नेता कहलाते थे,तो फूलन देवी बहुत बड़ी डाकू थी लेकिन चुनाव एक मौका होता है इसमें किस का मौका कैसे बैठ जाए या अलग बात होती है.

बाबूलाल के बड़े बोल- राजस्थान की आम आवाम चाहती है कि 2023 का चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में होगा तो ही कांग्रेस का भला होगा. बाबूलाल नागर के मुताबिक अशोक गहलोत ने कइयों को रास्ता दिखाया है. उन्होंने कहा यह केवल राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल नहीं है बल्कि हिंदुस्तान के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इन्होंने विपरीत आर्थिक परिस्थितियों से लड़ने का जज्बा सिखाया है. उन्होंने सिखाया है कि कैसे इआरसीपी ,ओल्ड पेंशन स्कीम जैसे कामों को हाथ में ले जनता के हितों में काम करें.

CM सलाहकार के अजब विचार

जयपुर. राजस्थान में 16 जनवरी से 20 जनवरी तक सचिन पायलट 5 जिलों में बड़ी जनसभा करने जा रहे हैं. राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच की अदावत जगजाहिर है. राजनैतिक पंडित इन रैलियों को कुर्सी की लड़ाई का केंद्र मान रहे हैं. जब बात कुर्सी की हो तो कांग्रेस बनाम कांग्रेस होना लाजिमी हो जाता है. ऐसा हो भी रहा है. अब गहलोत गुट सक्रिय हो गया है. जिसकी एक नजीर मुख्यमंत्री के सलाहकार बाबूलाल नागर ने डोटासरा के आवास पर पेश भी की.

संकेतों की भाषा- नागर की कही में संदेह, संकेत और संदेश साफ दिख रहा है. पायलट के दौरे का स्वागत भी कर रहे हैं लेकिन मिशन 2023 की लड़ाई के अगुवा गहलोत को ही मान रहे हैं. सचिन पायलट के राजनीतिक दौरे का स्वागत करतो हुए कहा- सचिन पायलट जैसे युवाओं का यही काम है कि वह राजनीतिक दौरे करें, सभाएं करें और पार्टी को मजबूत करें. लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में होंगे तभी पार्टी को भी फायदा मिलेगा. 2024 में लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी की सीटें आएगी.

पायलट युवा लेकिन गहलोत लोहा- नागर ने कहा कि सचिन पायलट कांग्रेस के जुझारू नेता है, अभी युवा हैं उनको काम करना ही चाहिए. दौरा करना, गांव में रैली करना, प्रदर्शन करना यही तो युवाओं का काम है, यह तो अच्छी बात है. मुझे खुशी है कि वह राजस्थान में दौरा कर रहे हैं, इससे कांग्रेस का अच्छा रुझान बनेगा. इसके आगे नागर ने जो कहा वो गहलोत की काबलियत को साबित करने जैसा रहा. उन्होंने कहा- गहलोत वरिष्ठ नेता है, 42-43 साल के राजनीतिक जीवन में इन्होंने बुजुर्ग और युवा नेताओं के साथ काम किया है. चाहें राजस्थान के युवा हों या बुजुर्ग. सब ने अशोक गहलोत का लोहा माना है.

पढ़ें- Sachin Pilot Tour: कांग्रेस आलाकमान को 'ताकत' दिखाने को पायलट तैयार, जनता के बीच जाने का किया ऐलान

गहलोत का पार्टी को मिलेगा लाभ- आगे बोले- पायलट दौरा करें उनका स्वागत है. लेकिन सरकार की बात करें तो वह मुख्यमंत्री की अगुवाई में बात होगी और संगठन की बात करें तो वह गोविंद डोटासरा के नेतृत्व में ही होगा. पायलट के दौरे से कांग्रेस को ताकत मिलेगी, लेकिन राजस्थान का 2023 का चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में होगा. दावा किया कि इससे कांग्रेस का फायदा होगा जिसका आगे चलकर 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा होगा.

फूलन देवी और अर्जुन सिंह आए याद- राजस्थान में अकसर यह कहा जाता है कि 1998 से लेकर अब तक तीन बार अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं. दो बार उनके मुख्यमंत्री रहते हुए जब चुनाव हुए तो पार्टी चुनाव हार गई. इस सवाल के जवाब में नागर ने कहा- चुनाव में हार जीत तो योग संजोग होता है.यहां हमने अर्जुन सिंह को चुनाव हारते और फूलन देवी को चुनाव जीतते देखा है. अर्जुन सिंह देश के बड़े नेता कहलाते थे,तो फूलन देवी बहुत बड़ी डाकू थी लेकिन चुनाव एक मौका होता है इसमें किस का मौका कैसे बैठ जाए या अलग बात होती है.

बाबूलाल के बड़े बोल- राजस्थान की आम आवाम चाहती है कि 2023 का चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में होगा तो ही कांग्रेस का भला होगा. बाबूलाल नागर के मुताबिक अशोक गहलोत ने कइयों को रास्ता दिखाया है. उन्होंने कहा यह केवल राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल नहीं है बल्कि हिंदुस्तान के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इन्होंने विपरीत आर्थिक परिस्थितियों से लड़ने का जज्बा सिखाया है. उन्होंने सिखाया है कि कैसे इआरसीपी ,ओल्ड पेंशन स्कीम जैसे कामों को हाथ में ले जनता के हितों में काम करें.

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