जयपुर. पूरे देश में शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं की ओर से अडानी ग्रुप और मोदी सरकार के बीच साठगांठ के आरोपों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की जा रही हैं. राजधानी जयपुर में भी आज कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने केंद्र सरकार और अडानी ग्रुप के बीच रिश्तों को लेकर सवाल खड़े किए. राजस्थान में यह मसला ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए हो गया, क्योंकि राजस्थान सरकार ने भी अडानी समूह के साथ जमीनों के कई करार किए हैं, जिसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
राजस्थान के अडानी से हुए करार की जांच - इस मामले में राजस्थान के खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि अगर जेपीसी की जांच होगी तो उसमें पूरे देश के साथ ही राजस्थान की भी जांच हो जाएगी. प्रताप सिंह ने कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस के नेता हैं और जेपीसी की डिमांड उन्होंने संसद में की है. जब जेपीसी की जांच होगी तो राजस्थान की भी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि यह 10.5 लाख करोड़ का घोटाला है, जिसमें राजस्थान का नाम लेकर कांग्रेस की आवाज को कमजोर नहीं किया जा सकता. अगर कहीं भी कोई गड़बड़ हुई है तो उसकी सच्चाई सामने आएगी और वैसे भी राजस्थान सरकार ने एलआईसी, बैंकों या देश की जनता की गाढ़ी कमाई से जमा हुए टैक्स का पैसा अडानी को नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा के सांसदों की संख्या की सबसे ज्यादा है, ऐसे में जेपीसी होगी तो उसमें सांसद भी भाजपा के ज्यादा होंगे और राजस्थान के प्रतिनिधि के रूप में मैं कह रहा हूं कि राजस्थान की भी जांच हो, हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है.
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मोदी सरकार और अडानी का रिश्ता - राजस्थान में मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी न तो कैपिटलिज्म के खिलाफ है और न ही उद्योगपतियों के, कांग्रेस पार्टी किसी मोनोपोली के खिलाफ है. राजस्थान में जो भी अडानी ग्रुप के साथ एमओयू हुए हैं, वह किसी मोनोपोली के तहत नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बात पर सवाल खड़े कर रही है कि टैक्स हैवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे एक खास व्यक्ति को हमारी अंतरराष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ क्यों दिया जा रहा है. गौरव वल्लभ ने कहा कि इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने से मोदी सरकार डर रही है.
मोदी ने किया था काला धन वापस लाने का वादा - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने पर काला धन वापस लाने और 15 लाख रुपए खाते में डालने का वादा किया था. आज हकीकत यह है कि स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक में भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि अडानी समूह के खिलाफ स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद उनके शेयरों की कीमतों में गिरावट से लाखों निवेशकों को नुकसान हुआ है. यहां तक कि एलआईसी के अडानी समूह के शेयरों की 30 दिसंबर को की गई 83000 करोड़ की शेयर खरीद का मूल्य अब 39000 करोड़ रह गया है, यानी कि 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी धारकों की बचत के 44000 करोड़ डूब गए हैं. उन्होंने कहा कि 2001 में केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था कि शेयर बाजार की हेर फेर में अडानी समूह के प्रमोटरों ने साथ दिया था. ऐसे में भी जांच के बजाय प्रधानमंत्री मोदी इस साल के मित्र काल बजट में अडानी समूह को और भी अवसर दे रही है.