जयपुर. छत्तीसगढ़ कांग्रेस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच जारी द्वंद को कांग्रेस आलाकमान ने टी एस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री बनाकर समाप्त कर दिया है. अब हर किसी की नजर राजस्थान पर है. कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच जारी घमासान को समाप्त कराने के लिए भी कांग्रेस आलाकमान ऐसा ही कुछ करने जा रहा है. अगर राजस्थान में ऐसा कुछ होने जा रहा है, तो इसकी शुरुआत आज की कैबिनेट बैठक में हो सकती है. साथ ही माना जा रहा है कि आज गहलोत सरकार की कैबिनेट बैठक में सचिन पायलट की मांगों पर कोई नीतिगत निर्णय हो जाए. कमेटी या सब कमेटी बनाकर उनकी मांगों पर कार्रवाई की बात कर दी जाए.
अगर ऐसा होता है तो फिर राजस्थान में भी ये लगेगा कि दोनों नेताओं के बीच कांग्रेस आलाकमान ने जो फार्मूला 29 मई को तैयार किया था, उस पर 29 जून से लागू होना शुरू हो गया. इसके साथ ही साफ हो जाएगा कि गहलोत और पायलट आगामी विधानसभा चुनाव एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. क्योंकि पायलट किसी भी पद को लेने से पहले अपनी 3 मांगों पर कार्रवाई चाहते हैं. अगर उनकी मांगों पर कोई कमेटी बना सरकार काम शुरू करेगी तभी पायलट किसी फॉर्मूले के लिए तैयार होंगे.
पायलट को अगर उप मुख्यमंत्री बनाया तो होंगे मंत्रियों के इस्तीफे, डोटासरा को हटाया तो भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना : वैसे तो अभी राजस्थान को लेकर कांग्रेस आलकमान ने क्या सुलह फार्मूला तय किया है ये तो राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे ओर केसी वेणुगोपाल को पता है या फिर गहलोत और पायलट को. लेकिन जो भी फार्मूला बना है, उसे लागू करने के लिए सचिन पायलट को अहम पद देना होगा. अगर पायलट को छत्तीसगढ़ में टीएससिंह देव की तरह राजस्थान में उप मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो फिर राजस्थान में मंत्रियों के इस्तीफे लेकर कैबिनेट फेरबदल भी होगा क्योंकि राजस्थान में मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों के सभी 30 पद भरे हुए है. ऐसे में एक भी मंत्री बनाया जाता है तो उसके लिए कैबिनेट फेरबदल करना होगा. ऐसे में संभव है कि मंत्रियों के इस्तीफे भी लिए जाएं.
यदि सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाता है तो भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. ऐसे में भी कैबिनेट में फेरबदल और विस्तार करना होगा जिसके लिए मंत्रियों से इस्तीफे लिए जाएंगे. हालांकि अगर कांग्रेस पार्टी इन तमाम एक्सरसाइज से बचना चाहेगी तो फिर पार्टी बीच का रास्ता निकालते हुए पायलट की तीन मांगो पर कार्रवाई कर, उन्हें एआईसीसी में सीडब्ल्यूसी समेत कोई महत्वपूर्ण पद या राजस्थान चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर बिना किसी बदलाव के एडजस्ट कर सकती है, लेकिन यह तभी संभव है जब पायलट की तीन मांगों पर कोई निर्णय हो.
30 जून को गहलोत जा सकते हैं दिल्ली, 1 जुलाई को राहुल और खड़गे से मुलाकात संभव, क्या विधायकों के सामने सालासर में रखा जाएगा फॉर्मूला : राजस्थान के सालासर में सभी मंत्रियों विधायकों और विधानसभा चुनाव-2018 में चुनाव लड़े प्रत्याशियों को प्रशिक्षण शिविर के लिए बुलाया गया है. तो वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 30 जून को दिल्ली जा सकते हैं. कहा जा रहा है कि 1 जुलाई को उनकी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक हो जिसमें पायलट भी मौजूद रहें. वहां की वार्ता के बाद हो सकता है कि सालासर में आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कैंप में कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल या कोई अन्य बड़ा नेता राजस्थान में सुलह के फॉर्मूले को विधायकों के सामने रखे. इसके बाद ही पायलट गहलोत के बीच साढ़े 4 साल से जमीं राजनीतिक बर्फ पिघल सकती है.
ये थी सचिन पायलट की तीन मांगें :
1. वसुंधरा राजे सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार की जांच
2. आरपीएससी की चयन प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन
3. पेपर लीक से प्रभावित स्टूडेंट्स के लिए मुआवजा
केवल पायलट ही नहीं हरीश चौधरी, रघु शर्मा जैसे नेता भी होंगे एडजस्ट : पायलट और गहलोत के बीच कोई सुलह का फार्मूला होता है तो ऐसा नहीं है कि केवल सरकार और संगठन में गहलोत और पायलट को ही हिस्सेदारी मिलेगी. इसके साथ साथ राजस्थान के अन्य नेताओं को भी मैसेज दिया जाएगा कि वे सभी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, हरीश चौधरी और रघु शर्मा जैसे नेताओं को मुख्य पदों पर एडजस्ट किया जाएगा. वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ तीन या चार कार्यकारी अध्यक्ष और सरकार में भी दो या तीन उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे. जिससे की बाकी जातियों को भी प्रमुख पद देकर चुनाव से पहले साधा जा सके. यहां तक कि अगर कैबिनेट में कोई बदलाव होता है तो फिर नए चेहरे भी सामने आ सकते हैं.