जयपुर. राहुल गांधी के नेतृत्व में आगे बढ़ रही भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से सफलतापूर्वक हरियाणा पहुंच चुकी है. अब कांग्रेस जनसंपर्क पार्ट टू की तैयारियों में जुटी है. नाम दिया गया है हाथ से हाथ जोड़ो अभियान (Haath Jodo Campaign). ये कैंपेन 26 जनवरी से प्रस्तावित है जो 2 महीनों तक चलेगा. दिल्ली में आज सभी प्रदेशों के कांग्रेस अध्यक्ष, एलओपी, सीएलपी और प्रभारी बैठेंगे. राजस्थान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा मौजूद रहेंगे.
सूत्रों की मानें तो राजस्थान में ग्रैंड कांग्रेस ड्रामा पर भी गंभीर चिंतन होगा (AICC and PCC office bearers meet). इस साल विधायक दल की बैठक को लेकर खूब हंगामा हुआ था. सितम्बर में मचे सियासी भूचाल ने पार्टी की फजीहत करा दी थी. खेमेबाजी की आंच में आलाकमान भी आ गया था इसलिए संभावना है कि बागी दिग्गजों को लेकर भी कोई ठोस फैसला लिया जा सकता है.
कांग्रेस के सामने चुनौती- राजस्थान जहां कांग्रेस सत्ताधारी दल है वहां हाथ से हाथ जोड़ो अभियान कैसे सफल हो, इसे लेकर अजीबोगरीब हालात है. दरअसल राजस्थान में हर विधानसभा में दो ब्लॉक हैं. इस हिसाब से 200 विधानसभा में कुल 400 ब्लॉक हैं. हाथ से हाथ जोड़ो इन ब्लॉक्स को कवर करेगी. तय कार्यक्रम के अनुसार 200 ब्लॉक में पहले महीने और 200 ब्लॉक में दूसरे महीने में हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम होगा. कांग्रेस की दिक्कत ये है कि जब प्रदेश में एक भी ब्लॉक अध्यक्ष और ब्लॉक कार्यकारिणी नहीं है तो फिर यह कार्यक्रम कैसे सफल होगा? यही कारण है कि आज दिल्ली में होने वाली बैठक में जल्द से जल्द ब्लॉक कांग्रेस कमेटी बने इस पर महत्वपूर्ण चर्चा होगी.
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सचिन पायलट का रोल अहम- दिल्ली बैठक में प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी और मुख्यमंत्री राजस्थान में ब्लॉक अध्यक्ष और ब्लाक कार्यकारिणी संग जिला अध्यक्ष और जिलों की कार्यकारिणी को अंतिम रूप दे सकते हैं. बताया जा रहा है कि इस दौरान पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की राय भी ली जाएगी.
राजस्थान कांग्रेस के बागियों पर फैसला!- दिल्ली में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा संगठनात्मक विषय पर चर्चा करेंगे. कहा जा रहा है की इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मौजूद रहेंगे. मलिकार्जुन उस ग्रैंड कांग्रेस ड्रामा के गवाह हैं जो 25 सितंबर को घटी. उनकी मौजूदगी में भी विधायक दल की बैठक नहीं हो पाई थी. बतौर पर्यवेक्षक खड़गे और अजय माकन की रिपोर्ट के आधार पर ही मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ कटघरे में खड़े किए गए. तीनों को समानांतर विधायक दल की बैठक बुलाने के कारण अनुशासनहीनता का दोषी माना गया. इन तीनों नेताओं पर क्या निर्णय हो इसे लेकर भी चर्चा हो सकती है. ऐसे में इन तीनों नेताओं को माफी मिलती है या फिर कार्रवाई होती है इसे लेकर भी आज की बैठक अहम मानी जा रही है.
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फिर बुलाई जा सकती है विधायक दल की बैठक- अगले साल विधानसभा चुनावों को देखते हुए राजस्थान में अभी कांग्रेस आलाकमान कोई नया विवाद नहीं चाहता. गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात भी समाप्त हो चुकी है. ऐसे में मुख्यमंत्री बदला जाए इसके आसार काफी कम हैं. फिर भी 25 सितंबर की टीस बाकी है. उस घटना को कांग्रेस आलाकमान की नाफरमानी माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि जनवरी 2023 में विधायक दल की बैठक भी बुलाई जा सकती है.
बैठक के जरिए कांग्रेस आलाकमान मैसेज देना चाहता है. बताना चाहता है कि राजस्थान में सभी नेताओं में एकजुटता है और वह कांग्रेस आलाकमान की हर बात को निर्देश के तौर पर मानता है.