जयपुर. वर्तमान में राजस्थान में भले ही हर किसी की नजर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी विवाद को खत्म करने के लिए अपनाए जा रहे फार्मूले पर टिकी हो, लेकिन इस बीच यह भी साफ हो गया है कि अबकी टिकट दिल्ली से ही फाइनल होंगे. टिकट वितरण में न तो सीएम गहलोत की चलने वाली है और न ही राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की. वहीं, मौजूदा परिदृश्य में पायलट को लेकर सीएम के बयानों में भी सॉफ्टनेस आई है. अब गहलोत कह रहे हैं कि सचिन पायलट से उनकी सुलह परमानेंट है और पायलट उनके परिवार के सदस्य हैं, हालांकि, सीएम आरपीएससी को भंग करने में संवैधानिक बाधाओं का भी जिक्र कर चुके हैं. बावजूद इसके उनका पायलट को लेकर रुख काफी हद तक नरम हुआ है.
इसके पीछे कारण साफ है कि कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान विधानसभा चुनाव की कमान अपने हाथों में ले ली है. साथ ही सीएम गहलोत और पायलट को आगामी चुनावी फार्मूले से अवगत करा दिया गया है. ऐसे में अब यह कहा जा रहा है कि पार्टी टिकट वितरण के लिए कर्नाटक फार्मूल को अपनाएगी, यानी पार्टी आलाकमान की ओर से प्रत्याशियों के टिकट फाइनल होंगे. हालांकि, इसके लिए पार्टी की ओर से सर्वे भी कराए जा रहे हैं. साथ ही दूसरे राज्यों के पर्यवेक्षकों को भी अलग-अलग जिलों में लगाया जा रहा है, ताकि टिकट के लिए योग्य उम्मीदवार की फेक्चुअल रिपोर्ट आ सके.
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राजस्थान में सक्रिय हुए दूसरे राज्यों के पर्यवेक्षक - प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने विधानसभा क्षेत्रों से फीडबैक लेने के लिए पर्यवेक्षक लगाने शुरू कर दिए हैं. इसके तहत जयपुर, सीकर और अजमेर जिले के लिए पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुखविंदर सिंह सकरिया को पर्यवेक्षक बनाया है, जो बुधवार को सीकर, 10 जून को जयपुर और अजमेर जिलों के दौरे कर फीडबैक लेंगे. इसके अलावा उनके साथ बरिंदरमीत सिंह पहरा को लगाया गया है. इसी तरह से रंधावा ने हर 2 से 3 जिलों में एक पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं, जो अपना काम शुरू कर चुके हैं. फिलहाल सीकर, अजमेर, जयपुर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में कुल 5 पर्यवेक्षक लगाए गए हैं. शेष जिलों में भी जल्द ही पर्यवेक्षकों को लगाया जाएगा. ये पर्यवेक्षक इस बात की रिपोर्ट तैयार करेंगे कि किस नेता को टिकट दिया जाए. साथ ही क्षेत्र में नेताओं की लोकप्रियता और प्रभुत्व को भी देखा जाएगा.
कर्नाटक के बाद राजस्थान में भी पार्टी के लिए रणनीति बनाएंगे सुनील कानुगोलू - कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने जो जीत दर्ज की है, उसमें चुनावी रणनीतिकार सुनील कोनुगोलू की अहम भूमिका रही है. अब कहा जा रहा है कि सुनील कोनुगोलू को लोकसभा चुनाव से पहले जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वो वहां पार्टी आलाकमान के लिए रणनीति तैयार करेंगे. गहलोत कैबिनेट की 2 दिन पहले हुई बैठक में भी सुनील कोनुगोलू को लेकर चर्चा हुई थी.
इन सबके इतर एससी, एसटी और ओबीसी के रिजर्वेशन बढ़ाए जाए या नहीं इसे लेकर भी प्रदेश में चर्चाएं शुरू हो गई हैं. प्रभारी रंधावा, पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा, तीनों सह प्रभारी काजी निजामुद्दीन, अमृता धवन और वीरेंद्र राठौड़ लगातार उक्त मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बातचीत कर रहे हैं. वहीं, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी व पूर्व मंत्री हरीश चौधरी के साथ ही मंत्री रामलाल जाट भी लगातार इस बात की मांग कर रहे हैं कि ओबीसी आरक्षण को 21% से बढ़ाकर 27% किया जाए. ऐसे में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बुधवार को मुख्यमंत्री गहलोत से मिले. जहां तीनों सह प्रभारी अमृता धवन, काजी निजामुद्दीन और विरेंद्र राठौड़ भी मौजूद रहे.