जयपुर. राजस्थान विश्विद्यालय से संबद्धता वाले बीएड, बीए बीएड, बीएससी बीएड कॉलेजों के छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. दरअसल, पीटीईटी के परिणाम को आये 25 दिन बीत गए लेकिन अभी तक कॉलेजों में काउंसलिंग शुरू नहीं हो पाई है. इतना ही नहीं राजस्थान विवि ने अभी तक जयपुर और दौसा जिले के किसी भी बीएड कॉलेज का नाम पीटीईटी को नहीं भेजा है. जिसको लेकर सोमवार को राजस्थान विश्विद्यालय में निजी बीएड कॉलेज के पदाधिकारियों ने कुलपति को ज्ञापन सौपा और आंदोलन की चेतावनी दी.
विवि से संबद्धता लेने वाले जयपुर और दौसा जिले में 200 से ज्यादा बीएड कॉलेज है और 25 से 30 हजार सीटे हैं. प्रदेश के 70 से अधिक कॉलेजों तो ऐसे है जिनको राज्य सरकार ने एनओसी ही जारी नहीं की है. ऐसे में इस साल बीएड के सत्र में विलंब होना संभव है.
हर वर्ष इसी तरह की तकरार का खामियाजा छात्र छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है. राज्य सरकार और विवि समय पर एनओसी और संबद्धता जारी नहीं करती. अस्थाई तौर पर कॉलेजों के नाम पीटीईटी को भेजकर काउंसलिंग में शामिल कर दिया जाता है लेकिन बीच सत्र में सामने आता है कि कॉलेज को संबद्धता ही नहीं मिली. कई बार छात्रों की परीक्षा नहीं ली जाती तो कभी उनका परिणाम रोक लिया जाता है. विवि व कॉलेजों की कमियों का परिणाम हर साल छात्र-छात्राएं भुगत रहे हैं.
राजस्थान विवि ने दो माह पहले बीएड कॉलेजों को निरीक्षण करवाकर संबद्धता लेने के लिए निर्देश जारी कर दिए थे. निरीक्षण के निर्देश प्रदेश के सभी विवि ने जारी किए. लेकिन हर साल निरीक्षण नहीं करवाने की मांग को लेकर कुछ B.Ed कॉलेज हाई कोर्ट चले गए. हाई कोर्ट ने निरीक्षण पर स्टे दे दिया. बीएड कॉलेजों के नाम सीधे पीटीईटी को भेजने के भी आदेश दिए. विवि का कोर्ट में पीएलआई लगाने वाले 161 कॉलेजों में राजस्थान वीवी से संबद्धता लेने वाले कॉलेज नहीं है. इसलिए उनके अधिकार क्षेत्र के कॉलेजों के नाम बिना संबद्धता कैसे पीटीईटी को भेजें.
12 मई को थी परीक्षा, 30 मई को आया परिणाम
प्रदेश के बीएड कॉलेजों में करीब सवा लाख सीटें हैं. 12 मई को हुई पीटीईटी परीक्षा में करीब साढे पांच लाख अभियार्थी पंजीकृत हुए थे और 30 मई को परिणाम मंत्री भंवर सिंह भाटी ने जारी किया. लेकिन सफल होने वाले लाखों अभियार्थी अब काउंसलिंग का इंतजार कर रहे साथ ही असमंजस में है कि वे दूसरे कोर्स के लिए आवेदन करें या नहीं. गौरतलब है कि, प्रदेश में काउंसलिंग पूरी होने पर जिन्हें बीएड में प्रवेश नहीं मिलता है व अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले लेते हैं.