जयपुर. चुनावी साल में जातीय समीकरण के लिहाज से प्रदेश की गहलोत सरकार एक के बाद एक बोर्ड के गठन को स्वीकृति दे रही है. इसी कड़ी में शनिवार को राज्य सरकार की ओर से राजस्थान गुरु गोरखनाथ बोर्ड का गठन किया गया. यह बोर्ड जोगी, योगी, नाथ जाति वर्ग की समस्याओं को चिह्नित कर प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव राज्य सरकार को देगा.
समाजिक क्षेत्र में मिलेगा बढ़ावा - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से बोर्ड गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति दिए जाने के बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. बोर्ड की ओर से समाज के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करने, वर्तमान में संचालित योजनाओं के संबंध में विभिन्न विभागों से समन्वय करने, रोजगार को बढ़ावा देने, समाज के शैक्षिक एवं आर्थिक उन्नयन, समाज के परंपरागत व्यवसाय को वर्तमान तौर-तरीकों से आगे बढ़ाने के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे. साथ ही बोर्ड की ओर से समाज की धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर और मठों के सुदृढ़ीकरण और जीर्णोद्धार, समाज से संबंधित लेख, ग्रंथ, साहित्य आदि पर शोध, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ ठोस उपाय करने सहित अन्य सुझाव भी राज्य सरकार को भेजे जाएंगे.
इसे भी पढ़ें - Rajasthan Olympics 2023 : सीएम अशोक गहलोत ने किया शहरी व ग्रामीण ओलंपिक खेलों का आगाज, खेल मंत्री अशोक चांदना ने कही ये बड़ी बात
ये होंगे सदस्य - राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार बोर्ड में 5 गैर सरकारी सदस्य (अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा 3 सदस्य) होंगे. साथ ही उद्योग विभाग, स्कूल शिक्षा (प्राथमिक/माध्यमिक) एवं संस्कृत शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग, श्रम विभाग, देवस्थान विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के शासन सचिव, आयुक्त, निदेशक, संयुक्त निदेशक और उनके प्रतिनिधि बोर्ड में सरकारी सदस्य के रूप में होंगे.
वहीं, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक स्तरीय अधिकारी बोर्ड में सचिव होंगे. राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के साथ उनके प्रतिनिधि बोर्ड के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे . बोर्ड का प्रशासनिक विभाग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग होगा.