जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्र में कहा है कि केन्द्र सरकार की ओर से महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए 4500 रुपए, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए 3500 रुपए और सहायिकाओं के लिए 2250 रुपए मासिक मानदेय निर्धारित है. इनके कार्य एवं दायित्वों को देखते हुए यह मानदेय जीविकोपार्जन के लिए कम प्रतीत होता है.
गहलोत ने आगे लिखा है कि राज्य सरकार की ओर से इस मानदेय के स्थान पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 7500 रुपए, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 5750 रुपए तथा आंगनबाड़ी सहायिकाओं को 4250 रुपए मासिक मानदेय के रूप में दिए जा रहे है. इसमें केन्द्र सरकार की ओर से निर्धारित मानदेय राशि के 40 प्रतिशत राज्यांश के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा टॉप-अप राशि का भी भुगतान किया जा रहा है.
राज्य में कार्यरत 1 लाख 12 हजार 236 मानदेय कर्मियों को सम्मान जनक जीवन यापन सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में केन्द्र सरकार से प्राप्त लगभग 270 करोड़ रुपए की राशि के अतिरिक्त राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से लगभग 539 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से निर्धारित मानदेय एवं राज्य सरकार की ओर से दिए जा रहे मानदेय में अंतर की स्थिति कमोबेश अन्य राज्यों में भी है.
ये भी पढ़ें: फीस माफी मामला: मांगें नहीं माने जाने तक आमरण अनशन रहेगा जारी, राज्यपाल ने दिया मदद का आश्वासन
उन्होंने इन मानदेय कर्मियों के लिए राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही अतिरिक्त राशि का 60 प्रतिशत अंशदान केन्द्र सरकार के स्तर से राज्यों को उपलब्ध करवाने की समुचित व्यवस्था करवाने का आग्रह किया है.
ये भी पढ़ें: जयपुर हेरिटेज नगर निगम में बना कांग्रेस का बोर्ड, असलम फारूकी बने उप महापौर
मुख्यमंत्री गहलोत ने केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी से आशा व्यक्त करते हुए कहा है कि वह व्यक्तिगत प्रयास कर केन्द्र सरकार की ओर से निर्धारित मानदेय के 60 प्रतिशत अंशदान के अलावा राज्य सरकार की ओर से दी जा रही अतिरिक्त राशि का भी 60 फीसदी अंशदान का प्रावधान करके समुचित कार्रवाई करवाएंगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मातृ एवं शिशु तथा महिलाओं के अधिकार एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध है.