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मुख्यमंत्री ने मानी सांसद सीपी जोशी की मांग, पत्र लिखने के कुछ ही घंटे बाद किया अमल - क्रय-विक्रय ग्राम सेवा

राजस्थान में 15 अप्रैल से मंडियों में शुरू होने वाली खरीद अब ग्राम सेवा सहकारी समितियों और केवीएसएस पर भी हो सकेगी. भाजपा सांसद सीपी जोशी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था, जिसपर जल्द ही अमल भी कर लिया गया है.

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सांसद सीपी जोशी की मांग
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Published : Apr 10, 2020, 11:56 AM IST

जयपुर. कोरोना के संकट के बीच 15 अप्रैल से मंडियों में शुरू होने वाली खरीद अब ग्राम सेवा सहकारी समितियों और केवीएसएस पर भी हो सकेगी. इस संबंध में गुरुवार को भाजपा सांसद सीपी जोशी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था. जिस पर गुरुवार देर रात अमल भी कर लिया गया है और आदेश जारी किए गए.

जोशी ने मंडियों में कृषि जींस और गेहूं की खरीद के दौरान काफी संख्या में किसानों की भीड़ जुटने और उससे कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका व्यक्त करते हुए जीएसएस के जरिए ये खरीद किए जाने का सुझाव दिया था.

पढ़ेंः लॉकडाउन: अब तक 7375 वाहन जब्त, 102 लोग गिरफ्तार

अब कृषि जिंसों के विक्रय के लिए राज्य में लगभग 460 क्रय-विक्रय ग्राम सेवा सहकारी समितियों, तिलम संघ को समुचित शिथिलता प्रदान कर निजी गौण मंडी घोषित करने की स्वीकृति दे दी गई है. मतलब अब काश्तकार को अपनी उपज बेचने के लिए वैकल्पिक प्लेटफार्म भी उपलब्ध होगा और वह अपने खेत और गांव के नजदीक ही सहकारी समितियों पर अनाज लाकर उपज मंडियों के अनुरूप अपनी फसल विक्रय कर सकेंगे.

सहकारिता विभाग के सचिव नरेश पाल गंगवार ने बताया कि कृषि प्रसंस्करण इकाइयों और दाल मिल, तेल मिल, आटा मिल, चावल मिल आदि को मंडी समितियों में आवेदन की आवश्यकता नहीं होगी. मंडी समितियां इन संस्करण इकाइयों का स्वता ही सीधी खरीद का अनुज्ञा पत्र जारी करेगी.

पढ़ेंः नहीं थम रही मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाजारी, जयपुर में SOG की हिरासत में दुकानदार

साथ ही कृषि प्रकरण इकाइयों को अब तक आवेदन के साथ उनके द्वारा घोषित 1 दिन की खरीद के समतुल्य प्रतिभूति जमा करानी होती है, इस प्रावधान में भी छूट दे दी गई है. अब यह प्रतिभूति 30 जून 2020 तक जमा कराई जा सकती है. जिससे राज्य में लगभग 500 कृषि इकाइयों को अनुज्ञा पत्र मिल सकेंगे.

जयपुर. कोरोना के संकट के बीच 15 अप्रैल से मंडियों में शुरू होने वाली खरीद अब ग्राम सेवा सहकारी समितियों और केवीएसएस पर भी हो सकेगी. इस संबंध में गुरुवार को भाजपा सांसद सीपी जोशी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था. जिस पर गुरुवार देर रात अमल भी कर लिया गया है और आदेश जारी किए गए.

जोशी ने मंडियों में कृषि जींस और गेहूं की खरीद के दौरान काफी संख्या में किसानों की भीड़ जुटने और उससे कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका व्यक्त करते हुए जीएसएस के जरिए ये खरीद किए जाने का सुझाव दिया था.

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अब कृषि जिंसों के विक्रय के लिए राज्य में लगभग 460 क्रय-विक्रय ग्राम सेवा सहकारी समितियों, तिलम संघ को समुचित शिथिलता प्रदान कर निजी गौण मंडी घोषित करने की स्वीकृति दे दी गई है. मतलब अब काश्तकार को अपनी उपज बेचने के लिए वैकल्पिक प्लेटफार्म भी उपलब्ध होगा और वह अपने खेत और गांव के नजदीक ही सहकारी समितियों पर अनाज लाकर उपज मंडियों के अनुरूप अपनी फसल विक्रय कर सकेंगे.

सहकारिता विभाग के सचिव नरेश पाल गंगवार ने बताया कि कृषि प्रसंस्करण इकाइयों और दाल मिल, तेल मिल, आटा मिल, चावल मिल आदि को मंडी समितियों में आवेदन की आवश्यकता नहीं होगी. मंडी समितियां इन संस्करण इकाइयों का स्वता ही सीधी खरीद का अनुज्ञा पत्र जारी करेगी.

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साथ ही कृषि प्रकरण इकाइयों को अब तक आवेदन के साथ उनके द्वारा घोषित 1 दिन की खरीद के समतुल्य प्रतिभूति जमा करानी होती है, इस प्रावधान में भी छूट दे दी गई है. अब यह प्रतिभूति 30 जून 2020 तक जमा कराई जा सकती है. जिससे राज्य में लगभग 500 कृषि इकाइयों को अनुज्ञा पत्र मिल सकेंगे.

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