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कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का मामला, राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर HC में सुनवाई आज

कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के मामले (Resignation of 91 Rajasthan Congress MLAs) में आज हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय नहीं करने को चुनौती दी थी.

Rajasthan High Court
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Published : Dec 6, 2022, 8:55 AM IST

जयपुर. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का मामले (Resignation of 91 Rajasthan Congress MLAs) में आज राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय नहीx करने को चुनौती दी थी. राठौड़ ने याचिका में संवैधानिक मूल्यों के हनन का आरोप लगाया था.

हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई- बता दें कि 1 दिसम्बर को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने 91 विधायकों के सामूहिक त्याग पत्र को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. राठौड़ की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि कांग्रेस सरकार के 91 विधायकों के त्यागपत्र के बाद वर्तमान सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है. लेकिन इसके बावजूद कैबिनेट मीटिंग कर नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं. इस्तीफे स्वीकार नहीं किए जाने से घोर संवैधानिक विफलता की स्थिति प्रतिदिन उत्पन्न हो रही है. इसको रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है.

पढ़ें- Rajasthan High Court: 91 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे देने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट

राठौड़ खुद करेंगे पैरवी- उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खण्डपीठ में सुनवाई होगी. इस पर विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ स्वयं पैरवी करेंगे.

इस्तीफे के साथ पद पर रहने का हक नहीं- राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा था कि कांग्रेस में हुए अंतर्कलह और सियासी संकट के चलते 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस समर्थित 91 विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से सौंपा था. लेकिन 2 महीने बाद भी त्यागपत्रों को स्वीकार नहीं किया गया है. त्यागपत्र देने वाले मंत्री और विधायक अभी भी संवैधानिक पदों पर आसीन हैं. इन मंत्रियों और विधायकों को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.

राठौड़ ने कहा था कि सीट से स्वेच्छा से इस्तीफा दिया जाना एमएलए का अधिकार है. 91 विधायकों से जबरन हस्ताक्षर कराए जाने या उनके त्याग पत्र पर किसी अपराधी की ओर से हस्ताक्षर कूट रचित कर दिए जाने की कोई सूचना अध्यक्ष के पास नहीं थी. ऐसे में लिखित में अपने हस्ताक्षरों से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अध्यक्ष को इस्तीफा पेश किए जाने पर उसे अविलम्ब स्वीकार करना अध्यक्ष के लिए विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के अंतर्गत बाध्यकारी है. एमएलए एक जागरूक, शिक्षित व्यक्ति होता है.

जयपुर. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का मामले (Resignation of 91 Rajasthan Congress MLAs) में आज राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय नहीx करने को चुनौती दी थी. राठौड़ ने याचिका में संवैधानिक मूल्यों के हनन का आरोप लगाया था.

हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई- बता दें कि 1 दिसम्बर को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने 91 विधायकों के सामूहिक त्याग पत्र को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. राठौड़ की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि कांग्रेस सरकार के 91 विधायकों के त्यागपत्र के बाद वर्तमान सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है. लेकिन इसके बावजूद कैबिनेट मीटिंग कर नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं. इस्तीफे स्वीकार नहीं किए जाने से घोर संवैधानिक विफलता की स्थिति प्रतिदिन उत्पन्न हो रही है. इसको रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है.

पढ़ें- Rajasthan High Court: 91 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे देने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट

राठौड़ खुद करेंगे पैरवी- उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खण्डपीठ में सुनवाई होगी. इस पर विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ स्वयं पैरवी करेंगे.

इस्तीफे के साथ पद पर रहने का हक नहीं- राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा था कि कांग्रेस में हुए अंतर्कलह और सियासी संकट के चलते 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस समर्थित 91 विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से सौंपा था. लेकिन 2 महीने बाद भी त्यागपत्रों को स्वीकार नहीं किया गया है. त्यागपत्र देने वाले मंत्री और विधायक अभी भी संवैधानिक पदों पर आसीन हैं. इन मंत्रियों और विधायकों को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.

राठौड़ ने कहा था कि सीट से स्वेच्छा से इस्तीफा दिया जाना एमएलए का अधिकार है. 91 विधायकों से जबरन हस्ताक्षर कराए जाने या उनके त्याग पत्र पर किसी अपराधी की ओर से हस्ताक्षर कूट रचित कर दिए जाने की कोई सूचना अध्यक्ष के पास नहीं थी. ऐसे में लिखित में अपने हस्ताक्षरों से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अध्यक्ष को इस्तीफा पेश किए जाने पर उसे अविलम्ब स्वीकार करना अध्यक्ष के लिए विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के अंतर्गत बाध्यकारी है. एमएलए एक जागरूक, शिक्षित व्यक्ति होता है.

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