जयपुर.लोकतंत्र के महापर्व में शनिवार को प्रदेश के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. राजस्थान की 199 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान में महिला- पुरुष, युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग और दिव्यांग मतदताओं ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वहीं कुछ गर्भवती महिलाएं अपने 'अभिमन्यु' को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने के लिए मतदान केंद्रों तक पहुंची.
हालांकि कुछ मतदान केंद्रों पर वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने से मतदाता नाराज दिखे. अपने वोट के लिए उन्होंने काफी जद्दोजहद भी की और आखिर में बिना वोट डाले ही उन्हों वापस लौटन पड़ा. वोटिग के दौरान कहीं-कहीं हिंसा की भी खबरें सामने आई. प्रदेश में सुबह 7:00 से मतदान का दौर शुरू हुआ और धीरे-धीरे परवान चढ़ा.
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मतदान में लोगों ने बढ़ चढ़कर लिया हिस्सा: छिटपुट हिंसा की घटनाओं को छोड़कर प्रदेश में मतदान शांतिपूर्ण रहा. सबसे ज्यादा मतदान पोकरण जिले में हुआ. इन सबके बीच राजधानी जयपुर के एक मतदान केंद्र पर पहुंची गर्भवती महिलाओं ने कहा की परिस्थितियां कैसी भी हो वोट अमूल्य है, और अपने इस अधिकार का प्रयोग करने के लिए वो मतदान केंद्र तक पहुंचीं है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में वोट डालकर ही क्षेत्र में एक अच्छे जनप्रतिनिधि को चुना जा सकता है. अलग-अलग मतदान केंद्रों पर पहुंचे बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं ने भी ईटीवी भारत के साथ अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए होम वोटिंग के लिए रजिस्टर्ड भी कराया था, लेकिन जब मतदान दल उन तक नहीं पहुंच पाया तो उन्होंने खुद मतदान केंद्र तक पहुंचाने का मन बनाया. कुछ बुजुर्ग मतदाता व्हीलचेयर पर बैठकर अपने परिजनों के सहारे अपने मत का प्रयोग करने पहुंचे. वहीं एक मतदाता ने सवाल उठाते हुए कहा कि वो मोहनलाल सुखाड़िया के वक्त से अपने मत का प्रयोग कर रहे हैं जब वो आज भी मतदान करने पहुंच सकते हैं, तो घरों में बैठे व्यक्ति क्यों नहीं.
वोटर लिस्ट में नहीं था नाम: वहीं इस बार मतदान को लेकर निर्वाचन विभाग की कुछ लापरवाही भी सामने आई. मतदाताओं ने आरोप लगाया कि उनके पास वोटर आईडी कार्ड होने के वावजूद वो वोट नहीं डाल सके. वहीं कई मतदान केंद्रों से ईवीएम खराब होने और वोटिंग स्पीड कम होने की शिकायतें भी मिली.