जयपुर. प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बीजेपी चुनावी मोड में आने लगी है. आने वाले दिनों में राजस्थान में केंद्रीय नेताओं के दौरे होने जा रहे हैं. केंद्र की योजनाओं को लेकर ये सभी नेता जनसंपर्क करेंगे. मंगलवार को दिल्ली में हुई प्रदेश के सांसदों के साथ बैठक में आगामी रणनीति पर मंथन हुआ. बैठक में प्रदेश की संगठनात्मक कार्ययोजना की समीक्षा के साथ आगामी कार्य योजना पर चर्चा हुई. मिशन 2023 और 2024 के लिए मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने पर चर्चा हुई.
केंद्रीय नेताओं के दौरे: बैठक के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा सत्र के दौरान राज्यों के सांसदों के साथ चर्चा हुई. बैठक में तय किया गया कि चुनावी तैयारियों के रूप में केंद्रीय नेताओं के राजस्थान में प्रवास कराए जाएंगे. नेताओं से मिलने वाले समय के अनुसार उनके प्रवास का कार्यक्रम तय होगा. बैठक में संगठनात्मक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई. इस दौरान बूथ सशक्तिकरण अभियान, जनआक्रोश अभियान को लेकर चर्चा हुई. यह भी चर्चा हुई कि किस तरह से केंद्र से लाभान्वित लोगों को भाजपा का मतदाता बनाया जाए.
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केंद्रीय नेताओं के दौरे तय होंगे: उन्होंने कहा कि बैठक में प्रदेश जन आक्रोश अभियान चल रहा है. उसको लेकर भी चर्चा की. किस तरफ से सभी जिलों में इस आंदोलन को लेकर जाया जाए, उस पर भी बातचीत हुई है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जन आक्रोश के तहत जिलों में प्रदर्शन किए जाएंगे, ताकि बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, पेपर लीक जैसे मुद्दों को आम जनता को बताया जा सके. उन्होंने कहा कि जनाक्रोश के दूसरे चरण की शुरुआत भरतपुर से हो गई. 27 मार्च को प्रतापगढ़ और उसके बाद हर जिला मुख्यालय पर सरकार की नाकामी को बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन होंगे.
नये जिले जैसे जमीन के पट्टे: पूनिया ने कहा कि राजस्थान भौगोलिक आधार पर बड़ा प्रदेश है. पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने व्यवहारिक तौर पर नए जिलों का गठन करने की घोषणा की थी, लेकिन इस सरकार ने तो इस तरह जिले बांट दिए जैसे जमीन पर प्लॉट काटे जाते हैं. इन जिलों की घोषणों से असंतोष की स्थिति पैदा हो गई है. कई जगहों पर विरोध—प्रदर्शन हो रहे हैं. कांग्रेस पार्टी में विग्रह है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायक आमने-सामने हैं. जिलों के गठन का विरोध किया है.
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उन्होंने कहा कि हम जिलों के गठन के विरोध में नहीं हैं. लेकिन व्यवहारिक प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी, वह नहीं अपनाई गई. समीक्षा करके निर्णय लेते तो तो असंतोष सामने नहीं आता. सरकार जिलों की घोषणा कर माइलेज लेना चाहती थी. उसका लाभ उन्हें नहीं मिलेगा. किसानों की कर्ज माफी, बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य ये वो मुद्दे हैं जो सरकार की नाकामी को गिना रहे हैं. सरकार ने यह काम मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए किया है.
लोकसभा और राज्यसभा सांसद उपस्थित: नई दिल्ली में बैठक में भाजपा राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेश सह प्रभारी विजया राहटकर, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, अर्जुनराम मेघवाल, प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने राजस्थान के भाजपा सांसदों के साथ बैठक की.